Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
https://www.instagram.com/reel/DKPfcd5yO50/?igsh=ZmYzbjR0NmZxb2hi
*A true Vaishnav is a reflection of divine love and compassion. Choose wisely and let their guidance illuminate your path* 🌿 ( In Gujarati )
*A true Vaishnav is a reflection of divine love and compassion. Choose wisely and let their guidance illuminate your path* 🌿 ( In Gujarati )
❤1
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
https://youtube.com/shorts/aD-cW_ssueU?si=8DHRmWKU4BzX7ZOM
It is brain-giving movement ~Srila Prabhupada
It is brain-giving movement ~Srila Prabhupada
YouTube
It is brain-giving movement. ~HDG Srila Prabhupada #shorts
Hare Krishna, Hope this video will be helpful for allThank you so much for watching----------------------------------------------------------LIKE | COMMENT ...
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
https://youtube.com/shorts/kUIVURMNjeQ?si=eSqimdTi5OU6Z-hy
*Devotion unites 🌟 Learn how to identify and connect with genuine Vaishnava devotees who share your passion*
*Devotion unites 🌟 Learn how to identify and connect with genuine Vaishnava devotees who share your passion*
YouTube
Devotion unites 🌟 Learn how to identify and connect with genuine Vaishnava devotees
Hare Krishna, Hope this video will be helpful for allThank you so much for watching----------------------------------------------------------LIKE | COMMENT ...
❤1
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
कुन्तीनन्दन! ‘निर्जला एकादशी’ के दिन श्रद्धालु स्त्री पुरुषों के लिए जो विशेष दान और कर्त्तव्य विहित हैं, उन्हें सुनो: उस दिन जल में शयन करनेवाले भगवान विष्णु का पूजन और जलमयी धेनु का दान करनाचाहिए अथवा प्रत्यक्ष धेनु या घृतमयी धेनु का दान उचित है। पर्याप्त दक्षिणा और भाँति-भाँति के मिष्ठान्नों द्वारा यत्नपूर्वक ब्राह्मणों को सन्तुष्ट करना चाहिए। ऐसा करने से ब्राह्मण अवश्य संतुष्ट होते हैं और उनकेसंतुष्ट होने पर श्रीहरि मोक्ष प्रदान करते हैं। जिन्होंने शम, दम, और दान में प्रवृत हो श्रीहरि की पूजा और रात्रि में जागरण करते हुए इस ‘निर्जला एकादशी’ का व्रत किया है, उन्होंने अपने साथ ही बीती हुई सौपीढ़ियों को और आनेवाली सौ पीढ़ियों को भगवान वासुदेव के परम धाम में पहुँचा दिया है। निर्जला एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, गौ, जल, शैय्या, सुन्दर आसन, कमण्डलु तथा छाता दान करने चाहिए। जो श्रेष्ठतथा सुपात्र ब्राह्मण को जूता दान करता है, वह सोने के विमान पर बैठकर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है। जो इस एकादशी की महिमा को भक्तिपूर्वक सुनता अथवा उसका वर्णन करता है, वह स्वर्गलोक में जाताहै। चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय श्राद्ध करके मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है, वही फल इसके श्रवण से भी प्राप्त होता है। पहले दन्तधावन करके यह नियम लेना चाहिए कि: ‘मैं भगवानकेशव की प्रसन्न्ता के लिए एकादशी को निराहार रहकर आचमन के सिवा दूसरे जल का भी त्याग करुँगा।’ द्वादशी को देवेश्वर भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। गन्ध, धूप, पुष्प और सुन्दर वस्त्र सेविधिपूर्वक पूजन करके जल के घड़े के दान का संकल्प करते हुए निम्नांकित मंत्र का उच्चारण करे:
देवदेव ह्रषीकेश संसारार्णवतारक।
उदकुम्भप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥
‘संसारसागर से तारनेवाले हे देवदेव ह्रषीकेश! इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति की प्राप्ति कराइये।’
