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🚨 केरल घर बैठे शादी रजिस्ट्रेशन करने वाला देश का पहला राज्य बना
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🚨 सुरेंद्र हॉल
👉 नई दिल्ली स्थित एयर फोर्स सेंट्रल मेडिकल एस्टेब्लिशमेंट में एक हॉल का नाम ऑपरेशन सिंदूर में शहीद होने वाले वायु सेवा के वॉरियर सार्जेंट झुंझुनू के सुरेंद्र मोगा के नाम पर रखा गया है।
👉 नई दिल्ली स्थित एयर फोर्स सेंट्रल मेडिकल एस्टेब्लिशमेंट में एक हॉल का नाम ऑपरेशन सिंदूर में शहीद होने वाले वायु सेवा के वॉरियर सार्जेंट झुंझुनू के सुरेंद्र मोगा के नाम पर रखा गया है।
हवामहल प्रदर्शनी – जयपुर
▪️ हवामहल, जयपुर में मिस्र के राजा तुतानखामून के 3500 साल पुराने मकबरे की रैप्लिकाएं प्रदर्शित।
▪️ प्रदर्शनी 31 अक्टूबर 2025 तक आयोजित होगी।
▪️आयोजन – राजस्थान पर्यटन विभाग एवं धोरा इंटरनेशनल आर्टिस्ट सोसायटी।
▪️ हवामहल, जयपुर में मिस्र के राजा तुतानखामून के 3500 साल पुराने मकबरे की रैप्लिकाएं प्रदर्शित।
▪️ प्रदर्शनी 31 अक्टूबर 2025 तक आयोजित होगी।
▪️आयोजन – राजस्थान पर्यटन विभाग एवं धोरा इंटरनेशनल आर्टिस्ट सोसायटी।
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दर 'भरतपुर'-कुछ चित्रित शैलाश्रय खोजे गए हैं जिनमें व्याघ्र, बारहसिंघा, मानव आकृति एवं सूर्य का चित्रांकन किया गया है
आलनिया, मानपुरा, तिपटिया 'कोटा' स्थानों पर शैलचित्र मिले हैं डॉ. जगतनारायण श्रीवास्तव ने 1978 में हाड़ौती के घने जंगलों और पथरीली कंदराओं में शैलचित्रों की खोज की थी।
इन्द्रगढ़ 'कोटा' यहाँ से 1870 ई. में सी.ए.हैकेट को पत्थर के औजार हैण्डएक्स, एश्यूलियन, क्लीवर मिले है।
गरदड़ा सभ्यता 'बूंदी'- यहाँ छाजा नदी किनारे पहली बर्ड की पेटिंग है
बांका भीलवाड़ा _यहां राज्य कि पहली अलंकृत गुफा मिली थी,
#important ❤️👆
आलनिया, मानपुरा, तिपटिया 'कोटा' स्थानों पर शैलचित्र मिले हैं डॉ. जगतनारायण श्रीवास्तव ने 1978 में हाड़ौती के घने जंगलों और पथरीली कंदराओं में शैलचित्रों की खोज की थी।
इन्द्रगढ़ 'कोटा' यहाँ से 1870 ई. में सी.ए.हैकेट को पत्थर के औजार हैण्डएक्स, एश्यूलियन, क्लीवर मिले है।
गरदड़ा सभ्यता 'बूंदी'- यहाँ छाजा नदी किनारे पहली बर्ड की पेटिंग है
बांका भीलवाड़ा _यहां राज्य कि पहली अलंकृत गुफा मिली थी,
#important ❤️👆
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चन्द्रावती' झालावाड़-यह एक मध्यपाषाणकालीन स्थल यहाँ से एक चर्ट पत्थर प्राप्त हुआ है जिस पर रेखाचित्र बना हुआ है।
सोजत व धनेरी 'पाली'- लघुपाषाणकालीन स्थल है।
होकरा 'अजमेर'- पुरापाषाणकालीन सभ्यता स्थल ।
हसरौरा 'अलवर '_ चित्रित शैलाश्रय प्राप्त हुए थे
#important ❤️👍
सोजत व धनेरी 'पाली'- लघुपाषाणकालीन स्थल है।
होकरा 'अजमेर'- पुरापाषाणकालीन सभ्यता स्थल ।
हसरौरा 'अलवर '_ चित्रित शैलाश्रय प्राप्त हुए थे
#important ❤️👍
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✅ सूजस एग्जाम बन्धु सार
📌 खेजड़ी – राजस्थान का जीवन वृक्ष
🔹 वैज्ञानिक नाम: Prosopis cineraria
🔹 परिवार: Fabaceae (दलहनी कुल)
