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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 30 अप्रैल 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्टी प्रातः 07:05 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा प्रातः 04:09 तक मई 01 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग- साध्य रात्रि 10:24 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहु काल - दोपहर 03:48 से शाम 05:24 तक*
*सूर्योदय - 06:11*
*सूर्यास्त - 07:01*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:26 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 01 से रात्रि 12:58 मई 01 तक*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸गर्मी से बचने हेतु उपाय 🔸*

*🔹 बायें नथुने से श्वास लें, ६० से ९० सेकंड श्वास अंदर रोककर गुरुमंत्र या भगवन्नाम का मानसिक जप करें और दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़े । ऐसा ३ से ५ बार करें । इससे कैसी भी गर्मी हो, आँखे जलती हों, चिड़चिड़ा स्वभाव हो, फोड़े-फुंसियाँ हो उनमे आराम हो जायेगा । रात को सोते समय थोडा-सा त्रिफला चूर्ण फाँक लेवें ।*

*🔹 गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग ठंडाइयाँ पीते हैं । बाजारू पेय पदार्थ, ठंडाइयाँ पीने की अपेक्षा नींबू की शिकंजी बहुत अच्छी है । दही सीधा खाना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं हैं, उसमें पानी डाल के छाछ बनाकर जीरा, मिश्री आदि डाल के उपयोग करना हितकारी होता है ।*

*🔹जिसके शरीर में बहुत गर्मी होती हो, आँखे जलती हो उसको दायीं करवट लेकर थोडा सोना चाहिए, इससे शरीर की गर्मी कम हो जायेगी । और जिसका शरीर ठंडा पड जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए, इससे स्फूर्ति आ जायेगी ।*

*🔹पित्त की तकलीफ है तो पानी-प्रयोग करें (अर्थात रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह सूर्योदय से पूर्व पिया करें ) । दूसरा, आँवले का मुरब्बा लें अथवा आँवला रस व घृतकुमारी रस (Aloe Vera Juice)मिलाकर बना पेय पियें । इससे पित्त-शमन होता है ।*

*🔹वातदोष हो तो आधा चम्मच आँवला पावडर, १ चम्मच घी और १ चम्मच मिश्री मिला के सुबह खाली पेट लेने से वातदोष दूर होते है ।*

*🔸बाल कटवाने का सही तरीका🔸*

*🔹शास्त्रों के ज्ञान को लोग भूलते जा रहे हैं अतः आज चिंता, दुःख, परेशानी, अवसाद आदि बढ़ते जा रहे हैं। पूज्य बापू जी ने शास्त्रों का दोहन कर कई जीवनोपयोगी विधियों के ज्ञान से समाज को लाभान्वित किया है । इनमें क्षौर कर्म भी आता है । पूज्य श्री कहते हैं- "हमारे शास्त्रों ने मुंडन कब करना चाहिए, बाल कब कटवाने चाहिए वह भी खोज लिया है ।*

*🔹रविवार को जो लोग मुंडन कराते हैं अथवा बाल कटवाते हैं, उनके धन, बुद्धि और धर्म की हानि होती है, ऐसा लिखा है । रविवार आदि के दिन बाल कटवा तो लेते हैं, परवाह नहीं करते हैं लेकिन बेचारों के जीवन में उन ग्रहों का कुप्रभाव तो देखने में आता ही है ।*

*🔹सोमवार को अगर क्षौर कर्म कराते हैं तो शिवभक्त की भक्ति की हानि होती है लेकिन शिवभक्त नहीं हैं तो सोमवार को मुंडन, बाल कटाने से कोई हानि नहीं है । पुत्रवान को भी इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*

*🔹मंगलवार को आयुष्य क्षीण होता है ।*

*🔹बुधवार को धन-लाभ होता है ।*

*🔹गुरुवार को करायें तो मान और लक्ष्मी अथवा धन-दौलत में बरकत क्षीण होने लगती है ।*

