ध्यान कक्षा की पुरानी recordings को Spotify और Amazon Music पर podcasts की तरह रखने की कोशिश कर रहा हूं।

नीचे दिए लिंक से उनको आप सुन सकते हैं और subscribe कर सकते हैं।

Spotify -
https://open.spotify.com/show/0WIHOD3lbcKQHSB2QhFbda?si=GnlVZbAxQ2mcJqL_HlKtJQ

Amazon Music -
https://music.amazon.com/podcasts/6b8367f1-387e-4e12-b16b-6c438a03a4bf/samwad-dhyan-kaksha---%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
∆ उम्र 22 साल, मैं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाता, मास्टरबेशन मेरी सबसे बड़ी समस्या है। इस कारण बहुत तनाव में रहता हूं। कृपया मेरी मदद करें

∆ मैं 30 साल का हूं जब धार्मिक किताबें पढ़ता हूं या ऐसी बातें सुनता हूं, तो मन में बहुत ग्लानि होने लगती है। मुझे लगभग 10-12 साल से मास्टरबेशन की आदत पड़ गई। मुझे रास्ता दिखाएं

∆ कुछ दिनों तक किसी तरह से नियन्त्रण करता हूं परंतु फिर नियंत्रण छूट जाता है। ध्यान करना तो चाहता हूं लेकिन मुझसे यह मास्टरबेशन की आदत नहीं छूट रही, इसलिए ध्यान में भी मन नहीं लगता है। क्या करूं? मेरी उम्र 24 साल की है

इस तरह के बहुत प्रश्न आते हैं, उन्हें उत्तर भी देता हूं उनकी परिस्थिति के हिसाब से।

क्या तुम भी इस तरह की किसी समस्या से परेशान हो ? क्या इस बारे में कोई detail आर्टिकल चाहते हो ??

१. हां, इसकी आवश्कता है
२. नहीं, आर्टिकल की आवश्यकता नहीं है
भाग्य क्या होता है, कर्मों का फल भाग्य पर कैसे प्रभाव डालता है ?

https://open.spotify.com/episode/0oqvSjv7lUNeXd5TPRIh6M?si=cun5r6yJRmyBvqACK3POQg
जब किसी दूसरे को गलत करते देखते हैं तब लगता है मैं तो अच्छा हूँ क्या यह अहंकार है ?
जब दूसरे को अंहकार करते देखते हैं तो स्वयं में भी अहंकार की भावना आती है, क्या यह गलत है ?
https://spotifyanchor-web.app.link/e/IUxHZPtedAb
हठ योग एवं तंत्र में प्रयोग में होनेवाली मुद्राओं में एक महत्वपूर्ण मुद्रा है, - शाम्भवी मुद्रा
ध्यान कक्ष में चर्चा हुई इसी विषय का रिकॉर्डिंग यहाँ प्रस्तुत है।
https://open.spotify.com/episode/48bh0LikhQ2yiR3Ah2LgUt?si=8395db4d68ed40bb&nd=1
आज शाम को ८ बजे एक ध्यान अथवा योग निद्रा की कक्षा रख सकते हैं और उसके बाद थोड़ी देर संवाद कर सकते हैं ...

अगर लोग इच्छुक हैं तो मुझे अवगत कराएं
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46%
इच्छुक हूं, परन्तु समय नहीं है
54%
शामिल रहूंगा/रहूंगी
शाम की 8 बजे वाली कक्षा में शामिल होने के लिए लिंक -
https://meet.google.com/hzj-uyon-xgk
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एक युवा छात्र के प्रश्न का उत्तर है, जो बहुत सारे युवाओं के प्रश्न को उत्तर करेगा। पढ़ो और इसे अपने जीवन में उतारना शुरू करो। अगर कोई प्रश्न उठता है तो मुझसे संपर्क करो।

