कभी सोचा है कि स्कूल, कॉलेज या ज़िंदगी ने आपको वो सबसे ज़रूरी बातें क्यों नहीं सिखाईं, जो असल में ज़रूरी थीं? 'Attitude' सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि एक आईना है – जो दिखाती है कि कैसे हमारा दृष्टिकोण ही हमारी सफलता, संघर्ष, और सोच को आकार देता है। चाहे बात बदलाव की हो, सीखने की हो, डर को हराने की हो या फिर खुद में साहस जगाने की – ये किताब हर पन्ने पर एक नई ऊर्जा भर देती है।
अगर आप खुद को समझना और बेहतर बनाना चाहते हैं, तो ये पढ़ना एक शुरुआत हो सकती है।
अगर आप खुद को समझना और बेहतर बनाना चाहते हैं, तो ये पढ़ना एक शुरुआत हो सकती है।
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ख़बर ये थी कि सपने खो गए थे,
हुआ ये था के हम नींद में सो गए थे,
बहुत सी आरज़ू थीं ज़ेहन में अब तक,
सैलाब में वो भी न जाने कब के बह गए।
अब तो बस मैं हूँ,ख़ाली कमरे हैं कुछ,
गूँजे हैं,सन्नाटों से निकलती हुई कुछ,
धूप आती है जाती है,बंद झरोखों पर,
हवा के झोंके दरवाजों को छू कर चले जाते हैं।
ऐसा नहीं के मैं कोई फ़रिश्ता सा हूँ,
फ़रिश्तों से लोग दरवाज़े से मग़र लौट जाते हैं।
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हुआ ये था के हम नींद में सो गए थे,
बहुत सी आरज़ू थीं ज़ेहन में अब तक,
सैलाब में वो भी न जाने कब के बह गए।
अब तो बस मैं हूँ,ख़ाली कमरे हैं कुछ,
गूँजे हैं,सन्नाटों से निकलती हुई कुछ,
धूप आती है जाती है,बंद झरोखों पर,
हवा के झोंके दरवाजों को छू कर चले जाते हैं।
ऐसा नहीं के मैं कोई फ़रिश्ता सा हूँ,
फ़रिश्तों से लोग दरवाज़े से मग़र लौट जाते हैं।
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🔥3❤1😘1
वक़्त की मार..
जो कल अपना था, वो आज पराया है,
चेहरा मुस्कुराहट का साया है।
सपने जो बने थे, वो बिखर से गए
वक़्त ने जो चाहा, वो असर दे गए।
ज़ख्म गहरे हैं, पर सहना पड़ता है,
हर खुशी, हर दर्द, दिल में भरना पड़ता है।
फिर भी चलना है,रुकना मना है,
वक़्त के साथ ही,सफर तय करना है।
वक़्त की मार ने सबक सिखा दिया,
जीने का नया एक रंग दिखा दिया।
जो हार न माने, वही विजेता है,
जीवन आगे बढ़ने का मौका सबको देता है।💯
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जो कल अपना था, वो आज पराया है,
चेहरा मुस्कुराहट का साया है।
सपने जो बने थे, वो बिखर से गए
वक़्त ने जो चाहा, वो असर दे गए।
ज़ख्म गहरे हैं, पर सहना पड़ता है,
हर खुशी, हर दर्द, दिल में भरना पड़ता है।
फिर भी चलना है,रुकना मना है,
वक़्त के साथ ही,सफर तय करना है।
वक़्त की मार ने सबक सिखा दिया,
जीने का नया एक रंग दिखा दिया।
जो हार न माने, वही विजेता है,
जीवन आगे बढ़ने का मौका सबको देता है।💯
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मोहोब्बत क्या है..?
मैं बताता हूँ..!🤍🕊️
तुम्हे करनी नहीं आती..
मैं करके दिखाता हूँ..!🥀
तुम जिन्दा कर लेना मुझे..
मैं प्यार में मर केे दिखाता हूँ..!💯
वादा करो तुम समेट लोगे..
मैं बिखर केे दिखाता हूँ..!✨
इश्क़ है जेसे जलते हुए अंगारे..
मैं इस पर चल केे दिखाता हूँ..!⚡
है ये बे-वफ़ाई इंसान की फितरत..
मैं फितरत बदल केे दिखाता हूँ..!!❤️....
.......Gujjar
मैं बताता हूँ..!🤍🕊️
तुम्हे करनी नहीं आती..
मैं करके दिखाता हूँ..!🥀
तुम जिन्दा कर लेना मुझे..
मैं प्यार में मर केे दिखाता हूँ..!💯
वादा करो तुम समेट लोगे..