भीमसेन! ज्येष्ठ मास में शुक्लपक्ष की जो शुभ एकादशी होती है, उसका निर्जल व्रत करना चाहिए। उस दिन श्रेष्ठ ब्राह्मणों को शक्कर के साथ जल के घड़े दान करने चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य भगवान विष्णुके समीप पहुँचकर आनन्द का अनुभव करता है। तत्पश्चात् द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करे। जो इस प्रकार पूर्ण रुप से पापनाशिनी एकादशी का व्रत करता है, वह सब पापों से मुक्त होआनंदमय पद को प्राप्त होता है।
यह सुनकर भीमसेन ने भी इस शुभ एकादशी का व्रत आरम्भ कर दिया। तबसे यह लोक मे ‘पाण्डव द्वादशी’ के नाम से विख्यात हुई।
देवदेव ह्रषीकेश संसारार्णवतारक।
उदकुम्भप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥
‘संसारसागर से तारनेवाले हे देवदेव ह्रषीकेश! इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति की प्राप्ति कराइये।’
भीमसेन! ज्येष्ठ मास में शुक्लपक्ष की जो शुभ एकादशी होती है, उसका निर्जल व्रत करना चाहिए। उस दिन श्रेष्ठ ब्राह्मणों को शक्कर के साथ जल के घड़े दान करने चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य भगवान विष्णुके समीप पहुँचकर आनन्द का अनुभव करता है। तत्पश्चात् द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करे। जो इस प्रकार पूर्ण रुप से पापनाशिनी एकादशी का व्रत करता है, वह सब पापों से मुक्त होआनंदमय पद को प्राप्त होता है।
यह सुनकर भीमसेन ने भी इस शुभ एकादशी का व्रत आरम्भ कर दिया। तबसे यह लोक मे ‘पाण्डव द्वादशी’ के नाम से विख्यात हुई।
❤1
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
https://youtu.be/LXpGuGfQgIo?si=3gOPTbi8nRS82CsC
*5 important P for Nirjala Ekadashi*
हरे कृष्ण🙏
शनिवार, *पांडव निर्जला / भीम एकादशी*
*पारणा:* रविवार सुबह
5:52 से 7:20 वदोड़रा के लिए।
कृपया आप के स्थान के अनुसार आप पालन करें।🙏
*5 important P for Nirjala Ekadashi*
हरे कृष्ण🙏
शनिवार, *पांडव निर्जला / भीम एकादशी*
*पारणा:* रविवार सुबह
5:52 से 7:20 वदोड़रा के लिए।
कृपया आप के स्थान के अनुसार आप पालन करें।🙏
YouTube
Nirjala Ekadash special part -1 , 7th June, 2025 ~Uddhava Dasa
Hare Krishna,
Hope this video will be helpful for all
Thank you so much for watching
----------------------------------------------------------
LIKE | COMMENT | SHARE | SUBSCRIBE
----------------------------------------------------------
Watch Our Other…
Hope this video will be helpful for all
Thank you so much for watching
----------------------------------------------------------
LIKE | COMMENT | SHARE | SUBSCRIBE
----------------------------------------------------------
Watch Our Other…
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
हरे कृष्ण ✨
दंडवत प्रणाम
*निर्जला एकादशी 24 hour जप* 👏
(सुबह 09 बजे से प्रारंभ)
*ऑफलाइन*: श्रील गुरु महाराज क्वार्टर
*ऑनलाइन: Zoom पर*👇
https://us06web.zoom.us/j/87828048546?pwd=jsnChckxhLVlBcqg3QOlkRyBk0abRn.1
*जो भी भक्त 64 माला या अधिक जप करेंगे उनके नाम श्री श्रीमद भक्ति प्रेम स्वामी महाराज को आशीर्वाद के लिए भेजे जाएंगे*
धन्यवाद 🙏
दंडवत प्रणाम
*निर्जला एकादशी 24 hour जप* 👏
(सुबह 09 बजे से प्रारंभ)
*ऑफलाइन*: श्रील गुरु महाराज क्वार्टर
*ऑनलाइन: Zoom पर*👇
https://us06web.zoom.us/j/87828048546?pwd=jsnChckxhLVlBcqg3QOlkRyBk0abRn.1
*जो भी भक्त 64 माला या अधिक जप करेंगे उनके नाम श्री श्रीमद भक्ति प्रेम स्वामी महाराज को आशीर्वाद के लिए भेजे जाएंगे*
धन्यवाद 🙏
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
https://www.instagram.com/reel/DKmqvulqDIy/?igsh=MXdlYzI0dHB4Ymxudg==
Ekadashi special darshan Snana🙌
Ekadashi special darshan Snana🙌
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
🌸 *पांडव निर्जला एकादशी - सेवा करने का एक दिव्य अवसर! 🌸*