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1. सबसे पहले सुबह उठना शुरू करना है 5 बजे, निश्चित कर लो चाहे कितने बजे भी सोती हो उठना सुबह 5 बजे ही है।
2. मेरी मेडिटेशन की क्लास होती है सुबह 430 बजे फ्री, लेकिन उसके लिए और पहले उठना होगा
3. सुबह 5:45 तो 7:00 बजे तक योग की क्लास होती है अभी यह भी फ्री है उसको भी ज्वाइन कर सकते हो।
4. सुबह उठना शुरू कर दोगे तो रात जल्दी सोने लगोगे खुद से
5. रिलेशनशिप में रहना है या नहीं रहना है, यह मैं तुम्हारे विवेक पर छोड़ता हूं। लेकिन किसी भी स्थिति को अपने जीवन का बाधा नहीं बनाना है। इसलिए अपनी प्राथमिकता तय करो
6. एक समय निश्चित करो, रात को 10 बजे के बाद मोबाइल का प्रयोग नहीं करोगे। रात 10 बजे के बाद मोबाइल हमेशा अपने बिस्तर से दूर रखो।
7. बिना मोबाइल देखे नींद नहीं आती है तो सोने से पहले किताब पढ़ो
8. अगर सुबह मेरी मेडिटेशन की कक्षा में शामिल नहीं हो सकते हो तो मेरी guided meditation की एक ऑडियो है उससे प्रतिदिन 20 मिनट ध्यान करने का कोशिश करो
9. एक छोटा सा, सरल सा routine बनाओ, जिसे फॉलो करो इससे आत्मविश्वास बढ़ने लगेगा
10. एक छोटा सा लक्ष्य बनाओ जैसे - सुबह जल्दी उठना, किताब पढ़ के सोना, एक दिन बिना मोबाइल के रहना। और उसे हासिल करो ऐसा करने से आत्मविश्वास मजबूत हो जायेगा।
11. धीरे - धीरे पुरे दिन चर्या और रात्रि चर्या को नियमबद्ध करो, अर्थात routine में डाल दो

तुम्हारी सारी परेशानियाँ inter lniked हैं, जैसे ही एक जगह से सुलझाने लगोगे पूरी जिन्दगी सुलझ जायेगी।

यह ध्यान रखना,
अगर तुम्हारी जिन्दगी तुमने नहीं संभाला तो बाकी कोई नहीं संभालेगा।

मदद मेरी तरफ से हमेशा मिलेगा, बस तुम तैयार हो जाओ तुम अपने जीवन में सच में सुधार और बदलाव लाना चाहते हो।
अपने भोजन के प्रति हमेशा सचेत रहें, आपका भोजन आपके शरीर और दिमाग का निर्माण करता है

दिए गए विवरण के आधार पर आप अपने प्रतिदिन के आहार की योजना बना सकते हैं। लौकी के जूस और मेथी के पानी के अलावा बाकी का उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है।

नाश्ता
सुबह खाली पेट एक गिलास सफेद लौकी का जूस (इसे एक बार में केवल 3 सप्ताह तक ही लें, जिन्हें सर्दी या खांसी है उन्हें जूस तुरंत बंद कर देना चाहिए)

कम खाएं या मिर्च, मसाले और तले हुए खाद्य पदार्थ बिल्कुल न खाएं (लौकी का जूस पेट को ज्यादा साफ रखता है, इसलिए संक्रमण का खतरा रहता है)

जूस की जगह मेथी का पानी पियें (यह भी लगातार 21 दिन तक)
- एक चम्मच मेथी को रात भर पानी में भिगो दें, सुबह खाली पेट उस पानी को पी लें और मेथी के दानों को चबा लें या पूरा निगल लें।

2. लगभग 1/2 घंटे जूस पीने के बाद "नाश्ता"।
नाश्ते के समय -
- सब्जी के साथ पोहा
- बेसन या पुराने अनाज से बना चीला
- इडली
- कोई भी फल (केले को छोड़कर)
- नाश्ते में कुछ सूखे मेवे (काजू, बादाम, पिस्ता आदि) खाएं। मात्रा बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अनिवार्य भी नहीं
-रोटी/चावल/पराठा जितना हो सके कम खाएं

सुबह का भोजन सबसे अधिक पौष्टिक होना चाहिए

दिन का खाना
दोपहर के खाने में भी आप सब कुछ खा सकते हैं, हो सके तो छाछ, नहीं तो खाने में दही जरूर शामिल करें.
- दो रोटी और एक कटोरा चावल (इस भोजन में जोड़ा जा सकता है)
- दही चावल
- छाछ
- सब्जियाँ आदि।

दोपहर के भोजन से 1/2 घंटा पहले एक कटोरी (खीरा, लौकी या लौकी) रायता या सलाद खाएं।

शाम का नाश्ता
शाम के नाश्ते के रूप में दो मुट्ठी भीगी हुई मूंगफली या मूंग (चना, मूंग) खाएं

रात का खाना
इसे सूर्यास्त से पहले या बिस्तर पर जाने से कम से कम 2 घंटे पहले करने का प्रयास करें।
रात का खाना कम खायें
-
- आप बेसन का चीला (डोसा) या थोड़ा सा दलिया (गेहूं, भूलभुलैया, जौ, बाजरा - रोज बदलते रहें) खा सकते हैं.
- अगर आपने दोपहर में रोटी नहीं खाई है तो आप एक रोटी या दो रोटी खा सकते हैं.
- रात के समय चावल या कोई भी तला हुआ खाना न खाएं।

एक गिलास गुनगुने दूध में हल्दी डालकर पियें। जिन लोगों को दूध पीने से गैस बनती है उन्हें सोने से 1/2 घंटा पहले दूध पीना चाहिए।

