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मैं चाहता हूँ की,
अलमारी में मेरे पर्स और घड़ी के साथ “तुम्हारे झुमके" भी रखें हों..!♥️
अलविदा कहने का भी इक तौर होता है प्रिये,
रुख़सती के वक्त तो नज़दीक होना चाहिए।
गर्मी की छुट्टियां सभी की विरान होने लगी है,
वो नानी का घर जब से मामा का घर हुआ है..❤️🌻
समाज से कह दो इतनी फ़िक्र न करें,
हमने इश्क़ किया है…शादी नहीं...💞
तसवीरें Delete हो सकती हैं..
फ़ोन से नंबर Delete हो सकता है..
मगर किसी के साथ बिताया हुआ..
समय और यादें..
जिंदगी भर Delete नहीं होती.. 🔱🖤
"सखी"

मेरा प्रेम स्थापित है पौराणिकताओ मे,कलश मे,अक्षत मे,यज्ञ पल्लव मे!

🍃🍃🩷🌱🌱
एक शख्स पे कुर्बान करदी मैने अपनी सारी चाहते अब मोहब्बत किसे कहते हैं मुझे मालूम नहीं.....❤️🍃🌹
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छोड़ नहीं रही हूं मैं आपको

बस आपकी खुशी के लिए ही मैं,
आपको आजाद कर रही हूं.....!!🥀
प्यार तो था ही नहीं मोहतरमा को.........

"हां" मगर प्यार के नाम पर बात रोज किया करती थी..😢😢
मैं उस्की दूसरी मोहब्बत था...

वह पहली मोहब्बत मैं धोखा खाचुकी थी इसलिए उसने पहली मोहब्बत की सजा मुझे दे रही हैं 💔😢
ख़त्म तो सब धीरे धीरे होता है
बस पता अचानक चलता है.!!🥀💔
मुझे 'इत्र' लगाने का 'शौक नहीं,
मैं तो उसे गले लगाना चाहता हूं...❤️🌻
और कोई इल्ज़ाम रह गया हो
तो वो भी लगा दो,

पहले भी हम बुरे थे,
अब थोड़ा और बुरा बना दो ...… 🥀
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी ,
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह....❤️🌻
लोग अक्सर पूछते हैं मुझसे,
जब वो गया तब तुम रोई तो बहुत होगी?

मैं मुस्करा के कहती हूं,
के वो गया ही कहां है अभी .....😊 🥀🖤
कोई नहीं आयेगा इस दिल में
तुम Permanent हो..♥️🌼
फा़सले अब क्यों तुम बढ़ाकर चले गए,
आग दिल में क्यूं तुम लगाकर चले गए...!!

तुम तो कहते थे तुम बिन दिल लगता नहीं,
अब बहाने क्यूं तुम बनाकर चले गए...!!

इंतेहा कर दी मोहब्बत की तुमने कभी,
आज नज़रें फिर क्यूं झुकाकर चले गए...!!

ना जाने क्या कमी रह गई चाहत में मेरी,
जो इस तरह तुम हमें रूलाकर चले गए...!!

मेरी नज़रें अब भी उन्हीं रास्तों पे हैं,
जहां हाथ अपना तुम छुड़ाकर चले गए...!!
तुम्हारे छोड़ जाने के बाद मैं खोई रही
          किताबों में

मेरी कहानी में तेरे बाद किताबों के सिवा
        कुछ भी न था .....
जानते हो खालीपन क्या है

जब यादें गूंजती हैं,
और सन्नाटा
जवाब देने से कतराता है।

कल जो तुम थे
आज वो एहसास भी अधूरा है।

तेरी गैरहाजिरी का ये बोझ
जाने क्यों
अब हर लम्हें को भारी कर जाता है।।

...........🤍
2025/07/03 16:56:22
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