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🔔 कार्तिक 84 कोष वृंदावन यात्रा -आक्टूबर 2025 📢
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👉 प्रस्थान: 24/10/2025
👉 वापसी: 31/10/2025
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📌 ७० से ज्यादा स्थानों का भ्रमन, जिसमे गोवर्धन, मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना, इत्यादि बहुत सारी जगह पर जाने का मौका।
📌 पूर्ण व्रज मंडल परिक्रमा हम कार/बस में करेंगे।
📌 इस व्रज मंडल परिक्रमा में छोटे से छोटे स्थानों को शामिल किया जाएगा।
📌 हर स्थान की कथा एवम महिमा बताई जाएगी, पूर्ण समय कीर्तन का आनंद प्रदान किया जाएगा।

🏧 लक्ष्मीसेवा:
नॉन ए.सी. ट्रेन 12499/- व्यक्ति
ए.सी. ट्रेन 13499/- व्यक्ति
(ट्रेन टिकिट, गेस्ट हॉउस, प्रसाद, बस)
ट्रेन बिना : 11599/- व्यक्ति


5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए यह यात्रा निःशुल्क है

🎯 नाम देने के लिए अंतिम दिनांक: 01/08/2025

💺 *कुछ सीटें बची हैं*
🏃‍♂️ *जल्दी करें!!!* ®️ *अभी रजिस्टर करें*

📌 Advance: 4000/- per person
📌 Google pay 7600156255

👉 अपना नाम को रजिस्टर करने के लिए कृपा कर नीचे देय गूगल फॉर्म को भरे

गूगल फॉर्म लिंक :- https://forms.gle/ujxNC2MKY418yrLF8
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👉और यात्रा संबंधी जानकारी के लिए हमे कॉल करे
+91 82005 03703
+91 79902 00618
हरे कृष्ण
मंगलवार, *अन्नदा/अजा एकादशी*

*पारणा:* बुधवार सुबह
6:19 से 10:33 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:33 से 10:42 राजकोट, जामनगर, द्वारका

*Isckon Baroda Daily Darshan update Whatsapp Group*
https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw

युधिष्ठिर ने पूछा: जनार्दन ! अब मैं यह सुनना चाहता हूँ कि भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण) मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? कृपया बताइये।


भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन् ! एकचित्त होकर सुनो। भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘अजा’ है। वह सब पापों का नाश करनेवाली बतायी गयी है। भगवान ह्रषीकेश का पूजन करके जो इसका व्रत करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।


पूर्वकाल में हरिश्चन्द्र नामक एक विख्यात चक्रवर्ती राजा हो गये हैं, जो समस्त भूमण्डल के स्वामी और सत्यप्रतिज्ञ थे। एक समय किसी कर्म का फलभोग प्राप्त होने पर उन्हें राज्य से भ्रष्ट होना पड़ा। राजा ने अपनी पत्नी और पुत्र को बेच दिया। फिर अपने को भी बेच दिया। पुण्यात्मा होते हुए भी उन्हें चाण्डाल की दासता करनी पड़ी। वे मुर्दों का कफन लिया करते थे। इतने पर भी नृपश्रेष्ठ हरिश्चन्द्र सत्य से विचलित नहीं हुए।


इस प्रकार चाण्डाल की दासता करते हुए उनके अनेक वर्ष व्यतीत हो गये। इससे राजा को बड़ी चिन्ता हुई। वे अत्यन्त दु:खी होकर सोचने लगे: ‘क्या करुँ? कहाँ जाऊँ? कैसे मेरा उद्धार होगा?’ इस प्रकार चिन्ता करते-करते वे शोक के समुद्र में डूब गये।


राजा को शोकातुर जानकर महर्षि गौतम उनके पास आये। श्रेष्ठ ब्राह्मण को अपने पास आया हुआ देखकर नृपश्रेष्ठ ने उनके चरणों में प्रणाम किया और दोनों हाथ जोड़ गौतम के सामने खड़े होकर अपना सारा दु:खमय समाचार कह सुनाया।


राजा की बात सुनकर महर्षि गौतम ने कहा:‘राजन् ! भादों के कृष्णपक्ष में अत्यन्त कल्याणमयी ‘अजा’ नाम की एकादशी आ रही है, जो पुण्य प्रदान करनेवाली है। इसका व्रत करो। इससे पाप का अन्त होगा। तुम्हारे भाग्य से आज के सातवें दिन एकादशी है। उस दिन उपवास करके रात में जागरण करना।’ ऐसा कहकर महर्षि गौतम अन्तर्धान हो गये।


