मुसाफिर बन कर आया वो,
ना जाने कब दिल का "मेहमान" बन गया...
नजरो से हुई गुफ्तगूं,
ना जाने कब वो दिल का राजदार बन गया....
ये दिल ही ना बहका,
हम भी कुछ इस तरह बहके कि
ये दिल ना जाने कब उनका तलबगार हो गया....
लरजते होंठो से हम कह ना सके,
ऐ मुसाफिर ना जाने कब से तेरा इंतजार हो गया...
थाम ले दामन अब मेरा,
तुझसे ही रूबरू,
मेरी उल्फतो का अब आगाज हो गया...
चाहत मिट ना जाये,, तेरी चाहत मे
और तुझे खबर ही ना हो
मेरे दर्द-ओ-गम का तू इलाज हो गया ....!!
❤️🥀✨
ना जाने कब दिल का "मेहमान" बन गया...
नजरो से हुई गुफ्तगूं,
ना जाने कब वो दिल का राजदार बन गया....
ये दिल ही ना बहका,
हम भी कुछ इस तरह बहके कि
ये दिल ना जाने कब उनका तलबगार हो गया....
लरजते होंठो से हम कह ना सके,
ऐ मुसाफिर ना जाने कब से तेरा इंतजार हो गया...
थाम ले दामन अब मेरा,
तुझसे ही रूबरू,
मेरी उल्फतो का अब आगाज हो गया...
चाहत मिट ना जाये,, तेरी चाहत मे
और तुझे खबर ही ना हो
मेरे दर्द-ओ-गम का तू इलाज हो गया ....!!
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यदि पुरुष स्त्री को अपनी
बाहों में लेना चाहता है तो
उसका तात्पर्य केवल वासना
मात्र ही नहीं हो सकता है
कई दफा इसका अर्थ होता है
वह स्त्री को उसकी आत्मा तक
स्पर्श करना चाहता है
उस स्त्री के मन को टटोलना चाहता है
जो अथाह प्रेम को अपने
मन में कहीं दबा लेती है
वह अपने सीने से लगाकर
स्त्री की आंखों के आँसुओ को
प्रेम से सोख लेना चाहता है
उस स्त्री के सूखे वीरान पड़े जीवन को
प्रेम की बारिशों में
भिगो देना चाहता है
यह वासना नही है
उस पुरुष का अथाह समर्पण है
उस स्त्री के लिए
जिसे वह हृदय से प्रेम करता है.
❤️❤️
बाहों में लेना चाहता है तो
उसका तात्पर्य केवल वासना
मात्र ही नहीं हो सकता है
कई दफा इसका अर्थ होता है
वह स्त्री को उसकी आत्मा तक
स्पर्श करना चाहता है
उस स्त्री के मन को टटोलना चाहता है
जो अथाह प्रेम को अपने
मन में कहीं दबा लेती है
वह अपने सीने से लगाकर
स्त्री की आंखों के आँसुओ को
प्रेम से सोख लेना चाहता है
उस स्त्री के सूखे वीरान पड़े जीवन को
प्रेम की बारिशों में
भिगो देना चाहता है
यह वासना नही है
उस पुरुष का अथाह समर्पण है
उस स्त्री के लिए
जिसे वह हृदय से प्रेम करता है.
❤️❤️
तुमने परखा नही कभी मुझको,
आगे बढ़कर गले लगाया है,
तुमने रखी है मेरी बात खुद से पहले,
तुमने हमेशा ही मेरा मान बढ़ाया है,
तुमने देखा नही मेरे बाद फिर किसी को,
मेरे इर्द गिर्द अपना दायरा बनाया है,
अपने हर फैसले में साथ रखा है मुझको,
लाख कमियों के बावजूद मुझको अपनाया है,
मेरी खामोशियों को पढ़ लेते हो,
तुमसे बेहतर मुझे कौन जान पाया है.?
हो इसीलिए तो बहुत खास तुम,
यही वजह है कि हमने,
तुम्हे तहे दिल से अपना बनाया है...!.
ख़ैर....
आगे बढ़कर गले लगाया है,
तुमने रखी है मेरी बात खुद से पहले,
तुमने हमेशा ही मेरा मान बढ़ाया है,
तुमने देखा नही मेरे बाद फिर किसी को,
मेरे इर्द गिर्द अपना दायरा बनाया है,
अपने हर फैसले में साथ रखा है मुझको,
लाख कमियों के बावजूद मुझको अपनाया है,
मेरी खामोशियों को पढ़ लेते हो,
तुमसे बेहतर मुझे कौन जान पाया है.?
हो इसीलिए तो बहुत खास तुम,
यही वजह है कि हमने,
तुम्हे तहे दिल से अपना बनाया है...!.
ख़ैर....
मेंहदी लगा कर हीर ने। अपना हर पसंदीदा शख्स खोया है.! और दारु के हर एक घुट मे। रांझा अपनी हीर के लिए रोया है..