🔹 राजस्थान का राज्य वृक्ष: खेजड़ी
🔹 लोक नाम: शमी, झांटी, जांटी
🔹 महत्व: थार के रेगिस्तान में जीवन देने वाला पेड़ (संज्ञालों का देवता)
📌 पर्यावरणीय महत्व:
📌 पशु चारे के रूप में उपयोग (लूंग):
📌 खाद्य उपयोग (सांगरी):
📌 कृषि महत्व व उत्पादकता:
📌 काजरी (CAZRI) का योगदान:
📌 सामाजिक व धार्मिक महत्व:
📌 अन्य उपयोग:
🔹
📌 विशेष तथ्य:
📌 खेजड़ी – राजस्थान का जीवन वृक्ष
🔹 वैज्ञानिक नाम: Prosopis cineraria
🔹 परिवार: Fabaceae (दलहनी कुल)
🔹 राजस्थान का राज्य वृक्ष: खेजड़ी
🔹 लोक नाम: शमी, झांटी, जांटी
🔹 महत्व: थार के रेगिस्तान में जीवन देने वाला पेड़ (संज्ञालों का देवता)
📌 पर्यावरणीय महत्व:
🔹
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है (नाइट्रोजन स्थिरीकरण)
🔹 भूमि की नमी व तापमान बनाए रखता है
🔹 मरुस्थलीकरण रोकने में सहायक
🔹 छाया से फसलें बचाता है (फसल उत्पादकता बढ़ती है)
📌 पशु चारे के रूप में उपयोग (लूंग):
🔹 क्रूड प्रोटीन – 14-18%
🔹 फाइबर – 15-20%
🔹 खनिज तत्व – 8%
🔹 यह पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला चारा है।
📌 खाद्य उपयोग (सांगरी):
🔹 प्रोटीन – 8%
🔹 कार्बोहाइड्रेट – 58%
🔹 रेशा – 28%
🔹 वसा – 2%
🔹 कैल्शियम – 0.4%
🔹 लौह – 0.2%
🔹 सांगरी व लूंग राजस्थान की प्रसिद्ध सब्जी में प्रयोग होती है।
📌 कृषि महत्व व उत्पादकता:
🔹 खेत में 300 पेड़/हेक्टेयर → गेहूं उपज 14% अधिक
🔹 खेत में 1400 पेड़/हेक्टेयर → ज्वार उपज 52% अधिक
🔹 मिट्टी की नमी, उर्वरता एवं कार्बन स्टॉक बढ़ाता है।
🔹 कृषि-वानिकी मॉडल में अन्य फसलों के साथ लगाना लाभदायक।
📌 काजरी (CAZRI) का योगदान:
🔹 कृषि-वानिकी मॉडल विकसित
🔹 खेजड़ी के साथ बाजरा, ग्वार, मूंग आदि की फसलें लगाने की वैज्ञानिक तकनीक
🔹 किसान की आय 3–4 गुना बढ़ाने में मददगार
📌 सामाजिक व धार्मिक महत्व:
🔹 बिश्नोई समाज में खेजड़ी पवित्र मानी जाती है।
🔹 1730 ई. का खेजड़ली बलिदान – अमृता देवी बिश्नोई व 363 लोगों ने खेजड़ी वृक्षों की रक्षा हेतु बलिदान दिया।
🔹 दशहरा पर शमी पूजा की जाती है
।📌 अन्य उपयोग:
🔹
लकड़ी – ईंधन व औजार बनाने में
🔹 गोंद – औषधीय उपयोग
🔹 छाल – औषधि के रूप में (त्वचा रोग, घाव)
🔹 सूखी डालियाँ – ईंधन के रूप में
📌 विशेष तथ्य:
🔹 इसे "मरुधरा का कल्पवृक्ष" कहा जाता है।
🔹 50°C तक तापमान सहन कर सकता है।
🔹 200-300 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में भी हरा-भरा रहता है
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राजस्थान में महिला साक्षरता 52.1%
ग्रामीण महिला साक्षरता 45.8%
शहरी महिला साक्षरता 70.9%
महिला साक्षरता में 60%से अधिक साक्षरता वाले 3जिले यथा कोटा(65.9%),जयपुर(64.0%),झुंझुनू(61.0%)
40%से कम साक्षरता वाले 3जिले यथा जालौर (38.5%), सिरोही (39.7%), जैसलमेर (39.7%)
ग्रामीण महिला साक्षरता 45.8%
शहरी महिला साक्षरता 70.9%
महिला साक्षरता में 60%से अधिक साक्षरता वाले 3जिले यथा कोटा(65.9%),जयपुर(64.0%),झुंझुनू(61.0%)
40%से कम साक्षरता वाले 3जिले यथा जालौर (38.5%), सिरोही (39.7%), जैसलमेर (39.7%)
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