तीनों समय भोजन करते समय एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखें,
भूख को 4 भागों में बांट लें, दो भाग ठोस, एक भाग तरल और एक भाग खाली रखें।

कुछ और बातें जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए -

1. कम से कम 45 मिनट तक योगाभ्यास अवश्य करें
2. 15 मिनट का ध्यान अभ्यास या कम से कम शवासन
3. दिन में कम से कम एक बार खाना जमीन पर बैठकर खाएं। संभव हो सके तो दिन के तीनों समय का खाना भूमि पर बैठकर खाएं।
4. चीनी का उपयोग 100% बंद करें ( यदि संभव न हो तो गुड़ या शहद का प्रयोग करें )
5. अपने नमक के उपयोग को प्रति दिन 5 ग्राम तक सीमित करने का प्रयास करें। ( जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या है उन्हें नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. नमक की मात्रा आप धीरे-धीरे बदल सकते हैं )
6. अगर अचानक मीठा खाने की इच्छा तीव्र हो जाए तो कुछ किशमिश चबाकर खाएं और पानी पी लें।
7. दिन के तीनों भोजन में रोटी/चावल कम खाएं; इसे अचानक रोकने की कोई जरूरत नहीं है. इसकी जगह बाजरे के दानों का प्रयोग करें।
8. जब भी खाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि खाना जीभ के लिए नहीं बल्कि शरीर को चलाने के लिए जरूरी है।
9. सप्ताह में कम से कम एक बार खिचड़ी खाएं.
10. सप्ताह में एक दिन या आधे दिन का उपवास अवश्य रखें।
ध्यान कक्षा ४:३० सुबह

ध्यान एक प्रक्रिया नहीं बल्कि अवस्था है, इस बात को हमेशा से मन में बिठाए रखें। तो जब कभी कोई आपको ध्यान साधना सीखने या सिखाने की बात करता है तो बस इतना ही समझें कि कैसे ध्यान की अवस्था तक पहुंचा जाए वह रास्ता दिखाया जायेगा। 

वह रास्ता भी बहुत महत्त्वपूर्ण है परन्तु उससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाता है बताए गए रास्ते पर चलना। अगर आप सोचें सिर्फ ध्यान से सम्बन्धित बातें बहुत दिनों, महीनों और सालों तक भी सुनते रहें ध्यान की अवस्था तक पहुंच सकेंगे, ऐसा संभव नहीं हो सकेगा।

उसके लिए प्रयास और अभ्यास एक मात्र उपाय है।

यहां सुबह ब्रह्ममुहुर्त की ध्यान कक्षा में सांसों पर ध्यान का अभ्यास करते और करना सीखते हैं।

प्रक्रिया अगर समझ कर रखें तो सुबह के ध्यान साधना का अधिक लाभ उठा सकेंगे 

१. यह कोई जादू नहीं है किसी भी चमत्कार की अपेक्षा नहीं रखना
२. ध्यान साधना के अभ्यास के समय मन में विचार आते जाते रहेंगे, इनसे अचानक से शून्य नहीं हो पाओगे। इसके प्रति कोई आशा या चिंता नहीं करना।
३. किसी भी तरह की उम्मीद या आशा लेकर नहीं बैठना की आज ध्यान की स्थिति हो ही जायेगी। यही आशा/निराशा, यही चाहत आपके लिए ध्यान में बाधा बनेगी।
४. ध्यान साधना की प्रक्रिया आपको रोचक शायद न भी लगे, क्योंकि यह अपने ही मन को नियंत्रित करने का तरीका है। इसलिए आपका मन विचलित होगा बार बार।
५. ध्यान का साधना की शुरुआत किसी भी प्रक्रिया से शुरू की जा सकती है। कोई गलत, कोई सही है इस तरह बातों में नहीं उलझना।
६. यहां सुबह शुरुआत में ध्यान के लिए, आपको सांसों के आवागमन और उसके साथ कुछ गिनती करने को कहा जा सकता है अथवा सिर्फ सांसों के आवागमन पर ध्यान रखने को कहा जाता है। उद्देश्य सिर्फ यही होता है आपकी एकाग्रता बढ़े
७. ध्यान की स्थिति एकाग्रता के बाद की ही स्थिति है।

कोई भी दुविधा या परेशानी होती है तो प्रश्न पूछ लिया करो, अनुमान लगाकर आगे नहीं बढ़ो। ऐसा करने से आपका बहुत सारा मूल्यवान समय नष्ट होता है।
गुरुजी एक बात पूछनी थी मुझे,,
Q. जैसे दुनिया में जितने भी महान लोग हुए है, जिन्होंने दौलत और शोहरत दोनो ही कमाए हो, जैसे लता मंगेशकर जी हैं, सचिन तेंदुलकर हैं,, जिन्होंने भारत रत्न को प्राप्त किया हो,, क्या उनको भी अपने फिर से नए जन्म में आत्मा की यात्रा करने पड़ेगी,, मेरा मतलब ध्यान की यात्रा में ही लगना पड़ेगा फिर से इस संसार में
तभी उनकी मुक्ति हो पाएगी??