मुनि की बात सुनकर राजा हरिश्चन्द्र ने उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा सारे दु:खों से पार हो गये। उन्हें पत्नी पुन: प्राप्त हुई और पुत्र का जीवन मिल गया। आकाश में दुन्दुभियाँ बज उठीं। देवलोक से फूलों की वर्षा होने लगी।


एकादशी के प्रभाव से राजा ने निष्कण्टक राज्य प्राप्त किया और अन्त में वे पुरजन तथा परिजनों के साथ स्वर्गलोक को प्राप्त हो गये।


राजा युधिष्ठिर ! जो मनुष्य ऐसा व्रत करते हैं, वे सब पापों से मुक्त हो स्वर्गलोक में जाते हैं। इसके पढ़ने और सुनने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।
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📅 यात्रा तिथि: 24 अक्टूबर – 31 अक्टूबर 2025

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ॠषि के ये वचन सुनकर राजा अपने घर लौट आये। उन्होंने चारों वर्णों की समस्त प्रजा के साथ भादों के शुक्लपक्ष की ‘पद्मा एकादशी’ का व्रत किया। इस प्रकार व्रत करने पर मेघ पानी बरसाने लगे। पृथ्वी जल से आप्लावित हो गयी और हरी भरी खेती से सुशोभित होने लगी। उस व्रत के प्रभाव से सब लोग सुखी हो गये।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन्! इस कारण इस उत्तम व्रत का अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए। ‘पद्मा एकादशी’ के दिन जल से भरे हुए घड़े को वस्त्र से ढकँकर दही और चावल के साथ ब्राह्मण को दान देना चाहिए, साथ ही छाता और जूता भी देना चाहिए। दान करते समय निम्नांकित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:

नमो नमस्ते गोविन्द बुधश्रवणसंज्ञक ॥
अघौघसंक्षयं कृत्वा सर्वसौख्यप्रदो भव।
भुक्तिमुक्तिप्रदश्चैव लोकानां सुखदायकः ॥

‘बुधवार और श्रवण नक्षत्र के योग से युक्त द्वादशी के दिन बुद्धश्रवण नाम धारण करनेवाले भगवान गोविन्द! आपको नमस्कार है… नमस्कार है! मेरी पापराशि का नाश करके आप मुझे सब प्रकार के सुख प्रकार के सुख प्रदान करें। आप पुण्यात्माजनों को भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले तथा सुखदायक हैं।’

राजन्! इसके पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।
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यदि हम भगवद गीता और श्रीमद भागवतम् की परवाह नहीं करते, तो हमें नहीं पता कि अगला शरीर कैसा होगा। लेकिन यदि कोई इन दोनों ग्रंथों - भगवद गीता और श्रीमद भागवतम् - का पालन करता है, तो उसे अगले जन्म में *कृष्ण का सानिध्य अवश्य प्राप्त होगा* (त्यक्त्वा देहम पुनर जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन [भ.गी. 4.9])। अतः, श्रीमद भागवतम् का विश्व भर में वितरण धर्मशास्त्रियों, दार्शनिकों, अध्यात्मवादियों और योगियों (योगिनामपि सर्वेषाम् [भ.गी. 6.47]) के साथ-साथ सामान्य जनों के लिए भी एक महान कल्याणकारी कार्य है। (श्रीमद् भागवतम् 10.12.7-11 तात्पर्य)
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તા:- ૭/૯/૨૦૨૫ રવિવારે રાત્રે ચંદ્ર ગ્રહણ હોવાથી બધાજ ભક્તોએ રાત્રે ૮:૦૦ વાગ્યા સુધીમાં ભોજન પ્રસાદ લઈ લેવો. તથા ઘર અને મંદિર માં દર્ભ ( ડાભ ) મુકી દેવો. અને ભગવાન ને શયન કરાવી દેવું. અને પછી શક્ય હોય ત્યાં સુધી જપ કીર્તન કરવા. સવારે ઉઠીને મંદિર , ઘર માર્જન કરી નિત્ય કર્મ કરવું. હરે કૃષ્ણ 🙏
2025/10/19 20:34:21
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