*🔹अगर शुक्रवार को क्षौर कर्म कराते हैं तो धन-लाभ व यश-लाभ बढ़ता है ।*

*🔹 और शनिवार को कराते हैं तो आयुष्य क्षीण होता है, अकाल मृत्यु अथवा दुर्घटना का भय रहेगा ।"*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 01 मई 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - सप्तमी प्रातः 04:01 मई 01 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - श्रवण प्रातः 3:11 मई 02 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग- शुभ रात्रि 08:02 मई 01 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल - दोपहर 12:36 से दोपहर 02:12 तक*
*सूर्योदय - 06:10*
*सूर्यास्त - 07:01*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:41 से 05:26 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 02 से रात्रि 12:58 मई 02 तक*
* व्रत पर्व विवरण- बुधवारी अष्टमी सूर्योदय से प्रातः 04:09 मई 02 तक, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, मजदूर दिवस*
*विशेष - अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹इन आठ पुष्पों से भगवान तुरंत प्रसन्न होते हैं । वे आठ पुष्प इस प्रकार हैं :-*

🔸 *(१) इन्द्रियनिग्रह : व्यर्थ देखने, सूँघने, सोचने, इधर-उधर व्यर्थ जगह पर भटकने की आदत को रोकना इसको कहते हैं इन्द्रियनिग्रहरूपी पुष्प ।*

🔸 *(२) अहिंसा : मन-वचन-कर्म से किसीको दुःख न देना ।*

🔸 *(३) निर्दोष प्राणियों पर दया : मूक एवं निर्दोष प्राणियों को न सताना । दोषी को अगर दंड भी देना हो तो उसके हित की भावना से देना ।*

🔸 *(४) क्षमारूपी पुष्प ।*

🔸 *(५) मनोनिग्रह (शम) : मन को एक जगह पर लगाने का अभ्यास करना, एकाग्र करना ।*

🔸 *(६) ध्यान: भगवान का ध्यान करना ।*

🔸 *(७) सत्य का पालन ।*

🔸 *(८) श्रद्धा : भगवान और भगवान को पाये हुए महापुरुषों में दृढ़ श्रद्धा रखना ।*


*🔹इन सात गुणों से सम्पन्न विद्यार्थी छू लेगा बुलंदियाँ*

*🔸'उत्साही, अदीर्घसूत्री (कार्य को शीघ्र पूर्ण करनेवाला), क्रिया की विधि को जाननेवाला, व्यसनों से दूर रहनेवाला, शूर, कृतज्ञ तथा स्थिर मित्रता वाले मनुष्य को सफलताएँ, सिद्धियाँ स्वयं ढूँढ़ने लगती हैं ।'*

*🔹हे विद्यार्थी ! कल्याण करनेवाली ये सात बातें अच्छी तरह से अपने जीवन में लाना । मित्र करो । उत्साहरहित नहीं, उत्साही बनो। दीर्घसूत्री (कार्य को देर से करनेवाला) नहीं, अदीर्घसूत्री हो । आज पढ़ने का पाठ कल पढ़ेंगे, बाद में करेंगे, ऐसा नहीं । जिस समय का जो काम है वह उस समय कर ही लेना चाहिए, बाद के लिए नहीं रखना चाहिए । काम करने की विधि को ठीक तरह से जान लो फिर सुनियोजन करके काम शुरू करो ।*

*🔹फास्ट फूड, डबल रोटी, पीजा, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय-कॉफी, पान-मसाला - ये सत्यानाश करते, करते और करते ही हैं । इसलिए इनके सेवन से बचो ।*

*🔹डरपोक जैसे विचार नहीं, शूरवीर जैसे विचार करो । किसीका उपकार न भूलो । अस्थिर मित्र नहीं, सज्जन, अच्छे मित्र बनाओ। परम स्थिर मित्र तो परमात्मा है, उसका तुम ध्यान करो । बाहर भी अच्छे, चरित्रवान, सत्संगी स्थिर मित्र करो ।*

*🔹विद्यार्थी ये सात गुण जिस विद्यार्थी के जीवन में हैं, जिस मनुष्य के जीवन में हैं, आज नहीं तो कल सफलता उसके चरण चूमती है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 02 मई 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - नवमी रात्रि 01:52 मई 03 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - घनिष्ठा रात्रि 01:49 मई 03 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*योग- शुक्ल शाम 05:19 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*राहु काल - दोपहर 02:12 से दोपहर 03:48 तक*
*सूर्योदय - 06:10*
*सूर्यास्त - 07:01*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:41 से 05:25 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01;01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 03 से रात्रि 12:58 मई 03 तक*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौ मांस के समान त्याज्य है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🍋नींबू रस से स्वास्थ्य लाभ🍋*

