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जगतगुरु शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाभाग के अमृत वचन » Telegram Web
परमगुरुदेव जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाभाग ब्रह्मलीन हुए, सनातन धर्म को अपूर्णीय क्षति। 🙏🏽💐
#नकली_धर्मप्रचारकों_का_भंडाफोड़
आपको जिन शांकर मठो के प्रचारकों पर विश्वास है या अन्य जो संप्रदाय है उनके प्रचारकों पर विश्वास है ! वो प्रचारक स्वयं शांकर सिद्धांत भी या जो सो मत के सिद्धांत को जानते है?
अभी हम जैसे "उदाहरण के तौर" पर शंकराचार्य मठों के प्रचारको का ही करें तो,आपने कभी उनके साथ सैद्धांतिक बात की है?क्या वे लोग सामान्य शांकर सिद्धांत या सामान्य शास्त्रीय सिद्धांत को भी जानते है?
आप जनसामान्य उन लोगों का बड़ा ग्रुप दबदबा देखकर चकाचौंध देखकर जुड़ तो जाते बाद में आप भी उन लोगों जैसे *सिद्धांतविहीन* बन जाते है। आप किसी भी ५ प्रचारकों को यादृच्छिक रूप से पकड़िए और उन्हें सामान्य वैदिक धर्मसिद्धांत,शंकर परम्परा के सिद्धांत और शंकराचार्य मठों का संविधान पूछिए यह लोग वास्तव में कुछ नहीं जानते, इनको केवल जो सो सम्प्रदाय में जो अमुक लाभ पाने हेतु पहले सीनियर जुड़े होते है उनकी आज्ञा का पालन करना होता है,आप भावुक होकर हिन्दू धर्म को बचाने के लिए शीर्ष आचार्य का मुख देखकर जुड़ते है वो आपको मूर्ख समझते है एक और मुफ़्त का प्रचारक जुड़ गया। फ़िर आप जैसे सामान्य लोगों की भावनाओं का लाभ उठाकर यह मठ के गुट में भी रहते है और अपना विशेष गुट भी बनाते है ताकि स्वयं को मठ प्रशासन के सामने प्रतिभाशाली साबित किया जाए।
बड़े बड़े प्रकल्प चलाकर अन्य के प्रति अपनी मर्यादा का उल्लंघन एवं सम्प्रदाय के संविधान का अतिक्रमण ही इन लोगों का आशय है। पुनः इन लोगों को न कोई गुरु से लेना देना है न कोई सम्प्रदाय से न धर्म से न शास्त्र से न किसी भी प्रकार हिन्दुधर्म के सिद्धांत से, केवल आर्थिक उपार्जन के लिए मठ से लिंक बनाई हुई होती है, ताकि *मठ या संस्था के नेटवर्क* के दम पर उनके धंधे का भी प्रचार हो।यह लोग अपना धंधा चलाने के लिए मठ के नेटवर्क में सेंध करते है, और अपने निजीस्वार्थवश मठ के नेटवर्क का अपने लाभ के लिए उपयोग करते है, वास्तव में इन लोगों को शंकर सिद्धांत के साथ कोई लेनादेना नहीं होता केवल अपने स्वार्थवश अपने आप को मठ से जुड़ा या मठ का प्रचारक बताकर आपको उनके बिज़नेस की भी स्किम दे देतें है। यहीं आजकल न केवल शंकर सम्प्रदाय तमाम सम्प्रदाय तथा धार्मिक संस्थाओं में चलता है।
आगे सुनिए, इनके गुरुओं के आपके घर पदार्पण के भाव यह सुनिश्चित करते है(गुरु नहीं) जहां कम से कम एक लाख से लेकर पांच लाख तक कथित दक्षिणा के तौर पर मांगे जाते है।
