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अधूरे अल्फाज़
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तुम्हारे ख्यालों में दिल कुछ यूं खो जाता हैं ,
जैसे मैथ्स की क्लास में कोई बच्चा सो जाता हैं...
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अधूरे अल्फाज़
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कुछ तेरी नज़रे कातिल थी ,
कुछ हम बिगड़े हुए थे...
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अधूरे अल्फाज़
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सोच अच्छी होनी चाहिए क्योंकि नज़र का ,
इलाज़ तो मुमकिन है पर नज़रिए का नहीं...
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अधूरे अल्फाज़
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लड़के मरते न तो क्या करते
जनाब...
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बेरोजगारी ने जवानी तो आशिक़ी ने आशिकों से उनका गुरुर ही छीन लिया...
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अधूरे अल्फाज़
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पुरखों की संपत्तियां बेच कर जो तुम निकले हो,
सुना है शहर मे बस बीता भर जमीन है तुम्हारी...
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अधूरे अल्फाज़
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अब हमे देख के लगता तो नहीं हैं लेकिन ,
वो कभी मेरे पसंदीदा हुआ करते थे...
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अधूरे अल्फाज़
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हमको बजट से कोई मतलब नहीं है ,
बस तुम्हारे भाव बढ़ने नहीं चाहिए बात खतम...
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अधूरे अल्फाज़
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मुझे क्या हक है मैं किसी को मतलबी कहूं ,
मैं खुद रब को मुसीबत में याद करता हूं...
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अधूरे अल्फाज़
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ना चांद की चाहत ना सितारों की फरमाइश ,
हर जन्म में तू मिले मेरी बस यही ख्वाहिश...
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अधूरे अल्फाज़
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हमारे बिना न मुक्कमल हो अफसाना तेरा ,
चाहे पूरा शहर ही क्यों न हो दीवाना तेरा...
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अधूरे अल्फाज़
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मेरी नाराज़गी वही ढेर है ,
बस आपके चाय पिलाने तक की देर हैं...
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अधूरे अल्फाज़
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कोई रोए तो उसे चैन से रोने देना,
अश्क आंखों से न निकले तो चुभता बहुत है...
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अधूरे अल्फाज़
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मैं सिर्फ तुम्हें चाहने तक सीमित हूं
तुम हासिल हो जाओ ये जरूरी तो नहीं...
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अधूरे अल्फाज़
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किसी भी उम्र में मिलेंगे तुमसे ऐ सनम,
मेरे हिस्से की मोहब्बत बचा कर रखना।
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अधूरे अल्फाज़
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छोटे हमेशा अपने बड़ों से सीखते हैं !
इबादतें भी ... मोहब्बतें भी... और नफ़रतें भी
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अधूरे अल्फाज़
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मेहमान की तरह आते जाते...
बेघर हो गए हम कमाते-कमाते..
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अधूरे अल्फाज़
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उसके काबिल नहीं थे हम..,
सो हमने फिर...,
आँख पोंछी,दर्द समेटा,दिल उठाया और चलते बने..!!
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अधूरे अल्फाज़
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उसके क़ाबिल नहीं थे हम.... सो फिर हमने..
आँख पोंछी... दर्द समेटा....दिल उठाया... चलते बने....
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अधूरे अल्फाज़
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में हूं है उसकी याद एक अनकही ग़ज़ल
हम तीन लोग रहते हैं एक ख़ाली मकान में
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अधूरे अल्फाज़
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अब वो तलब वो हसरत रही कहां ..
वो दरिया प्यासा था ये समंदर गहरा है ..
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2025/07/08 22:17:01
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