*🔹शरीर में अम्लता (खटाई) के कारण जो विष उत्पन्न होता है उसे नींबू में स्थित पोटेशियम अम्ल नष्ट करता है I*

*🔹नींबू में स्थित विटामिन सी शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है और स्कर्वी रोग में उपयोगी है I नींबू ह्रदय को स्वस्थ रखता है I*

*🔹विपरीत आहार विहार के कारण शरीर में “यूरिक एसिड” बनता है, उसका नाश करने के लिए प्रात: खाली पेट गर्म पानी में नींबू का रस लेना चाहिए I*

*🔹कब्ज, पेशाब में जलन, मन्दाग्नि, रक्तविकार, यकृत की शुद्धि, अजीर्ण, संग्रहणी, आदि रोगों में लाभकारी है I*

*🔹गर्म पानी में नींबू का रस एवं शहद मिलाकर लेने से सर्दी और इन्फ्लूएंजा आदि में पूरी राहत मिलती है I*

*🔹सावधानी : कफ, खाँसी, दमा, सिरदर्द और शरीर में दर्द के स्थाई रोगियों को नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए I*

*🔹 - लोक कल्याण सेतु, मार्च से अप्रैल 2001*

*📜गुरुवार विशेष 📜*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*

*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*

*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*

*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 03 मई 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - दशमी रात्रि 11:24 मई 03 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 12:06 मई 04 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*योग- ब्रह्मा दोपहर 02:19 तक तत्पश्चात इंद्र*
*राहु काल - सुबह 10:59 से दोपहर 12:35 तक*
*सूर्योदय - 06:09*
*सूर्यास्त - 07:02*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:35 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 04 से रात्रि 12:57 मई 04 तक*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 पूज्य बापूजी द्वारा निर्देशित - जैविक घड़ी के अनुसार दिनचर्या 🌹*

*🔸ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यो ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः सुबह एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें जिससे नीचे बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*

*👉 प्रातः ३ से ५ -(इस समय जीवनीशक्ति फेफड़ों में सक्रिय होती है ।)*
*इस समयावधि में थोड़ा गुनगुना पानी पीकर 'खुली हवा' में घूमना एवं प्राणायाम करना चाहिए ।*

*👉 सुबह : ५ से ७ (बड़ी आँत में) - प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल त्याग व स्नान कर लें । ५ से ७ (सुबह ७ बजे के बाद जो मल त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ घेर लेती हैं ।)*

*👉 सुबह ७ से ९ : (आमाशय या जठर में)- दूध या फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं । (भोजन के २ घंटे पूर्व)*

*👉 सुबह ९ से ११ : (अग्न्याशय व प्लीहा में) - यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है ।*

*👉 दोपहर ११ से १ : (हृदय में)- दोपहर १२ बजे के आसपास (मध्यह्न- संध्या) ध्यान, जप करें । भोजन वर्जित है ।*

*👉 दोपहर १ से ३ : (छोटी आँत में)- भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए ।*

*👉 दोपहर ३ से ५ : (मूत्राशय में)- २-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*

*👉 शाम ५ से ७ : गुर्दों में (Kidneys)- इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें अपितु संध्या करें ।*

*👉 रात्रि ७ से ९ : (मस्तिष्क में)- इस समय मस्तिष्क विशेषरूप से सक्रिय रहता है । अतः पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*

*👉 रात्रि ९ से ११ : (मेरूरज्जु में)- इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांतिप्रदान करती है ।*

*👉 रात्रि ११ से १ : (पित्ताशय में)- इस काल में जागरण पित्त बढ़ाता है ।*

*👉 रात्रि १ से ३ : (यकृत में)- इस काल में जागरण से पाचनतंत्र बिगड़ता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद : जून-२०२१*

*🥥🫒नारियल पानी के लाभकारी प्रयोग🫒🥥*

*🔹 मूत्र त्यागते समय जलन होने पर नारियल के पानी में गुड़ और हरा धनिया मिलाकर रोगी को पिलाने से राहत मिलती है ।*

