अहंकार का अंत (एक विशाल पेड़ और तिनके की शिक्षाप्रद कहानी)
एक समय की बात है, एक खुला विशाल मैदान था जहाँ दूर-दूर तक हरियाली फैली हुई थी। उसी मैदान के बीचोंबीच एक बहुत ही विशाल और घना पेड़ खड़ा था। उसकी शाखाएँ चारों ओर फैली थीं, और उसकी जड़ें बहुत गहराई तक फैली हुई थीं। वह पेड़ अपने आप में बहुत गर्व महसूस करता था। उसके आसपास के छोटे पौधे, झाड़ियाँ, घास के तिनके — सभी उसकी छाया में रहते थे और उसकी ताकत से प्रभावित होकर उसे बहुत आदर देते थे।
पेड़ को लगता था कि वह इस मैदान का राजा है, और बाकी सब केवल उसकी सेवा के लिए हैं। उसके भीतर घमंड भर चुका था। वह अपने से छोटे किसी भी जीव या पौधे को कोई महत्व नहीं देता था।
एक दिन, आकाश में काले बादल छा गए। तेज़ हवाएं चलने लगीं और तूफान आने के संकेत मिलने लगे। सारे पक्षी उड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए। मैदान में खड़े सभी छोटे-बड़े पौधे डर के मारे काँपने लगे।
उसी समय, एक छोटा सा तिनका, जो तेज़ हवा में उड़ रहा था, पेड़ के पास आकर गिरा। तिनका बहुत हल्का था और तूफान के झोंकों में अपना संतुलन खो बैठा था। उसने पेड़ से विनम्रता से कहा,
"हे महान पेड़, मैं एक छोटा और निर्बल तिनका हूँ। यह तूफान मुझे उड़ा ले जाएगा। क्या मैं आपकी जड़ों के पास शरण ले सकता हूँ? आपकी जड़ें तो गहरी हैं, वहाँ मैं सुरक्षित रह पाऊँगा।"
पेड़ ने घमंड भरे स्वर में कहा,
"तिनके, तुम बहुत ही छोटे और तुच्छ हो। मैं इतना विशाल और ताकतवर हूँ कि मुझे किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं है। तुम्हारी उपस्थिति मेरे सम्मान को ठेस पहुँचाएगी। जाओ यहाँ से, मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं।"
बेचारा तिनका दुखी होकर वहाँ से चला गया और पास ही एक चट्टान की दरार में छिप गया। थोड़ी ही देर में तूफान पूरी शक्ति से मैदान पर टूट पड़ा। हवाएं भयानक गति से चलने लगीं। तेज़ वर्षा और गरजती बिजली ने सबको हिला कर रख दिया।
पेड़ ने भी अपनी पूरी ताकत से तूफान का सामना करने की कोशिश की। वह अपने आप को बहुत मजबूत समझता था, परंतु तूफान की शक्ति उससे कहीं अधिक थी। ज़ोरदार हवाओं ने उसकी जड़ों को ढीला कर दिया और अंत में वह विशाल पेड़ जमीन से उखड़ कर गिर पड़ा। उसकी टहनियाँ टूट गईं, और वह मैदान में नष्ट होकर बिखर गया।
तूफान के थमने के बाद, तिनका धीरे-धीरे बाहर निकला और देखा कि वह विशाल पेड़, जो कभी खुद को सबसे ताकतवर समझता था, अब धरती पर पड़ा हुआ है। तिनका शांत था, सुरक्षित था, और उसने सोचा —
"जिसने मुझे तुच्छ समझकर ठुकरा दिया था, उसका घमंड ही उसकी विनाश का कारण बन गया। मैं छोटा हूँ, पर विनम्रता और बुद्धिमत्ता के कारण आज सुरक्षित हूँ।"
सीख:
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अहंकार और घमंड का परिणाम विनाश होता है। जो व्यक्ति विनम्र होता है, वही विपरीत परिस्थितियों में भी सुरक्षित रहता है। हमें कभी भी किसी को छोटा या तुच्छ नहीं समझना चाहिए। हो सकता है, आज जो हमें छोटा लग रहा हो, वही कल किसी बड़ी शिक्षा का कारण बने। जीवन में विनम्रता, दयालुता, और सहनशीलता सबसे बड़ी ताकत होती है।