शक्तिशाली पांडव भीम ने सभी एकादशियों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस पवित्र दिन को मनाया। आज, आप भी अथाह आध्यात्मिक योग्यता अर्जित कर सकते हैं - केवल दान देकर।
*🛕 इस्कॉन के पुस्तक वितरण, मंदिर और उपदेश सेवा का समर्थन करें।*
Upi id:- moib1208@oksbi
G-pay no:- 7600156255
शक्तिशाली पांडव भीम ने सभी एकादशियों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस पवित्र दिन को मनाया। आज, आप भी अथाह आध्यात्मिक योग्यता अर्जित कर सकते हैं - केवल दान देकर।
*🛕 इस्कॉन के पुस्तक वितरण, मंदिर और उपदेश सेवा का समर्थन करें।*
Upi id:- moib1208@oksbi
G-pay no:- 7600156255
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
https://youtube.com/shorts/wg8b5keejQo?si=errg9JBdNPqGpkPj
Srila Prabhupada with devotees in Barsana 1971
Srila Prabhupada with devotees in Barsana 1971
YouTube
Srila Prabhupada with devotees in Barsana 1971 #shorts
Hare Krishna, Hope this video will be helpful for allThank you so much for watching----------------------------------------------------------LIKE | COMMENT ...
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
YouTube
Short Film on Appearance Of Lord Jagannath (Jagannath Pastimes)|| Abhaycharan Series||
Hare Krishna,
Welcome to Gaurangas Family ..Here we are with our new video ..
Hope you like this video
Check out our playlist for wonedrfu series of life of Prabhupada :
https://www.youtube.com/playlist?list=PL4Me5WGTjtn0Hpup-PslY5NEUE-Vj3gSs
To get daily…
Welcome to Gaurangas Family ..Here we are with our new video ..
Hope you like this video
Check out our playlist for wonedrfu series of life of Prabhupada :
https://www.youtube.com/playlist?list=PL4Me5WGTjtn0Hpup-PslY5NEUE-Vj3gSs
To get daily…
❤2
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
https://youtube.com/shorts/5QWDoGU3-qE?si=gi981ti-JJLcZM64
There are four sampradāyas ~Srila Prabhupada
There are four sampradāyas ~Srila Prabhupada
YouTube
There are four sampradāyas ~HDG Srila Prabhupada #shorts
Hare Krishna, Hope this video will be helpful for allThank you so much for watching----------------------------------------------------------LIKE | COMMENT ...
🙏1
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
हरे कृष्ण
रविवार, *योगिनी एकादशी*
*पारणा:* सोमवार सुबह
5:58 से 10:25 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:12 से 10:34 राजकोट, जामनगर, द्वारका
*Whatsapp*
https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw
युधिष्ठिर ने पूछा: वासुदेव! आषाढ़ के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? कृपया उसका वर्णन कीजिये।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: नृपश्रेष्ठ! आषाढ़ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार ज्येष्ठ) के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘योगिनी’ है। यह बड़े बडे पातकों का नाश करनेवाली है। संसारसागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए यह सनातन नौका के समान है।
अलकापुरी के राजाधिराज कुबेर सदा भगवान शिव की भक्ति में तत्पर रहनेवाले हैं। उनका ‘हेममाली’ नामक एक यक्ष सेवक था, जो पूजा के लिए फूल लाया करता था। हेममाली की पत्नी का नाम ‘विशालाक्षी’ था। वह यक्ष कामपाश में आबद्ध होकर सदा अपनी पत्नी में आसक्त रहता था। एक दिन हेममाली मानसरोवर से फूल लाकर अपने घर में ही ठहर गया और पत्नी के प्रेमपाश में खोया रह गया, अत: कुबेर के भवन में न जा सका। इधर कुबेर मन्दिर में बैठकर शिव का पूजन कर रहे थे। उन्होंने दोपहर तक फूल आने की प्रतीक्षा की। जब पूजा का समय व्यतीत हो गया तो यक्षराज ने कुपित होकर सेवकों से कहा: ‘यक्षों! दुरात्मा हेममाली क्यों नहीं आ रहा है?’