*🔹 नारियल पानी यकृत की अनेक बीमारियों में लाभदायक है । उल्टी, हैजा, पेचिश, एसिडिटी, अल्सर, आदि में यह हितकर है I थकान तथा नाड़ी की तमाम गड़बड़ियाँ नारियल पानी से दूर हो जाती हैं ।*

*🔹 जिनकी दिल की धड़कन बढ़ जाती हो उन्हें हरे नारियल का पानी पीना चाहिए । शिशु के शरीर में जलीय अंश की कमी हो जाने पर उसे दूर करने के लिए यह एक आदर्श पेय है । महिलाओं के रक्तप्रदर में भी यह लाभदायक है ।*

*🔹 कच्चे नारियल का पानी चेहरे पर मलने से चेहरे के दाग-धब्बे व मुंहासों के निशान मिट जाते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है I*

*👉 लोक कल्याण सेतु, अंक-89, नवंबर से दिस. 2004*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 04 मई 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - एकादशी रात्रि 08:38 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद रात्रि 10:07 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*योग- इंद्र सुबह 11:04 तक तत्पश्चात वैधृति*
*राहु काल - सुबह 09:22 से सुबह 10:59 तक*
*सूर्योदय - 06:09*
*सूर्यास्त - 07:02*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:25 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 05 से रात्रि 12:57 मई 05 तक*
* व्रत पर्व विवरण- वल्लभाचार्य जयंती, वरुथिनी एकादशी*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 वरुथिनी एकादशी - 4 मई 2024*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 05 मई 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वादशी शाम 05:41 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*नक्षत्र - उत्तर भाद्रपदा रात्रि 07:57 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग- वैधृति प्रातः 07:37 तक तत्पश्चात विष्कंभा*
*राहु काल - शाम 05:26 से शाम 07:02 तक*
*सूर्योदय - 06:08*
*सूर्यास्त - 07:02*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:24 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 06 से रात्रि 12:57 मई 06 तक*
* व्रत पर्व विवरण- प्रदोष व्रत, विश्व हास्य दिवस*
*विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🌹प्रदोष व्रत : 05 मई🌹*

*🔹सूतजी कहते हैं - त्रयोदशी तिथि में सायंकाल प्रदोष कहा गया है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की इच्छा रखनेवाले पुरुषों को प्रदोष में नियम पूर्वक भगवान् शिव की पूजा, होम, कथा और गुणगान करने चाहिये ।*
*🔹दरिद्रता के तिमिर से अन्धे और भवसागर में डूबे हुए संसार भय से भीरु मनुष्यों के लिये यह प्रदोषव्रत पार लगानेवाली नौका है ।*
*🔹भगवान् शिव की पूजा करने से मनुष्य दरिद्रता, मृत्यु-दुःख और पर्वत के समान भारी ऋण-भार को शीघ्र ही दूर कर के सम्पत्तियों से पूजित होता है।*
*(स्कन्द पुराण : ब्रह्मोत्तर खंड)*

*🌹दीर्घ एवं निरोगी जीवन के नियम🌹*

*👉 (१) प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में उठें । सुबह-शाम खुली हवा में टहलें, दौड़ें ।*

*👉 (२) प्राणायाम, ध्यान, जप, योगासन, संयम-सदाचार आदि का नियम लें ।*

*👉 (३) दिन में २-३ बार 'देव- मानव हास्य प्रयोग' करें ।*

*👉 (४) कसे हुए, चटकीले-भड़कीले, गहरे रंग के, तंग व कृत्रिम (synthetic) कपड़े न पहनें । ढीले-ढाले सूती वस्त्र या ऋतु- अनुसार ऊनी वस्त्र पहनें ।*

*👉 (५) संयम से रहें । ऋतुचर्या के अनुसार आहार-विहार करें ।*

*👉 (६) पेशाब करने के तुरंत बाद पानी न पियें, न ही पानी पीने के तुरंत बाद पेशाब हेतु जायें । इससे हानि होती है । मल-मूत्र का वेग नहीं रोकें ।*