मठ में रह रहे, शीर्ष आचार्य निःसंदेह ही विद्वान होते है किन्तु उनके अलावा कोई भी पांच - सात यादृच्छिक रूप से ब्रह्मचारी या भगवावस्त्र पहने व्यक्ति को पकड़िए उनको सामान्य हिन्दू शास्त्रीय सिद्धांत पूछिए,उनके मूल सम्प्रदाय के संविधान के सिद्धांत पूछिए उनकी ही गुरु परम्परा के १० पूर्व आचार्यो का नाम पूछिए। आपको स्वयं को पता चल जाएगा कि यह कितने योग्य है।
मठ या संस्थाओं के अंदर क्या चल रहा है, वहां शास्त्रीय नियमो का पालन हो रहा है कि नहीं? शीर्ष आचार्य के साथ घूमते तमाम लोग उनके साथ रहकर भी ज्ञान युक्त है कि नहीं? *वह लोग जातिय एवं आचार के परीक्षण से ब्रह्मचारीत्व या सन्यासी बनने के लायक भी है या नहीं।*
कुछ तो अपनी तमाम मर्यादाओं का उल्लंघन कर चुके है। जो पटल पर ला भी नहीं सकते।
इनसे सामान्य जुड़े लोगों या अनुयायियों के साथ कदाचित कोई जिम्मेदार व्यक्ति के द्वारा गलत भी होता है तो भी वो बेचारे बंध मुह सह लेते है। मठ के आंतरिक लोग में भावना हो न हो बाहर से जो जुड़े है वो लोकलज्जा और मठ की मर्यादा, मान बने रहे ऐसी भावना से मौन का सेवन करते है।
अन्य सम्प्रदाय मैं जैसे बोला यही एक जैसा ही पैटर्न है। विदेशों में धनलालसा से मंदिर बनाए जाते है, अपनी अमर्यादित भक्तो की संख्या के कारण राजनीति दलों के भी यह लोग अनुगमन करते है की आपके जो सो संस्था या सम्प्रदाय के इतने अनुयायी है आपको हमारी सरकार से यह वो लाभ मिलेंगे ऐसा कर वोट बटोरे जाते है।
ऐसे भी बहुत यानी बहुत सारे पहलू है जो सार्वजनिक तौर पर नहीं बोले जाते जिनके अनुभव में आया वे स्वयं ही जानते है। किंतु लोकलज्जा से भी वो मौन रहते है।
*हिन्दू धर्म को बचाना है तो आवाज़ उठाइए और जहां शास्त्र विरुद्ध का कृत्य या आप के साथ निजी तौर पर ऐसी घटना हुई तो सार्वजनिक करिए ताकि और भी जनसामान्य लोग यह जाल से बचे।*
अब आपको क्या करना है। आचार्य चाणक्य का वचन है,वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः।
यह मत भूलिए परम्परा,सम्प्रदाय,धार्मिक संस्थाओं आदि के समकक्ष कुलीन ब्राह्मण की गृहस्थ परम्परा है, और सन्यासी आपके दूसरे क्रम के गुरु है,पहले क्रम के गुरु हम सब कुलीन गृहस्थ ब्राह्मण है यही शास्त्र सिद्धांत है। यही #निर्णय है। केवल योग्य गृहस्थ ब्राह्मण गुरु के अभाव में ही अन्य परम्परा का आलंबन ले सकते है तब तक आपके प्रथम गुरु गृहस्थ ब्राह्मण है। चुप न रहें बोले आपके साथ अगर कोई छल हुआ है तो सामने
आपको जिन शांकर मठो के प्रचारकों पर विश्वास है या अन्य जो संप्रदाय है उनके प्रचारकों पर विश्वास है ! वो प्रचारक स्वयं शांकर सिद्धांत भी या जो सो मत के सिद्धांत को जानते है?
अभी हम जैसे "उदाहरण के तौर" पर शंकराचार्य मठों के प्रचारको का ही करें तो,आपने कभी उनके साथ सैद्धांतिक बात की है?क्या वे लोग सामान्य शांकर सिद्धांत या सामान्य शास्त्रीय सिद्धांत को भी जानते है?