मैं बिखर केे दिखाता हूँ..!✨
इश्क़ है जेसे जलते हुए अंगारे..
मैं इस पर चल केे दिखाता हूँ..!⚡
है ये बे-वफ़ाई इंसान की फितरत..
मैं फितरत बदल केे दिखाता हूँ..!!❤️....
.......Gujjar
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इस तस्वीर को यह राष्ट्र नहीं भूलेगा ….मज़हबी अंधेपन में दरिंदों ने भारत की आत्मा पर प्रहार किया है….कश्मीर के पर्यटन पर हमला किया है….धर्म पूछकर जिस प्रकार का कायरना कृत्य हुआ है ,वो अक्षम्य है….भारत भूलेगा नहीं ….निहत्थे घूमने गए जोड़ों में पुरुषों को नाम पूछकर हमला करना ,यह घाव राष्ट्र नहीं भूलेगा ….बहुत भयंकर क़ीमत चुकानी पड़ेगी ….हमें हमारी सेना पर भरोसा है….और सरकार को चाहिए कि ऐसे कंटकों को अब समूल नष्ट करने का समय आ गया है….
ईश्वर दिवंगत जनों को श्री चरणों में स्थान दें…
ईश्वर दिवंगत जनों को श्री चरणों में स्थान दें…
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लगाव......
दिल को तेरे ख़्याल में उलझा के रह गया,
हर साँस तेरा नाम ही दोहरा के रह गया।
चाहा था तुझे टूट के, कुछ भी न माँगा था,
तू फिर भी मेरी रूह को झुठला के रह गया।
वो वक़्त भी था जब तेरा हर ग़म मेरा था,
अब तू हर एक दर्द को ठुकरा के रह गया।
हमने तो बस वफ़ा की ज़ुबाँ को जिया था,
तू मतलबों की भीड़ में खो जा के रह गया।
रातें भी तेरी याद में बिखरी पड़ी रहीं,
दिन अपना हर उजालों में गँवा के रह गया।
तेरे बिना तो अब ये सदी भी सजा लगे,
तू जा के भी मेरे दिल में समा के रह गया।
🖤🥀✨
दिल को तेरे ख़्याल में उलझा के रह गया,
हर साँस तेरा नाम ही दोहरा के रह गया।
चाहा था तुझे टूट के, कुछ भी न माँगा था,
तू फिर भी मेरी रूह को झुठला के रह गया।
वो वक़्त भी था जब तेरा हर ग़म मेरा था,
अब तू हर एक दर्द को ठुकरा के रह गया।
हमने तो बस वफ़ा की ज़ुबाँ को जिया था,
तू मतलबों की भीड़ में खो जा के रह गया।
रातें भी तेरी याद में बिखरी पड़ी रहीं,
दिन अपना हर उजालों में गँवा के रह गया।
तेरे बिना तो अब ये सदी भी सजा लगे,
तू जा के भी मेरे दिल में समा के रह गया।
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चुप हैं लबों पे दर्द की सदा कोई नहीं,
टूटे हुए दिलों की दास्ताँ कोई नहीं।
राहों में रह गयी हूँ मैं तन्हा सी कुछ यूँ,
जिसको बुला रही थी वो पता कोई नहीं।
आँखों से गिर गई हैं तमन्नाओं की लौ,
अब इन चराग़ों में भी अब जला कोई नहीं।
वो भी गया तो साथ में सब कुछ ले गया,
सीने में धड़कनों की सदा कोई नहीं।
मिलती नहीं हूँ अब मैं खुद अपने से भी,
आईना देखती हूँ तो “मैं” क्या कोई नहीं।
🥀✨
टूटे हुए दिलों की दास्ताँ कोई नहीं।
राहों में रह गयी हूँ मैं तन्हा सी कुछ यूँ,
जिसको बुला रही थी वो पता कोई नहीं।
आँखों से गिर गई हैं तमन्नाओं की लौ,
अब इन चराग़ों में भी अब जला कोई नहीं।
वो भी गया तो साथ में सब कुछ ले गया,
सीने में धड़कनों की सदा कोई नहीं।
मिलती नहीं हूँ अब मैं खुद अपने से भी,
आईना देखती हूँ तो “मैं” क्या कोई नहीं।
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एक रिश्ता सब से खफा होकर क्या बना लिया
बदनाम कहलाने लगे,
पहली बार ख़ुद की चाहत रखी सामने तो
हम गुलाम कहलाने लगे
जमाने की बेडियो से निकले क्या हम
पूरे इश्क़ बाजार मे नीलाम कहलाने लगे हम
वो गैर है, हम तुम्हारे है,
कुछ ऐसी बातों से लोग हमे सहलाने लगे
बदनाम कहलाने लगे,