*👉 (७) सप्ताह में कम-से-कम एक दिन रोज के संसारी कार्यों से मुक्त हो जायें ।*

*👉 सप्ताह में कम-से-कम एक दिन थोड़ा हलका आहार लेकर घर के पूजा-कक्ष में मौन रह के अधिकांश समय सत्संग-श्रवण, श्री योगवासिष्ठ महारामायण ग्रंथ व आश्रम से प्रकाशित अन्य सत्साहित्य का स्वाध्याय, ध्यान, जप, अजपाजप, साक्षीभाव का अभ्यास आदि साधनों का विशेषरूप से लाभ लें ।*

*👉 (८) स्वास्थ्य-मंत्र 'ॐ हंसं हंसः' का नित्य १०८ बार (एक माला) जप करें ।*

*👉 (९) ब्रहावेत्ता संत-सद्गुरु के सत्संग का नियमितरूप से लाभ लें व दूसरों को भी दिलायें ।*

*👉 (१०) चाय-कॉफी, शराब-कबाब, धूम्रपान पान-मसाला सेवन, फिल्मी गाने सुनना, अश्लील दृश्य व चलचित्र तथा गंदी वेबसाइट्स देखना आदि किसी भी हानिकारक चीज की लत लगी हो तो उसे छोड़ने का व्रत लें व उस व्रत पर दृढ रहें ।*

*👉 (११) रात को सोते समय यह प्रयोग करें : भगवन्नाम का उच्चारण करो और भगवान से कह दो कि 'हम जैसे-तैसे हैं, तेरे हैं । ॐ शांति... ॐ 'शांति... ॐ आनंद...' ऐसा करके लेट गये और श्वास अंदर जाय तो 'ॐ', बाहर आये तो '१'... श्वास अंदर जाय तो 'शांति', बाहर आये तो '२'... श्वास अंदर जाय तो 'आरोग्य', बाहर आये तो '३'... इस प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करते-करते सोयें । इससे स्वास्थ्य-लाभ तो मिलेगा ही, साथ-ही-साथ रात्रि की निद्रा कुछ सप्ताह में योगनिद्रा बनने लगेगी और आप परमात्मा में पहुँच जाओगे ।*

*-ऋषि प्रसाद फरवरी 2024*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 07 मई 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - चतुर्दशी सुबह 11:40 तक तत्पश्चात अमावस्या*
*नक्षत्र - अश्विनी दोपहर 03:32 तक तत्पश्चात भरणी*
*योग- आयुष्मान रात्रि 08:59 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*राहु काल - दोपहर 03:49 से शाम 05:26 तक*
*सूर्योदय - 06:07*
*सूर्यास्त - 07:03*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:23 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 08 से रात्रि 12:57 मई 08 तक*
* व्रत पर्व विवरण- दर्श अमावस्या, रवींद्रनाथ टैगोर जयंती*
*विशेष - चतुर्दशी व अमावस्या के दिन स्त्री सहवास, तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹अमावस्या विशेष🔹*

*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*

*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*

*🌹4. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*

*🌹5. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*


*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*

*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*

*➡️सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*

*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*

*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*
*🌹- पूज्य बापूजी🌹*


*🔹वायु की तकलीफ🔹*

*➡️१. गाय के दूध से कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ेगा... काली गाय का दूध वायु नाशक होता है ।*

*➡️२. देसी आम पाचन में अच्छा और वायुनाशक और बुढ़ापे को दूर रखता है... कलमी आम नहीं ।*

*➡️३. बड़ी उमर में वायु की तकलीफ सभी को होती है... वायु से घुटने का दर्द, डकार आदि ५२ प्रकार की वायु की बीमारियाँ होती है... इस पर एक प्राकृतिक इलाज है...*
*नीम के पत्ते १२ से १५ ग्राम (कोमल पत्ते)+ एक/दो काली मिर्च सुबह चबा के पानी पिए और रात को ५० ग्राम गुड + १० ग्राम देसी घी मिलाकर खाए ।*

