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घुटन कभी कभी भीड़ में नहीं

अकेले में होती है....
अपने पर आ जाऊं तो पलट कर भी न देखूं

तुम मेरे सब्र से अभी वाकिफ ही कहां हो

😁😎
चाहे कहने में सदियों की देरी हो
तुम जब कहना, कहना मेरी हो...❤️🌻
"स्पर्श की स्मृतियों से
कई देर ज़्यादा तक रहता है
स्मृतियों का
स्पर्श..

तुम्हारी
स्मृति का होना ही
तुम्हारा स्पर्श है.!"🌹
सरल सी हूँ.. मगर दिल में तहों का राज़ है..
हर मुस्कान के पीछे कुछ अनकहा साज़ है...

तुझे चाहा है कुछ इस तरह मेरी सोच ने
जैसे तन्हाई में कोई मीठी आवाज़ है..

लोग कहते हैं मैं तो बड़ी सादा हूँ
क्या बताऊँ..
इश्क़ में कितनी आधी-अधूरी और ज़्यादा हूँ..

तू पढ़ न सका जो मेरी चुप्पियों की जुबां
वो उलझनें मेरी ..मेरी असली दास्तां..
.........💖💚
मैंने तुम्हारे इश्क को सिर्फ कल्पनाओं में जिया है

हक़ीक़त में तो मेरा इश्क तुमसे कभी रुबरु ही नहीं हुआ...!❤️🥀
तू चला गया तो खामोश हो गई हूं मैं,

अब अल्फाजों में नहीं, दर्द को कागज पर उतारती हूं।

तू नहीं समझा कभी मेरी मोहब्बत को,

इसलिए अब हर शेर में तेरा हिसाब लिखती हूं।......🖤🥀
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💔🥀😑
सर रख कर रोने के लिए कंधा चाहिए था

मैं अकेली थी तुझे आना चाहिए था..
एक बार खुद को मेरी जगह रख कर देखना

तरस न आए तो कहना..
जाने तो दिया तुमको

पर तुम्हारे साथ मेरी सारी खुशियां चली गई
Loyalty जैसा कुछ नहीं होता है पार्थ,,,

Option अधिक मिलने पर
कपड़े पसंद करना भी मुश्किल हो जाता है।
अब नफ़रत है तुझसे, पर अब मोहब्बत नहीं,
कभी दिल था मेरा, अब वो भी क़ुबूलत नहीं।

तेरे जाने का ग़म है, ये झूठ नहीं,
मगर लौट आने की अब हसरत नहीं।

जो पल साथ गुज़रे, वो यादों में हैं,
मगर अब उन लम्हों की चाहत नहीं।

तेरी आँखों में देखा था इक ख़्वाब सा,
अब उस ख़्वाब में भी कोई राहत नहीं।

तू क्या जाने बिछड़ने का आलम मेरा,
मैं ज़िंदा तो हूँ, पर वो सूरत नहीं।

कभी चाहा तुझे जान से भी ज़्यादा,
मगर अब ये दिल वैसी हालत नहीं।

तू पूछेगा कल क्यूँ बदली हूँ मैं,
तो कह दूँगी सीधा — अब मोहब्बत नहीं।

.......🥀
रूह में बसे हुए शख्स से कभी नफ़रत नहीं होती

चाहे वो हमें कितनी ही तकलीफ़ क्यों ना दे।।🥀
दुआ करती हूं.....
       उसे मिले भी ना मुझ जैसा कोई

उम्र भर याद बन रहना चाहतीं हूं
                          उसके ज़हन में....!🥀#sirftum,,,,,,,
टूट कर चाहना
और फिर टूट जाना,,
बात छोटी है..
पर जान निकल जाती है ।।😕
किसी को क्या खबर के रोज़ तेरा नाम लिखते हैं, तेरे बिना भी तुझसे ही हर शाम मिलते हैं।


तू हँसता है तो लगता है खुदा मुस्कुरा गया, और हम तन्हाई में तेरे नाम का जाम लेते हैं।


तेरे ख्यालों में ही उलझी रहती है ये ज़िंदगी, हर धड़कन पे तेरा ही इल्ज़ाम लिखते हैं।


तू किसी और का हो जाए, फिर भी तेरी रहूं, इस पागलपन को लोग इश्क़ का नाम लिखते हैं।,,,,,🥀


न तू मेरा हुआ, न मैं तुझसे जुदा हुई, तेरे बगैर भी तुझे हर पल सलाम लिखते हैं
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काश हम भी किसी की ज़िद होते,,

काश कोई हमे पाने के लिए हद पाए कर जाता ।।

🕊👉👈
2025/07/05 03:00:33
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