यक्षों ने कहा: राजन्! वह तो पत्नी की कामना में आसक्त हो घर में ही रमण कर रहा है। यह सुनकर कुबेर क्रोध से भर गये और तुरन्त ही हेममाली को बुलवाया। वह आकर कुबेर के सामने खड़ा हो गया। उसे देखकर कुबेर बोले: ‘ओ पापी! अरे दुष्ट! ओ दुराचारी! तूने भगवान की अवहेलना की है, अत: कोढ़ से युक्त और अपनी उस प्रियतमा से वियुक्त होकर इस स्थान से भ्रष्ट होकर अन्यत्र चला जा।’
कुबेर के ऐसा कहने पर वह उस स्थान से नीचे गिर गया। कोढ़ से सारा शरीर पीड़ित था परन्तु शिव पूजा के प्रभाव से उसकी स्मरणशक्ति लुप्त नहीं हुई। तदनन्तर वह पर्वतों में श्रेष्ठ मेरुगिरि के शिखर पर गया। वहाँ पर मुनिवर मार्कण्डेयजी का उसे दर्शन हुआ। पापकर्मा यक्ष ने मुनि के चरणों में प्रणाम किया। मुनिवर मार्कण्डेय ने उसे भय से काँपते देख कहा: ‘तुझे कोढ़ के रोग ने कैसे दबा लिया?’
यक्ष बोला: मुने! मैं कुबेर का अनुचर हेममाली हूँ। मैं प्रतिदिन मानसरोवर से फूल लाकर शिव पूजा के समय कुबेर को दिया करता था। एक दिन पत्नी सहवास के सुख में फँस जाने के कारण मुझे समय का ज्ञान ही नहीं रहा, अत: राजाधिराज कुबेर ने कुपित होकर मुझे शाप दे दिया, जिससे मैं कोढ़ से आक्रान्त होकर अपनी प्रियतमा से बिछुड़ गया। मुनिश्रेष्ठ! संतों का चित्त स्वभावत: परोपकार में लगा रहता है, यह जानकर मुझ अपराधी को कर्त्तव्य का उपदेश दीजिये।
मार्कण्डेयजी ने कहा: तुमने यहाँ सच्ची बात कही है, इसलिए मैं तुम्हें कल्याणप्रद व्रत का उपदेश करता हूँ। तुम आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से तुम्हारा कोढ़ निश्चय ही दूर हो जायेगा।
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन्! मार्कण्डेयजी के उपदेश से उसने ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत किया, जिससे उसके शरीर को कोढ़ दूर हो गया। उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान करने पर वह पूर्ण सुखी हो गया।
नृपश्रेष्ठ! यह ‘योगिनी’ का व्रत ऐसा पुण्यशाली है कि अठ्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने से जो फल मिलता है, वही फल ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करनेवाले मनुष्य को मिलता है। ‘योगिनी’ महान पापों को शान्त करनेवाली और महान पुण्य फल देनेवाली है। इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।
रविवार, *योगिनी एकादशी*
*पारणा:* सोमवार सुबह
5:58 से 10:25 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:12 से 10:34 राजकोट, जामनगर, द्वारका
*Whatsapp*
https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw
युधिष्ठिर ने पूछा: वासुदेव! आषाढ़ के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? कृपया उसका वर्णन कीजिये।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: नृपश्रेष्ठ! आषाढ़ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार ज्येष्ठ) के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘योगिनी’ है। यह बड़े बडे पातकों का नाश करनेवाली है। संसारसागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए यह सनातन नौका के समान है।
अलकापुरी के राजाधिराज कुबेर सदा भगवान शिव की भक्ति में तत्पर रहनेवाले हैं। उनका ‘हेममाली’ नामक एक यक्ष सेवक था, जो पूजा के लिए फूल लाया करता था। हेममाली की पत्नी का नाम ‘विशालाक्षी’ था। वह यक्ष कामपाश में आबद्ध होकर सदा अपनी पत्नी में आसक्त रहता था। एक दिन हेममाली मानसरोवर से फूल लाकर अपने घर में ही ठहर गया और पत्नी के प्रेमपाश में खोया रह गया, अत: कुबेर के भवन में न जा सका। इधर कुबेर मन्दिर में बैठकर शिव का पूजन कर रहे थे। उन्होंने दोपहर तक फूल आने की प्रतीक्षा की। जब पूजा का समय व्यतीत हो गया तो यक्षराज ने कुपित होकर सेवकों से कहा: ‘यक्षों! दुरात्मा हेममाली क्यों नहीं आ रहा है?’
