Forwarded from Buddhalove (Neel Netane)
Attachment is the very opposite of love.
Love says, 'I want you to be happy.' Attachment says, 'I want you to make me happy' 🌿
Love says, 'I want you to be happy.' Attachment says, 'I want you to make me happy' 🌿
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धम्मचक्र प्रवर्तन दिन हा केवळ ऐतिहासिक क्षण नाही, तर मानवतेला दिलेला शाश्वत मार्ग आहे.
तथागत गौतम बुद्धांनी सांगितलयं, “दुःख आहे, दुःखाला कारण आहे, दुःख निवारण शक्य आहे आणि त्या निवारणाचा मार्ग आहे.” हीच चार आर्यसत्ये आणि अष्टांगिक मार्ग जगाला खऱ्या अर्थाने समता, शांती आणि मैत्रीचा संदेश देतात.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांनी अशोक विजयादशमीला लाखो अनुयायांसह बौद्ध धम्म स्वीकारून या संदेशाला सामाजिक परिवर्तनाचं शस्त्र बनवलं. तो दिवस होता अन्यायाविरुद्धच्या लढ्याचा…आणि न्याय, समता व करुणेच्या राज्याची सुरुवात करणारा! आज धम्मचक्र प्रवर्तन दिनी आपण संकल्प करूया. अंधश्रद्धा, अन्याय आणि विषमता यांना नकार देऊन करुणा, प्रज्ञा आणि मैत्री यांचा मार्ग स्वीकारून महामानवांच्या विचारांनी समाज परिवर्तन करूया.
धम्मचक्र प्रवर्तन दिनाच्या सर्वांना हार्दिक शुभेच्छा!🌿
Prakash Ambedkar
तथागत गौतम बुद्धांनी सांगितलयं, “दुःख आहे, दुःखाला कारण आहे, दुःख निवारण शक्य आहे आणि त्या निवारणाचा मार्ग आहे.” हीच चार आर्यसत्ये आणि अष्टांगिक मार्ग जगाला खऱ्या अर्थाने समता, शांती आणि मैत्रीचा संदेश देतात.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांनी अशोक विजयादशमीला लाखो अनुयायांसह बौद्ध धम्म स्वीकारून या संदेशाला सामाजिक परिवर्तनाचं शस्त्र बनवलं. तो दिवस होता अन्यायाविरुद्धच्या लढ्याचा…आणि न्याय, समता व करुणेच्या राज्याची सुरुवात करणारा! आज धम्मचक्र प्रवर्तन दिनी आपण संकल्प करूया. अंधश्रद्धा, अन्याय आणि विषमता यांना नकार देऊन करुणा, प्रज्ञा आणि मैत्री यांचा मार्ग स्वीकारून महामानवांच्या विचारांनी समाज परिवर्तन करूया.
धम्मचक्र प्रवर्तन दिनाच्या सर्वांना हार्दिक शुभेच्छा!🌿
Prakash Ambedkar
सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के राजा थे। 261 ईसा पूर्व में, उन्होंने कलिंग राज्य पर हमला किया। कलिंग के लोग बहादुर थे और उन्होंने बहुत कठिन लड़ाई की। यह युद्ध बहुत भयानक था। हज़ारों लोग मरे और बहुत दुख हुआ।
युद्ध के बाद अशोक बहुत दुखी हुए। उन्होंने महसूस किया कि हिंसा और युद्ध से कभी स्थायी शांति नहीं आती। तब उन्होंने अहिंसा और करुणा का रास्ता अपनाया और बौद्ध धर्म को अपनाया। अशोक ने लोगों को यह सिखाया कि असली विजय तलवार से नहीं, बल्कि अपने विचार और दिल से होती है।
उसने पूरे साम्राज्य में शिलालेख और स्तंभ बनवाए, ताकि लोग हमेशा याद रखें कि हिंसा छोड़कर करुणा और न्याय अपनाना ही सच्ची विजय है।
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युद्ध के बाद अशोक बहुत दुखी हुए। उन्होंने महसूस किया कि हिंसा और युद्ध से कभी स्थायी शांति नहीं आती। तब उन्होंने अहिंसा और करुणा का रास्ता अपनाया और बौद्ध धर्म को अपनाया। अशोक ने लोगों को यह सिखाया कि असली विजय तलवार से नहीं, बल्कि अपने विचार और दिल से होती है।
उसने पूरे साम्राज्य में शिलालेख और स्तंभ बनवाए, ताकि लोग हमेशा याद रखें कि हिंसा छोड़कर करुणा और न्याय अपनाना ही सच्ची विजय है।
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विजय दशमी का इतिहास अक्सर मनुवादियों द्वारा मनगढ़ंत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। असल में इस दिन की शुरुआत सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा, करुणा और धर्म की विजय के रूप में की थी। अशोक ने यह सिखाया कि असली विजय तलवार और युद्ध से नहीं, बल्कि अपने विचार, करुणा और न्याय से होती है। लेकिन समय के साथ, मनुवादी ताकतों ने इस पर्व को अपने हिसाब से बदल दिया और रावण जैसे काल्पनिक पात्रों के आधार पर इसे केवल एक युद्ध और तलवार की जीत के रूप में पेश करना शुरू कर दिया। इस प्रकार असली इतिहास और अशोक की मानवतावादी दृष्टि को दबा दिया गया, और जनता को मनगढ़ंत कहानियों के माध्यम से भ्रमित किया गया। असली विजय, जो अहिंसा और न्याय की थी, आज भी अक्सर पीछे छूट जाती है।
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