पहली बार ख़ुद की चाहत रखी सामने तो
हम गुलाम कहलाने लगे
जमाने की बेडियो से निकले क्या हम
पूरे इश्क़ बाजार मे नीलाम कहलाने लगे हम
वो गैर है, हम तुम्हारे है,
कुछ ऐसी बातों से लोग हमे सहलाने लगे
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ग़ैर तो ग़ैर हैं, ग़ैरों से गिला क्या,
अपने तो अपने हैं, पर अपनों से मिला क्या।
छाँव भी दी नहीं, धूप ही धूप दी,
उस दर से लौटे हैं, कुछ भी तो सिला क्या।
जिसे अपना कहा, वो ही ज़ख़्म दे गया,
अब किसी पर भरोसा करे दिल भला क्या।
आईना भी अब चेहरा छुपाने लगा है,
जब अपना अक्स ही लगे औरों से जुदा क्या।
हर मोड़ पर इक नक़ाब मिलती रही,
अब तलाश-ए-हक़ीक़त में बचा है भला क्या।
लब खामोश हैं, आँखें कहती हैं फ़साना,
पर सुने कौन, यहाँ कोई रहा ही कहाँ क्या।
🖤✍️
अपने तो अपने हैं, पर अपनों से मिला क्या।
छाँव भी दी नहीं, धूप ही धूप दी,
उस दर से लौटे हैं, कुछ भी तो सिला क्या।
जिसे अपना कहा, वो ही ज़ख़्म दे गया,
अब किसी पर भरोसा करे दिल भला क्या।
आईना भी अब चेहरा छुपाने लगा है,
जब अपना अक्स ही लगे औरों से जुदा क्या।
हर मोड़ पर इक नक़ाब मिलती रही,
अब तलाश-ए-हक़ीक़त में बचा है भला क्या।
लब खामोश हैं, आँखें कहती हैं फ़साना,
पर सुने कौन, यहाँ कोई रहा ही कहाँ क्या।
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कल मिला वक़्त तो जुल्फें तेरी सुलझा लूँगा,
आज उलझा हूँ ज़रा वक्त को सुलझाने में
यूं तो पल भर में सुलझ जाती हैउलझी जुल्फें,
उम्र कट जाती है पर वक्त के सुलझाने मे,
आज उलझा हूँ ज़रा वक्त को सुलझाने में
यूं तो पल भर में सुलझ जाती हैउलझी जुल्फें,
उम्र कट जाती है पर वक्त के सुलझाने मे,
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मुझे नहीं हवस तेरे हुस्न की
तेरा दीदार ही काफी है
ख्वाहिश नहीं मुझे दौलत ए दुनिया की
मेरे लिए तेरा साथ ही काफी है
है हुस्न वाले यहाँ कई और भी
मेरे लिए तेरी निगाहें ही काफी है
तेरा दीदार ही काफी है
ख्वाहिश नहीं मुझे दौलत ए दुनिया की
मेरे लिए तेरा साथ ही काफी है
है हुस्न वाले यहाँ कई और भी
मेरे लिए तेरी निगाहें ही काफी है
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वो मेहँदी लगे हाथ दिखा के रोई,
मैं किसी और की हूँ, वो बस इतना बता के रोई....
मेने बोला कौन हैं वो खुशनसीब,
वो मेहँदी से लिखा हाथ दिखा के रोइ...
शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे,
वो मुझे पास अपने बिठाकर रोई...
कभी कहती थी मैं न जी पाऊँगी बिन तुम्हारे,
और आज ये बात दोहरा दोहरा कर रोई...
मैं बेकसूर हूँ, कुदरत का फैसला है ये,
लिपट कर मुझसे बस वो इतना बता कर रोई...
कैसे उसकी मोहब्बत पर शक करे ये दोस्तों,
भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा कर रोई...❤️
मैं किसी और की हूँ, वो बस इतना बता के रोई....
मेने बोला कौन हैं वो खुशनसीब,
वो मेहँदी से लिखा हाथ दिखा के रोइ...
शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे,
वो मुझे पास अपने बिठाकर रोई...
कभी कहती थी मैं न जी पाऊँगी बिन तुम्हारे,
और आज ये बात दोहरा दोहरा कर रोई...
मैं बेकसूर हूँ, कुदरत का फैसला है ये,
लिपट कर मुझसे बस वो इतना बता कर रोई...
कैसे उसकी मोहब्बत पर शक करे ये दोस्तों,
भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा कर रोई...❤️
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