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सरंक्षित क्षेत्र
बालेश्वर - नीमकाथाना
अमरख महादेव - उदयपुर
महाशीर - उदयपुर
गंगा भैरव घाटी - अजमेर
बालेश्वर - नीमकाथाना
अमरख महादेव - उदयपुर
महाशीर - उदयपुर
गंगा भैरव घाटी - अजमेर
यह पशु परिचर वालों के लिए...❤️👆
राजस्थान चतुर्थ श्रेणी मे जाॅब चार्ट सभी को पता है इस लिए सोच समझकर जाॅइनिग करना ताकि रिजाइन देने का का विचार न करने पड़ा।
⤷ पशु परिचर मे जाॅइनिग लेने वाले स्टूडेंट के रुझान आप भी देख सकते है उनका भी जाॅब चार्ट पहले जारी किया गया था
⤷ काफी इंटेलिजेंट मेहनती स्टूडेंट को यह जाॅब सुट नही करेंगी और वह अपने आप को असहज महसूस करेंगे...इसलिए जाॅइनिग से पहले एक बार गहन अध्ययन कर लेना।
⤷ कोचिंग वालो ने भी पशु परिचर और चतुर्थ श्रेणी को अधिकारी बना दिया ताकि उनकी अस्त्र शस्त्र वाली बुक्स और कोर्स चल सके, अब भुगतना उनको पड़ रहा है इतना बड़ा चढ़ाकर नहीं दिखाना चाहिए था, थोड़ा वास्तविकता से भी रुबरू करवाना था...
राजस्थान चतुर्थ श्रेणी मे जाॅब चार्ट सभी को पता है इस लिए सोच समझकर जाॅइनिग करना ताकि रिजाइन देने का का विचार न करने पड़ा।
⤷ पशु परिचर मे जाॅइनिग लेने वाले स्टूडेंट के रुझान आप भी देख सकते है उनका भी जाॅब चार्ट पहले जारी किया गया था
⤷ काफी इंटेलिजेंट मेहनती स्टूडेंट को यह जाॅब सुट नही करेंगी और वह अपने आप को असहज महसूस करेंगे...इसलिए जाॅइनिग से पहले एक बार गहन अध्ययन कर लेना।
⤷ कोचिंग वालो ने भी पशु परिचर और चतुर्थ श्रेणी को अधिकारी बना दिया ताकि उनकी अस्त्र शस्त्र वाली बुक्स और कोर्स चल सके, अब भुगतना उनको पड़ रहा है इतना बड़ा चढ़ाकर नहीं दिखाना चाहिए था, थोड़ा वास्तविकता से भी रुबरू करवाना था...
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संगठनों की स्थापना
मारवाड़ सेवा संघ (मारवाड़ सेवा संघ): 1920
मारवाड़ यूथ लीग (मारवाड़ यूथ लीग): 1931
मारवाड़ लोक परिषद (मारवाड़ लोक परिषद): 1938
मारवाड़ किसान सभा (मारवाड़ किसान सभा): 1941
❤2
आर.पी.एफ. में भर्ती कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा वार्षिक रूप से की जाएंगी: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनि वैष्णव जी
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इंसान के लिए जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है
प्रयोगशाला सहायक से RAS तक का सफर..
अजमेर के कुशाल चौधरी ने आज यह सिद्ध कर दिया कि सफलता के लिए न तो किसी बड़े घराने का नाम चाहिए, न ही किसी विशेष माहौल की आवश्यकता होती है। सरल, सहज और सादगी से भरे अपने परिश्रम और लगन की शक्ति से सम्पूर्ण राजस्थान में शीर्ष स्थान प्राप्त कर यह बता दिया कि असली ताकत इंसान के भीतर होती है, बाहर नहीं। जब नीयत सच्ची हो और कर्म निरंतर, तो भाग्य भी झुक जाता है। कुशल की यह उपलब्धि केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हर उस सपने की जीत है जो सादगी में देखा गया और ईमानदारी से जिया गया। आखिरकार, सफलता उन्हीं के कदम चूमती है जो दुनिया को नहीं, खुद को हराने की हिम्मत रखते हैं ❤️🙏
प्रयोगशाला सहायक से RAS तक का सफर..