आप जनसामान्य उन लोगों का बड़ा ग्रुप दबदबा देखकर चकाचौंध देखकर जुड़ तो जाते बाद में आप भी उन लोगों जैसे *सिद्धांतविहीन* बन जाते है। आप किसी भी ५ प्रचारकों को यादृच्छिक रूप से पकड़िए और उन्हें सामान्य वैदिक धर्मसिद्धांत,शंकर परम्परा के सिद्धांत और शंकराचार्य मठों का संविधान पूछिए यह लोग वास्तव में कुछ नहीं जानते, इनको केवल जो सो सम्प्रदाय में जो अमुक लाभ पाने हेतु पहले सीनियर जुड़े होते है उनकी आज्ञा का पालन करना होता है,आप भावुक होकर हिन्दू धर्म को बचाने के लिए शीर्ष आचार्य का मुख देखकर जुड़ते है वो आपको मूर्ख समझते है एक और मुफ़्त का प्रचारक जुड़ गया। फ़िर आप जैसे सामान्य लोगों की भावनाओं का लाभ उठाकर यह मठ के गुट में भी रहते है और अपना विशेष गुट भी बनाते है ताकि स्वयं को मठ प्रशासन के सामने प्रतिभाशाली साबित किया जाए।
बड़े बड़े प्रकल्प चलाकर अन्य के प्रति अपनी मर्यादा का उल्लंघन एवं सम्प्रदाय के संविधान का अतिक्रमण ही इन लोगों का आशय है। पुनः इन लोगों को न कोई गुरु से लेना देना है न कोई सम्प्रदाय से न धर्म से न शास्त्र से न किसी भी प्रकार हिन्दुधर्म के सिद्धांत से, केवल आर्थिक उपार्जन के लिए मठ से लिंक बनाई हुई होती है, ताकि *मठ या संस्था के नेटवर्क* के दम पर उनके धंधे का भी प्रचार हो।यह लोग अपना धंधा चलाने के लिए मठ के नेटवर्क में सेंध करते है, और अपने निजीस्वार्थवश मठ के नेटवर्क का अपने लाभ के लिए उपयोग करते है, वास्तव में इन लोगों को शंकर सिद्धांत के साथ कोई लेनादेना नहीं होता केवल अपने स्वार्थवश अपने आप को मठ से जुड़ा या मठ का प्रचारक बताकर आपको उनके बिज़नेस की भी स्किम दे देतें है। यहीं आजकल न केवल शंकर सम्प्रदाय तमाम सम्प्रदाय तथा धार्मिक संस्थाओं में चलता है।
आगे सुनिए, इनके गुरुओं के आपके घर पदार्पण के भाव यह सुनिश्चित करते है(गुरु नहीं) जहां कम से कम एक लाख से लेकर पांच लाख तक कथित दक्षिणा के तौर पर मांगे जाते है।
मठ में रह रहे, शीर्ष आचार्य निःसंदेह ही विद्वान होते है किन्तु उनके अलावा कोई भी पांच - सात यादृच्छिक रूप से ब्रह्मचारी या भगवावस्त्र पहने व्यक्ति को पकड़िए उनको सामान्य हिन्दू शास्त्रीय सिद्धांत पूछिए,उनके मूल सम्प्रदाय के संविधान के सिद्धांत पूछिए उनकी ही गुरु परम्परा के १० पूर्व आचार्यो का नाम पूछिए। आपको स्वयं को पता चल जाएगा कि यह कितने योग्य है।
मठ या संस्थाओं के अंदर क्या चल रहा है, वहां शास्त्रीय नियमो का पालन हो रहा है कि नहीं? शीर्ष आचार्य के साथ घूमते तमाम लोग उनके साथ रहकर भी ज्ञान युक्त है कि नहीं? *वह लोग जातिय एवं आचार के परीक्षण से ब्रह्मचारीत्व या सन्यासी बनने के लायक भी है या नहीं।*
कुछ तो अपनी तमाम मर्यादाओं का उल्लंघन कर चुके है। जो पटल पर ला भी नहीं सकते।
इनसे सामान्य जुड़े लोगों या अनुयायियों के साथ कदाचित कोई जिम्मेदार व्यक्ति के द्वारा गलत भी होता है तो भी वो बेचारे बंध मुह सह लेते है। मठ के आंतरिक लोग में भावना हो न हो बाहर से जो जुड़े है वो लोकलज्जा और मठ की मर्यादा, मान बने रहे ऐसी भावना से मौन का सेवन करते है।