*- पूज्य बापूजी 13 मई 2008, देहरादून*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 08 मई 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अमावस्या सुबह 08:41 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - भरणी दोपहर 01:33 तक तत्पश्चात कृतिका*
*योग- सौभाग्य शाम 05:41 तक तत्पश्चात शोभन*
*राहु काल - दोपहर 12:35 से दोपहर 02:12 तक*
*सूर्योदय - 06:07*
*सूर्यास्त - 07:03*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:38 से 05:22 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 09 से रात्रि 12:57 मई 09 तक*
* व्रत पर्व विवरण- अमावस्या सुबह 8.41 तक*
*विशेष - प्रतिपदा के दिन कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🍉 तरबूज से स्वास्थ्य लाभ 🍉*

*🍉 पका हुआ लाल गूदेवाला तरबूज स्वाद में मधुर, गुण में शीतल, पित्त एवं गर्मी का शमन करने वाला, पौष्टिकता एवं तृप्ति देने वाला, पेट साफ करने वाला ।*

*🍉 कच्चा तरबूज गुण में ठंडा, दस्त को रोकने वाला, वात व कफकारक, पचने में भारी एवं पित्तनाशक है ।*

*🍉 तरबूज के बीज शीतवीर्य, शरीर में स्निग्धता बढ़ानेवाले, पौष्टिक, मूत्रल, गर्मी का शमन करने वाले, कृमिनाशक, दिमागी शक्ति बढ़ाने वाले, दुर्बलता मिटाने वाले, गुर्दों की कमजोरी दूर करने वाले, गर्मी की खाँसी एवं ज्वर को मिटाने वाले क्षय एवं मूत्ररोगों को दूर करने वाले हैं । बीज के सेवन की मात्रा हररोज 10 से 20 ग्राम है। ज्यादा बीज खाने से तिल्ली की हानि होती है ।*

*🔶सावधानीः गर्म तासीरवालों के लिए तरबूज एक उत्तम फल है लेकिन वात व कफ प्रकृतिवालों के लिए हानिकारक है । अतः दमा , सर्दी-खाँसी, श्वास, मधुप्रमेह, कोढ़, रक्तविकार के रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*ग्रीष्म ऋतु में दोपहर के भोजन के 2-3 घंटे बाद तरबूज खाना लाभदायक है । यदि तरबूज खाने के बाद कोई तकलीफ हो तो शहद अथवा गुलकंद का सेवन करें ।*

*🔸औषधि-प्रयोग🔸*

*🔸मंदाग्निः तरबूज के लाल गूदे पर काली मिर्च, जीरा एवं नमक का चूर्ण डालकर खाने से भूख खुलती है एवं पाचनशक्ति बढ़ती है ।*

*🔹शरीरपुष्टिः तरबूज के बीज के गर्भ का चूर्ण बना लें । गर्म दूध में मिश्री तथा 1 चम्मच यह चूर्ण डालकर उबाल लें । इसके प्रतिदिन सेवन से देह पुष्ट होती है ।*

*🔹"तरबूज के प्रतिदिन सेवन से देह तो पुष्ट होती है पर यह भी स्मरण रखें कि देह नश्वर है... आत्मा अमर है । देह को पुष्ट रखेंगे, पर आत्मप्रीति बढ़ायेंगे । 🌹-पूज्य बापूजी*


*🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹*

*🔹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
*🌹पूज्य बापूजी - रजोकरी, ३० नवम्बर २०१०*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 09 मई 2024*
*दिन - गुरूवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - प्रतिपदा प्रातः 06:21 तक तत्पश्चात द्वितीया प्रातः 04:17 मई 10 तक*
*नक्षत्र - कृतिका प्रातः 11:55 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग- शोभना दोपहर 14:42 मई 09 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*राहु काल - दोपहर 02:12 से दोपहर 03:49 तक*
*सूर्योदय - 06:06*
*सूर्यास्त - 07:04*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:38 से 05:22 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 10 से रात्रि 12:57 मई 10 तक*
*विशेष - द्वितीया को बृहति (छोटा बैंगन, कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🥭गर्मियों में बलप्रद व स्वास्थ्यवर्धक आम🥭*

*🔸पका आम बहुत ही पौष्टिक होता है । इसमें प्रोटीन,विटामिन व खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट तथा शर्करा विपुल मात्रा में होते हैं ।*

