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📝 अधूरे अल्फाज़
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अधूरे अल्फाज़
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उसने कहना है फ़क़त ईद मुबारक मुझ को ,
और फिर मेरी ईद ने त्यौहार में ढल जाना है . . .
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अधूरे अल्फाज़
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ज़िन्दगी और चाय एक जैसी है.
जब मज़ा आने लगता है तो ख़त्म हो जाती है!!
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अधूरे अल्फाज़
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मेरी जगह गर तुम होते ,
यकीन करों थक गए होते ।।
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अधूरे अल्फाज़
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मुस्कुराना आदत है हमारी ,
वरना जिंदगी तो हमसे भी नाराज है ।।
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अधूरे अल्फाज़
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कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग ,
दर्द पढ़ते है और आह तक नहीं करते ।।
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अधूरे अल्फाज़
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मैं बेरोजगार हूं बेकार नहीं ,
ये बात बस मेरी माँ जानती है ।।
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अधूरे अल्फाज़
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हम तेरी गली के फ़क़ीर भी बने
तेरे इक दीदार की ख़ातिर!!
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अधूरे अल्फाज़
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किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो ख़ुद से भी खूबसूरत हो..!!
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अधूरे अल्फाज़
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खु़दा पर.,
भरोसा नहीं हो रहा..!!
~★~
सांस चल रही है.,
तुम्हारे बिना.....!!
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अधूरे अल्फाज़
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उन्ही से पाये हैं.,
हमने फरेब मंजिल के यारों....!!
~★~
जिनके पावों के कभी.,
हमने काटे निकले थे.....!!
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अधूरे अल्फाज़
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ज़रुरत नहीं.....!!
~★~
एक फ़िक्र हो तुम....!!
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अधूरे अल्फाज़
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उसने पूछे थे मायने जुदाई के
नाखून गोश्त से अलग करके दिखाया मैने
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अधूरे अल्फाज़
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मेरी गुरबत ने मुझसे मोहब्बत छीन ली हाफी
मेरी मां तो कहती थी पैसा कुछ नही होता
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अधूरे अल्फाज़
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मेरी गुरबत ने मुझसे मोहब्बत छीन ली हाफी
मेरी मां तो कहती थी पैसा कुछ नही होता
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अधूरे अल्फाज़
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दुनियां किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं
एक दिलरुबा है दिल में जो हूरों से कम नहीं
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अधूरे अल्फाज़
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अब इससे बुरा और किया होगा ।
वो बिछड़ा तो निकाह की ख्वाहिश ही मर गई मेरी ।
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अधूरे अल्फाज़
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मोहब्बतें भी मुकद्दर में दर्ज होती हैं ।
किसी का रिज़्क़ किसी और को नही मिलता ।
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अधूरे अल्फाज़
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तेरी यादें कांच के टुकड़े और
मेरा इश्क़ नंगे पाओँ
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अधूरे अल्फाज़
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हर किसी को इजाज़त नहीं यहां बैठने की ।
मैं पास बेठाऊ तो चुप चाप बैठा कर ।
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अधूरे अल्फाज़
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मेरी ख्वाहिश थी मेरे साथ रहो तुम ।
लेकिन , एक मर्ज़ी थी खुदा की सो खुदा की मर्ज़ी ।
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2025/07/09 05:40:47
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