यक्षों ने कहा: राजन्! वह तो पत्नी की कामना में आसक्त हो घर में ही रमण कर रहा है। यह सुनकर कुबेर क्रोध से भर गये और तुरन्त ही हेममाली को बुलवाया। वह आकर कुबेर के सामने खड़ा हो गया। उसे देखकर कुबेर बोले: ‘ओ पापी! अरे दुष्ट! ओ दुराचारी! तूने भगवान की अवहेलना की है, अत: कोढ़ से युक्त और अपनी उस प्रियतमा से वियुक्त होकर इस स्थान से भ्रष्ट होकर अन्यत्र चला जा।’
कुबेर के ऐसा कहने पर वह उस स्थान से नीचे गिर गया। कोढ़ से सारा शरीर पीड़ित था परन्तु शिव पूजा के प्रभाव से उसकी स्मरणशक्ति लुप्त नहीं हुई। तदनन्तर वह पर्वतों में श्रेष्ठ मेरुगिरि के शिखर पर गया। वहाँ पर मुनिवर मार्कण्डेयजी का उसे दर्शन हुआ। पापकर्मा यक्ष ने मुनि के चरणों में प्रणाम किया। मुनिवर मार्कण्डेय ने उसे भय से काँपते देख कहा: ‘तुझे कोढ़ के रोग ने कैसे दबा लिया?’
यक्ष बोला: मुने! मैं कुबेर का अनुचर हेममाली हूँ। मैं प्रतिदिन मानसरोवर से फूल लाकर शिव पूजा के समय कुबेर को दिया करता था। एक दिन पत्नी सहवास के सुख में फँस जाने के कारण मुझे समय का ज्ञान ही नहीं रहा, अत: राजाधिराज कुबेर ने कुपित होकर मुझे शाप दे दिया, जिससे मैं कोढ़ से आक्रान्त होकर अपनी प्रियतमा से बिछुड़ गया। मुनिश्रेष्ठ! संतों का चित्त स्वभावत: परोपकार में लगा रहता है, यह जानकर मुझ अपराधी को कर्त्तव्य का उपदेश दीजिये।
मार्कण्डेयजी ने कहा: तुमने यहाँ सच्ची बात कही है, इसलिए मैं तुम्हें कल्याणप्रद व्रत का उपदेश करता हूँ। तुम आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से तुम्हारा कोढ़ निश्चय ही दूर हो जायेगा।
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन्! मार्कण्डेयजी के उपदेश से उसने ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत किया, जिससे उसके शरीर को कोढ़ दूर हो गया। उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान करने पर वह पूर्ण सुखी हो गया।
नृपश्रेष्ठ! यह ‘योगिनी’ का व्रत ऐसा पुण्यशाली है कि अठ्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने से जो फल मिलता है, वही फल ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करनेवाले मनुष्य को मिलता है। ‘योगिनी’ महान पापों को शान्त करनेवाली और महान पुण्य फल देनेवाली है। इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
https://youtube.com/shorts/MjcsU4Q6F0c?si=f4XiK_r6t1e2CCrX
If you simply read our books very carefully... ~Srila Prabhupada
If you simply read our books very carefully... ~Srila Prabhupada
YouTube
if you simply read our books very carefully,... ~HDG Srila Prabhupada #shorts
Hare Krishna, Hope this video will be helpful for allThank you so much for watching----------------------------------------------------------LIKE | COMMENT ...