अन्य सम्प्रदाय मैं जैसे बोला यही एक जैसा ही पैटर्न है। विदेशों में धनलालसा से मंदिर बनाए जाते है, अपनी अमर्यादित भक्तो की संख्या के कारण राजनीति दलों के भी यह लोग अनुगमन करते है की आपके जो सो संस्था या सम्प्रदाय के इतने अनुयायी है आपको हमारी सरकार से यह वो लाभ मिलेंगे ऐसा कर वोट बटोरे जाते है।
ऐसे भी बहुत यानी बहुत सारे पहलू है जो सार्वजनिक तौर पर नहीं बोले जाते जिनके अनुभव में आया वे स्वयं ही जानते है। किंतु लोकलज्जा से भी वो मौन रहते है।
*हिन्दू धर्म को बचाना है तो आवाज़ उठाइए और जहां शास्त्र विरुद्ध का कृत्य या आप के साथ निजी तौर पर ऐसी घटना हुई तो सार्वजनिक करिए ताकि और भी जनसामान्य लोग यह जाल से बचे।*
अब आपको क्या करना है। आचार्य चाणक्य का वचन है,वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः।
यह मत भूलिए परम्परा,सम्प्रदाय,धार्मिक संस्थाओं आदि के समकक्ष कुलीन ब्राह्मण की गृहस्थ परम्परा है, और सन्यासी आपके दूसरे क्रम के गुरु है,पहले क्रम के गुरु हम सब कुलीन गृहस्थ ब्राह्मण है यही शास्त्र सिद्धांत है। यही #निर्णय है। केवल योग्य गृहस्थ ब्राह्मण गुरु के अभाव में ही अन्य परम्परा का आलंबन ले सकते है तब तक आपके प्रथम गुरु गृहस्थ ब्राह्मण है। चुप न रहें बोले आपके साथ अगर कोई छल हुआ है तो सामने
आए,कदाचित धर्म के शोधन, राजशोधन, व्यासपीठ शोधन, मठ शोधन, और मुलसिद्धान्त शोधन की प्रक्रिया आप से ही शुरू होगी। सत्य स्वयं ईश्वर स्वरूप है सत्य ही ईश्वर है, सत्य और धर्म के पक्ष में रहे न कि व्यक्तिगत या संस्थागत पक्ष में।
*भगवान सनातन धर्म के समष्टि शोधन का मार्ग प्रशस्त करें ऐसी प्रार्थना के साथ त्रिवेदी जी का सर्व को अभिवादन।*
सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु ।
सर्वेशां शान्तिर्भवतु ।
सर्वेशां पुर्णंभवतु ।
सर्वेशां मङ्गलंभवतु ।
(यह मूल आर्टिकल है,इनकी विकृति या दुरुपयोग की मैं जिम्मेदारी नहीं लेता मूल आर्टिकल मेरे स्वयं के पृष्ठ पर है जो लिंक मैंने दी हुई है।)
https://www.facebook.com/HrtSpeaks
अभी और भी शोध जारी है, आगे और भी चीज प्रकाशित होगी तो निर्भयता से सत्य का पक्ष जरूर पड़ने पर इसी विषय पर एक और आर्टिकल बनाकर सत्य और धर्म का पक्ष रखा जाएगा।
श्रीमन्नारायण 💐
पं.हिरेनभाई त्रिवेदी, क्षेत्रज्ञ
श्रीवैदिकब्राह्मणः 🚩 गुजरात
परमधर्मसंसद१००८
*भगवान सनातन धर्म के समष्टि शोधन का मार्ग प्रशस्त करें ऐसी प्रार्थना के साथ त्रिवेदी जी का सर्व को अभिवादन।*
सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु ।
सर्वेशां शान्तिर्भवतु ।
सर्वेशां पुर्णंभवतु ।
सर्वेशां मङ्गलंभवतु ।
(यह मूल आर्टिकल है,इनकी विकृति या दुरुपयोग की मैं जिम्मेदारी नहीं लेता मूल आर्टिकल मेरे स्वयं के पृष्ठ पर है जो लिंक मैंने दी हुई है।)