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एक समय की बात है, एक खुला विशाल मैदान था जहाँ दूर-दूर तक हरियाली फैली हुई थी। उसी मैदान के बीचोंबीच एक बहुत ही विशाल और घना पेड़ खड़ा था। उसकी शाखाएँ चारों ओर फैली थीं, और उसकी जड़ें बहुत गहराई तक फैली हुई थीं। वह पेड़ अपने आप में बहुत गर्व महसूस करता था। उसके आसपास के छोटे पौधे, झाड़ियाँ, घास के तिनके — सभी उसकी छाया में रहते थे और उसकी ताकत से प्रभावित होकर उसे बहुत आदर देते थे।
पेड़ को लगता था कि वह इस मैदान का राजा है, और बाकी सब केवल उसकी सेवा के लिए हैं। उसके भीतर घमंड भर चुका था। वह अपने से छोटे किसी भी जीव या पौधे को कोई महत्व नहीं देता था।
एक दिन, आकाश में काले बादल छा गए। तेज़ हवाएं चलने लगीं और तूफान आने के संकेत मिलने लगे। सारे पक्षी उड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए। मैदान में खड़े सभी छोटे-बड़े पौधे डर के मारे काँपने लगे।
उसी समय, एक छोटा सा तिनका, जो तेज़ हवा में उड़ रहा था, पेड़ के पास आकर गिरा। तिनका बहुत हल्का था और तूफान के झोंकों में अपना संतुलन खो बैठा था। उसने पेड़ से विनम्रता से कहा,
"हे महान पेड़, मैं एक छोटा और निर्बल तिनका हूँ। यह तूफान मुझे उड़ा ले जाएगा। क्या मैं आपकी जड़ों के पास शरण ले सकता हूँ? आपकी जड़ें तो गहरी हैं, वहाँ मैं सुरक्षित रह पाऊँगा।"
पेड़ ने घमंड भरे स्वर में कहा,
"तिनके, तुम बहुत ही छोटे और तुच्छ हो। मैं इतना विशाल और ताकतवर हूँ कि मुझे किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं है। तुम्हारी उपस्थिति मेरे सम्मान को ठेस पहुँचाएगी। जाओ यहाँ से, मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं।"
बेचारा तिनका दुखी होकर वहाँ से चला गया और पास ही एक चट्टान की दरार में छिप गया। थोड़ी ही देर में तूफान पूरी शक्ति से मैदान पर टूट पड़ा। हवाएं भयानक गति से चलने लगीं। तेज़ वर्षा और गरजती बिजली ने सबको हिला कर रख दिया।
पेड़ ने भी अपनी पूरी ताकत से तूफान का सामना करने की कोशिश की। वह अपने आप को बहुत मजबूत समझता था, परंतु तूफान की शक्ति उससे कहीं अधिक थी। ज़ोरदार हवाओं ने उसकी जड़ों को ढीला कर दिया और अंत में वह विशाल पेड़ जमीन से उखड़ कर गिर पड़ा। उसकी टहनियाँ टूट गईं, और वह मैदान में नष्ट होकर बिखर गया।
तूफान के थमने के बाद, तिनका धीरे-धीरे बाहर निकला और देखा कि वह विशाल पेड़, जो कभी खुद को सबसे ताकतवर समझता था, अब धरती पर पड़ा हुआ है। तिनका शांत था, सुरक्षित था, और उसने सोचा —
"जिसने मुझे तुच्छ समझकर ठुकरा दिया था, उसका घमंड ही उसकी विनाश का कारण बन गया। मैं छोटा हूँ, पर विनम्रता और बुद्धिमत्ता के कारण आज सुरक्षित हूँ।"
सीख:
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अहंकार और घमंड का परिणाम विनाश होता है। जो व्यक्ति विनम्र होता है, वही विपरीत परिस्थितियों में भी सुरक्षित रहता है। हमें कभी भी किसी को छोटा या तुच्छ नहीं समझना चाहिए। हो सकता है, आज जो हमें छोटा लग रहा हो, वही कल किसी बड़ी शिक्षा का कारण बने। जीवन में विनम्रता, दयालुता, और सहनशीलता सबसे बड़ी ताकत होती है।
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