अजमेर के कुशाल चौधरी ने आज यह सिद्ध कर दिया कि सफलता के लिए न तो किसी बड़े घराने का नाम चाहिए, न ही किसी विशेष माहौल की आवश्यकता होती है। सरल, सहज और सादगी से भरे अपने परिश्रम और लगन की शक्ति से सम्पूर्ण राजस्थान में शीर्ष स्थान प्राप्त कर यह बता दिया कि असली ताकत इंसान के भीतर होती है, बाहर नहीं। जब नीयत सच्ची हो और कर्म निरंतर, तो भाग्य भी झुक जाता है। कुशल की यह उपलब्धि केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हर उस सपने की जीत है जो सादगी में देखा गया और ईमानदारी से जिया गया। आखिरकार, सफलता उन्हीं के कदम चूमती है जो दुनिया को नहीं, खुद को हराने की हिम्मत रखते हैं ❤️🙏
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असहयोग आंदोलन के दौरान अजमेर में विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का नेतृत्व किसने किया ?
[RPSC कृषि अधिकारी 20/04/2025]
(1) पंडित गौरीशंकर
(2) चाँद करण शारदा
(3) राम नारायण चौधरी
(4) शोभालाल गुप्त
उत्तर (1) पंडित गौरीशंकर-: अजमेर में 15 मार्च, 1921 को द्वितीय राजनीतिक कांफ्रेस का आयोजन हुआ, जिसमें मोतीलाल नेहरू उपस्थित थे। मौलाना शौकत अली ने सभा की अध्यक्षता की थी। सभा में विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का आह्वान किया गया। पंडित गौरीशंकर भार्गव ने अजमेर में विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार की अगुवाई कर प्रथम गांधीवादी बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। जब प्रिंस ऑफ वेल्स का अजमेर आगमन (28 नवम्बर, 1921) हुआ, तो उसका स्वागत के स्थान पर बहिष्कार किया गया, हड़ताल की गई तथा दुकाने बन्द की गई। प्रिंस की यात्रा की व्यापक प्रतिक्रिया हुई।
[RPSC कृषि अधिकारी 20/04/2025]
(1) पंडित गौरीशंकर
(2) चाँद करण शारदा
(3) राम नारायण चौधरी
(4) शोभालाल गुप्त
उत्तर (1) पंडित गौरीशंकर-: अजमेर में 15 मार्च, 1921 को द्वितीय राजनीतिक कांफ्रेस का आयोजन हुआ, जिसमें मोतीलाल नेहरू उपस्थित थे। मौलाना शौकत अली ने सभा की अध्यक्षता की थी। सभा में विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का आह्वान किया गया। पंडित गौरीशंकर भार्गव ने अजमेर में विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार की अगुवाई कर प्रथम गांधीवादी बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। जब प्रिंस ऑफ वेल्स का अजमेर आगमन (28 नवम्बर, 1921) हुआ, तो उसका स्वागत के स्थान पर बहिष्कार किया गया, हड़ताल की गई तथा दुकाने बन्द की गई। प्रिंस की यात्रा की व्यापक प्रतिक्रिया हुई।
❤3
बिजोलिया किसान आंदोलन में कब किसानों ने असिंचित जोतों से त्याग पत्र देना आरम्भ किया था?
[RPSC Assistant Archivist Exam-03.08.2024]❤️
[RPSC Assistant Archivist Exam-03.08.2024]❤️
Anonymous Quiz
12%
1925
64%
1927
21%
1922
4%
1930
राजस्थान राज्य अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'बिजोलिया" किसान आंदोलन का इतिहास' के लेखक कौन हैं?
[RPSC Research Scholar Exam - 04.08.2024]❤️
[RPSC Research Scholar Exam - 04.08.2024]❤️
Anonymous Quiz
10%
गोपीनाथ शर्मा व घनश्याम दत्त शर्मा
20%
शंकर सहाय सक्सेना व पद्मजा शर्मा
54%
गौरीशंकर हीराचंद ओझा व दशरथ शर्मा
16%
नाथू राम खड़गावत व घनश्याम लाल देवड़ा
निम्नलिखित में से कौनसा कृषक आंदोलन "भील जनजाति" से सम्बन्धित था ?
[JEN (Electrical) Exam - 19.05.2022]❤️
[JEN (Electrical) Exam - 19.05.2022]❤️
Anonymous Quiz
42%
भगत
12%
जकात
37%
मेवाड़ पुकार
8%
नीमूचणा
ठक्कर बप्पा ने भील सेवा समिति के तत्त्वाधन में कहाँ 'भील आश्रम' की स्थापना की थी?
[2nd Grade (Sans. Edu.) Exam- 29.12.2024]❤️
[2nd Grade (Sans. Edu.) Exam- 29.12.2024]❤️
Anonymous Quiz
21%
मानगढ
37%
लसाड़िया
31%
खड़लाई
11%
ऋषभदेव