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अभी और भी शोध जारी है, आगे और भी चीज प्रकाशित होगी तो निर्भयता से सत्य का पक्ष जरूर पड़ने पर इसी विषय पर एक और आर्टिकल बनाकर सत्य और धर्म का पक्ष रखा जाएगा।
श्रीमन्नारायण 💐
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Forwarded from श्रीमद आद्य शंकराचार्य परम्परा के दिव्य संदेश 🚩 (Hiren Trivedi 'क्षेत्रज्ञ')
ब्रह्मानंद_सरस्वती_जी_महाभाग_के_१०८_उपदेश.pdf
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*अनंतश्रीविभूषित ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री स्वरुपानंद सरस्वती जी महास्वामीजी का दीपावली पर्व पर दिव्य संदेश।*
"दीपज्योतिः परंब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते॥"
दीपक की रोशनी संसार के तम को दूर करे और आपके जीवन मे प्रकाश लाए। आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। माता लक्ष्मी आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करें।
श्रीवैदिक ब्राह्मणः 🚩 परिवार की और से तमाम सनातन धर्मावलंबियों को दिवाली पर्व और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं💐
"दीपज्योतिः परंब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते॥"
दीपक की रोशनी संसार के तम को दूर करे और आपके जीवन मे प्रकाश लाए। आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। माता लक्ष्मी आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करें।
श्रीवैदिक ब्राह्मणः 🚩 परिवार की और से तमाम सनातन धर्मावलंबियों को दिवाली पर्व और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं💐
समयाभाव के कारण हम टेलीग्राम के यह चैनल डिलीट करने वाले है, अतः नीचे दिए गए व्हाट्सऐप चैनल के माध्यम से जुड़ जाइए आपके लिए श्रीमदाद्य शंकराचार्य परम्परा के वर्तमान एवं पूर्वाचार्यो के दिव्य संदेश अब व्हाट्सएप चैनल पर से प्रेषित किए जाएंगे।
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जय वेदनारायण💐
एडमिन :
पं. हिरेनभाई त्रिवेदी,क्षेत्रज्ञ
श्रीवैदिकब्राह्मणः🚩गुजरात
परमधर्मसंसद१००८
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जय वेदनारायण💐
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पं. हिरेनभाई त्रिवेदी,क्षेत्रज्ञ
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जगद्गुरु श्रीमदाद्य शंकराचार्य परम्परा के दिव्य संदेश 🚩 | WhatsApp Channel
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*भगवान श्रीराम कृत शंभुस्तुतिः*
श्रीब्रह्मपुराण अध्याय १२३ (गौतमीय ५४) में भगवान श्रीराम द्वारा महादेव जी को प्रसन्न करने के लिए स्तुति करी वो यहाँ प्रस्तुत कर रहें है।
https://youtu.be/VXMZoPhIpYU
हमारी यूट्यूब चैनल को लाइक, सपोर्ट सब्सक्राइब करें। धन्यवाद।
जय श्रीराम 💐
हर हर महादेव 💐
श्रीब्रह्मपुराण अध्याय १२३ (गौतमीय ५४) में भगवान श्रीराम द्वारा महादेव जी को प्रसन्न करने के लिए स्तुति करी वो यहाँ प्रस्तुत कर रहें है।