~ 

दौलत और शोहरत कभी भी इस जीवन चक्र से मुक्ति नहीं दिलाती है। क्योंकि न उसे पैसे से खरीदा जा सकता है न ही प्रतिष्ठा से पाया जा सकता है।

बल्कि ठीक इसके उल्टे, पैसे और प्रतिष्ठा के मोह में इन्सान इस बंधन में और ज्यादा बंधा रहता है। 

राजकुमार सिद्धार्थ के पास पद, प्रतिष्ठा, धन आदि सब कुछ था लेकिन शान्ति और मोक्ष की तलाश में सब त्याग करना ही पड़ा। सब त्याग के बाद जो बचा वही गहरी शान्ति हुई, वहीं से मुक्ति का मार्ग निकला। तभी वो बुद्ध कहलाए।

सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध हो गए।


अगर आपके पास भी कोई प्रश्न जो आपको परेशान करती हो अथवा ध्यान व योग से सम्बन्धित कोई प्रश्न हो तो प्रश्न अवश्य पूछें।

एक छोटा सा मार्गदर्शन आपकी पूरी जीवन यात्रा को साकारात्मक दिशा दे सकता है।

Telegram / Instagram - @dhyankakshaorg
गुरु जी....अगर किसीके साथ कुछ गलत होता है ,
जैसे किसके साथ दुर्व्यवहार या कोई गलत आरोप या उसकी जिंदगी के साथ कोई गलत फैसला या फिर उसके साथ भेदभाव , या समाज में बदनामी करना, उसके साथ मारपीट करना गालियां देना..!

तो उस व्यक्ति के कई प्रयत्न करने के बाद भी कुछ ठीक न होना, तब उसको अपने पूर्व जन्म के कर्म का फल समझते हुए उस अन्याय को सहना चाहिए या उसको आवाज उठानी चाहिए अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ और सजा दिलानी चाहिए...?
क्योंकि अगर हमसे पिछले जन्म में कुछ गलत हुआ हो तो वो फल तो हम हर हाल में भुगतना ही पड़ेगा ना...?


उत्तर -

इसको एक कहानी की तरह समझते हैं ...
एक बार चिमनीलाल और उसका दोस्त नटवर 100- 100 बीज का रोपण करते हैं। जान के कहो या अनजाने में चिमनी ने आम के बीज बोए और नटवर ने बबूल के।

समय गुजरा दोनों बीज पेड़ बन गए, अब आमतौर पर देख के तो ऐसा ही प्रतीत होता है की चिमनी की जिन्दगी खुशहाल हो गई लाभ ही लाभ।

लेकिन हुआ क्या यह देखो, आम के सारे वृक्ष पर अभी फल आए नहीं थे। कुछ एक पेड़ फलते भी तो वह भी साल में 3 महीने वह भी बच्चे खा जाते घर में ही। इधर नटवर, कभी ईंधन के लिए तो कभी फर्नीचर के लिए लकड़ी सालों भर कुछ न कुछ बेचता रहता।

नटवर को देख चिमनी ने भी आम को काट के लकड़ी बेच डाला सालों भर। अगले साल बबूल फिर हरे भरे हो गए लेकिन आम का बाग उजड़ चुका था।

इस साधारण सी कहानी की तरह ही है सब कुछ,
दुःख और सुख तो हमारे वर्तमान वाले कामों से बनते हैं।

जो बोया है जाने अनजाने में वह तो आयेगा, लेकिन हम उस आने वाली स्थिति के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, कैसे संतुलन रखते हैं वही सुख और दुख को निर्धारित करता है।

कहानी में नटवर की बीज लगाने की भूल के कारण, कांटों वाला पेड़ आ गया। लेकिन उसने संयम से उस बुरी स्थिति को अपने पक्ष में कर लिया।

इसलिए बस संयम से देखो, स्थिति चाहे कितनी भी बुरी क्यों न हो उससे बाहर निकलने और उसको अपने लिए अच्छा बनाने का सूत्र जरूर होगा।

बस मानसिक शांति और संयम ही तय करेगा तुम्हारा वर्तमान कैसा रहेगा। क्योंकि इतिहास में जी नहीं सकते और भविष्य तभी जी सकते हैं जब वह वर्तमान बन आयेगा तुम्हारे सामने।
2024/05/02 15:20:09
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