◾️ प्रयास करो तमाशा मत देखो ◾️

एक गाँव में आग लग गई। आग बढ़ती जा रही थी और गाँव वाले अपनी जान बचाने हेतु इधर-उधर भाग रहे थे। एक चिड़िया ने यह दृश्य देखा और अपनी चोंच में पानी भरकर आग बुझाने का प्रयास करने लगी। वो बार-बार अपनी चोंच में पानी लाती और आग पर डालती। जब गाँव वालों ने चिड़िया को आग पर पानी डालते देखा तो उनमें भी जोश आ गया और बोले कि अगर ये चिड़िया प्रयास कर रही है तो हम क्यों नहीं कर सकते। सबने प्रयास किया और आग बुझ गई।

ये सब एक कौआ देख रहा था। उसने चिड़िया से कहा कि तेरे पानी डालने से कुछ होना तो था नहीं, फिर तू ये क्यों कर रही थी?

चिड़िया बोली, मेरे पानी डालने से कुछ हुआ या नहीं हुआ लेकिन मुझे गर्व है कि जब भी इस आग की बात होगी तो मेरी गिनती आग बुझाने वालों तेरी तरह तमाशा देखने वालों में नहीं।

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मनोवैज्ञानिक फैक्ट
◾️लोहार की ईमानदारी

एक बढ़ई किसी गांव में काम करने गया, लेकिन वह अपना हथौड़ा साथ ले जाना भूल गया। उसने गांव के लोहार के पास जाकर कहा, 'मेरे लिए एक अच्छा सा हथौड़ा बना दो।

मेरा हथौड़ा घर पर ही छूट गया है।' लोहार ने कहा, 'बना दूंगा पर तुम्हें दो दिन इंतजार करना पड़ेगा। हथौड़े के लिए मुझे अच्छा लोहा चाहिए। वह कल मिलेगा।'

दो दिनों में लोहार ने बढ़ई को हथौड़ा बना कर दे दिया। हथौड़ा सचमुच अच्छा था। बढ़ई को उससे काम करने में काफी सहूलियत महसूस हुई। बढ़ई की सिफारिश पर एक दिन एक ठेकेदार लोहार के पास पहुंचा।

उसने हथौड़ों का बड़ा ऑर्डर देते हुए यह भी कहा कि 'पहले बनाए हथौड़ों से अच्छा बनाना।' लोहार बोला, 'उनसे अच्छा नहीं बन सकता। जब मैं कोई चीज बनाता हूं तो उसमें अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखता, चाहे कोई भी बनवाए।'

धीरे-धीरे लोहार की शोहरत चारों तरफ फैल गई। एक दिन शहर से एक बड़ा व्यापारी आया और लोहार से बोला, 'मैं तुम्हें डेढ़ गुना दाम दूंगा, शर्त यह होगी कि भविष्य में तुम सारे हथौड़े केवल मेरे लिए ही बनाओगे। हथौड़ा बनाकर दूसरों को नहीं बेचोगे।'

लोहार ने इनकार कर दिया और कहा, 'मुझे अपने इसी दाम में पूर्ण संतुष्टि है। अपनी मेहनत का मूल्य मैं खुद निर्धारित करना चाहता हूं। आपने फायदे के लिए मैं किसी दूसरे के शोषण का माध्यम नहीं बन सकता।

आप मुझे जितने अधिक पैसे देंगे, उसका दोगुना गरीब खरीदारों से वसूलेंगे। मेरे लालच का बोझ गरीबों पर पड़ेगा, जबकि मैं चाहता हूं कि उन्हें मेरे कौशल का लाभ मिले। मैं आपका प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर सकता।'

सेठ समझ गया कि सच्चाई और ईमानदारी महान शक्तियां हैं। जिस व्यक्ति में ये दोनों शक्तियां मौजूद हैं, उसे किसी प्रकार का प्रलोभन अपने सिद्धांतों से नहीं डिगा सकता।
मेहनत तो हर फ़ील्ड में करनी पड़ेगी दोस्त बेकार पड़े रहने से तो लोहे में भी ज़ंक लग जाता है ।


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सहनशील होना अच्छी बात है..
पर अन्याय का विरोध करना उससे भी
उत्तम है..!! 💯
2024/05/16 20:29:21
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