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कैसे उस को दिल की हालत समझाऊँ...!!

बात करूँ तो सहाब आँख चुराने लगता है...!!

𝑲𝑰𝑵𝑮 𝑺𝑨𝑯𝑨𝑩
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हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला...!
हम को जो भी मिला बेवफा यार मिला...!!

अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी...!
हर कोई मकसद का तलबगार मिला...!!

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भले किसी ग़ैर की जागीर थी वो...!
पर मेरे ख्वाबों की तस्वीर थी वो...!!

मुझे मिलती तो कैसी मिलती...!
किसी और के हिस्से की तकदीर थी वो...!!

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कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी...!
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी...!!

सहाब बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने...!
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी...!!

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कैसे यकीन करें हम तेरी मोहब्बत का...!!

जब बिकती है बेवफाई तेरे ही नाम से...!!

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तस्वीर में भी बदले हुए हैं उनके तेवर...!!

आँखों में मुरब्बत का कहीं नाम नहीं है...!!

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समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से...!!

अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी...!!

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वो कब का भूल चुका होगा हमारी वफ़ा का किस्सा...!!

बिछड़ के किसी को किसी का ख्याल कब रहता है...!!

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इश्क़ ने जब माँगा खुदा से दर्द का हिसाब...!!

वो बोले हुस्न वाले ऐसे ही बेवफाई किया करते हैं...!!

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किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो...!
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो...!!

मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना...!
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो...!!

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उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा...!!

दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है...!!

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मुझे उससे कोई शिकायत ही नहीं सहाब...!
शायद हमारी किस्मत में चाहत ही नहीं...!!

मेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुकर गया...!
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नहीं...!!

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दिल को तर्ज़-ए-निगह-ए-यार जताते आए...!
तीर भी आए तो बे-पर की उड़ाते आए...!!

बादशाहों का है दरबार दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ...!
सैकड़ों जाते गए सैकड़ों आते आए...!!

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आईना मेरा मेरे अपनों से बढ़कर निकला…!!

जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया…!!

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लगी है मुझको गुलाबों की बद्दुआ शायद…!!

जिनको तोड़ा था मैंने कभी तेरे लिए…!!

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मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था…!!

दिल के टुकड़े हो गये पर लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था…!!

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ऐ खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर दे…!!

या इश्क को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर दे…!!

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बहुत सोचकर सहाब बाजार गए थे अपने कुछ आँसु बेचने…!!

हर खरीददार बोला अपनों के दिये तोहफे बेचा नहीं करते…!!

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मैं भी सनम बनाता सहाब किसी को तराश कर…!!

मुझको मेरे मिजाज का कहीं पत्थर नहीं मिला…!!

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मोहब्बत करने वालों को वक्त कहाँ जो गम लिखेंगे…!!

ऐ-दोस्तों कलम इधर लाओ…!

इन बेवफाओं के बारे में हम लिखेंगे…!!

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2025/07/01 12:54:13
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