https://youtu.be/VXMZoPhIpYU
हमारी यूट्यूब चैनल को लाइक, सपोर्ट सब्सक्राइब करें। धन्यवाद।
जय श्रीराम 💐
हर हर महादेव 💐
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श्रीरामकृता शम्भुस्तुतिः
श्रीरामकृता शम्भुस्तुतिः
ब्रह्मपुराणे त्रयोविंशाधिकशततमाध्यायान्तर्गतं श्रीरामकृतं शिवस्तोत्रं ।
ब्रह्मपुराणे त्रयोविंशाधिकशततमाध्यायान्तर्गतं श्रीरामकृतं शिवस्तोत्रं ।
*जय जय परशुराम*🚩🙏🏽
भगवान श्रीपरशुरामजी का प्रातः स्मरण।
*जगत के प्रथम राम भृगुनन्दन राम जी की जय हो।*
https://youtu.be/yyuPXr0v9Fg
नारायण।💐
भगवान श्रीपरशुरामजी का प्रातः स्मरण।
*जगत के प्रथम राम भृगुनन्दन राम जी की जय हो।*
https://youtu.be/yyuPXr0v9Fg
नारायण।💐
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भगवान श्रीपरशुराम प्रातःस्मरणम्
जय भगवान परशुरामजी।
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः। #lordparshuram #परशुराम #parshuram #parshurama #parsuram #parshuramstatus
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः। #lordparshuram #परशुराम #parshuram #parshurama #parsuram #parshuramstatus
*जय भगवान नरसिंह नारायण*
शरभशिवकृतः भगवान अष्टमुख गण्डभेरुण्ड नृसिंह स्तवः।
https://youtu.be/jjXSiyiaamA
श्रीमन्नारायण 💐
शरभशिवकृतः भगवान अष्टमुख गण्डभेरुण्ड नृसिंह स्तवः।
https://youtu.be/jjXSiyiaamA
श्रीमन्नारायण 💐
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श्री अष्टमुखगण्डभेरुण्डनृसिंह स्तवः - शरभशिवकृतः
श्री अष्टमुखगण्डभेरुण्डनृसिंहकल्पे ब्रह्मसनत्कुमारसंवादे शरभशिवकृतः स्तवः।#नृसिंह #नरसिंह #narsimha #narsingha #narsinghbhagwan #narsimha #narsimaha #vishnu ...
जगत के प्रथम राम भृगुनंदन राम। श्रीपरशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं।
*भगवान श्रीपरशुराम स्तोत्र।*
https://youtu.be/Pw9eoHD3qEE
जय जय श्रीपरशुरामजी💐
*भगवान श्रीपरशुराम स्तोत्र।*
https://youtu.be/Pw9eoHD3qEE
जय जय श्रीपरशुरामजी💐
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परशुरामस्तोत्रम्
श्रीवासुदेवानन्दसरस्वतीविरचितं श्रीपरशुरामस्तोत्रं #lordparshuram #परशुराम #परशुराम_जयंती #parshuram #parshurama #parshuramjayantistatus #parshuramsong #pars...
*भगवान श्री आदि शंकराचार्य जी को समर्पित श्री तोटकाचार्य रचित तोटकाष्टकम्।*
https://youtu.be/J8zzp7Vffwc
हर हर शंकर। 💐
जय जय शंकर। 💐
नमामि शंकर। 💐
https://youtu.be/J8zzp7Vffwc
हर हर शंकर। 💐
जय जय शंकर। 💐
नमामि शंकर। 💐
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श्रीशङ्करदेशिकाष्टकं अथवा तोटकाष्टकं।
भगवानश्री आदि शंकराचार्य जी की प्रार्थना करते हुए, श्री तोटकाचार्य ने श्रीशङ्करदेशिकाष्टकं अथवा तोटकाष्टकं की रचना की। #शंकराचार्य #शंकराचार्यजयंति #शांकर #श...