*🔸आम मीठा, चिकना, शौच साफ़ लानेवाला, तृप्तिदायक, ह्रदय को बलप्रद, वीर्य की शुद्धि तथा वृद्धि करनेवाला है । यह वायु व पित्त नाशक परंतु कफकारक है तथा कांतिवर्धक, रक्त की शुद्धि करनेवाला एवं भूख बढ़ानेवाला है । इसके नियमित सेवन से रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है ।*

*🔸शुक्रप्रमेह आदि विकारों के कारण जिनको संतानोत्पत्ति न होती हो, उनके लिए पका आम लाभकारक है । कलमी आम की अपेक्षा देशी आम जल्दी पचनेवाला, त्रिदोषशामक व विशेष गुणयुक्त है । रेशासहित, मीठा, पतली या छोटी गुठलीवाला आम उत्तम माना जाता है । यह आमाशय, यकृत, फेफड़ों के रोग तथा अल्सर, रक्ताल्पता आदि में लाभ पहुँचाता है । इसके सेवन से रक्त,मांस आदि सप्तधातुओं तथा वासा की वृद्धि और हड्डियों का पोषण होता है । यूनानी डॉक्टरों के मतानुसार पका आम आलस्य दूर करता है, मूत्र साफ़ लाता है, क्षयरोग (टी.बी.)मिटाता है तथा गुर्दें व मूत्राशय के लिए शक्तिदायक है ।*

*🔸औषधि-प्रयोग🔸*

*🔸भूखवृद्धि : आम के रस में घी और सौंठ डालकर सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होता है । वायु रोग या पाचनतंत्र की दुर्बलता : आम के रस में अदरक मिलाकर लेना हितकारी है ।*

*🔸शहद के साथ पके आम के सेवन से प्लीहा, वायु और कफ के दोष तथा क्षयरोग दूर होता है ।*

*🔸 आम का पना : केरी (कच्चा आम ) को पानी में उबालें अथवा गोबर के कंडे की आग में दबा दें । भुन जाने पर छिलका उतार दें और गूदा मथकर उसमें गुड, जीरा, धनिया, काली मिर्च तथा नमक मिलाकर दोबारा मथें । आवश्यकता अनुसार पानी मिलायें और पियें ।*

*🔸लू लगने पर : उपरोक्त आम का पना एक-एक कप दिन में २ - ३ बार पियें ।*

*🔸भुने हुए कच्चे आम के गूदेको पैरों के तलवों पर लगाने से भी लू से राहत मिलती है ।*

*🔸वजन बढ़ाने के लिए : पके और मीठे आम नियमित रूप से खाने से दुबले - पतले व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है ।*

*🔸दस्त में रक्त आने पर : छाछ में आम की गुठली का २ से ३ ग्राम चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है ।*

*🔸पेट के कीड़े : सुबह चौथाई चम्मच आम की गुठलियों का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से पेट के कीड़े मर जाते है ।*

*🔸प्रदर रोग : आम की गुठली का २ से ३ ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने से रक्त-प्रदर में लाभ होता है ।*

*🔸दाँतों के रोग : आम के पत्तों को खूब चबा-चबाकर थूकते रहने से कुछ ही दोनों में दाँतों का हिलना और मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है । आम की गुठली की गिरी के महीन चूर्ण का मंजन करने से पायरिया ठीक होता है ।*

*🔸घमौरियाँ : आम की गुठली के चूर्ण से स्नान करने से घमौरियाँ दूर होती है ।*

*🔸पुष्ट और सुडौल शरीर : यदि एक वक्त के आहार में सुबह या शाम केवल आम चूसकर जरा-सा अदरक लें तथा डेढ -दो घंटे के बाद दूध पियें तो ४० दिन में शरीर पुष्ट व सुडौल हो जाता । आम और दूध एक साथ खाना आयुर्वेद की दृष्टि से विरुद्ध आहार है । इससे आगे चलकर चमड़ी के रोग होते हैं ।*

*🔸सावधानी : खाने के पहले आम को पानी में रखना चाहिए । इससे उसकी गर्मी निकल जाती है । भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिए । अधिक आम खाने से गैस बनती है और पेट के विकार पैदा होते हैं । कच्चा, खट्टा तथा अति पका हुआ आम खाने से लाभ के बजाय हानि हो सकती है । कच्चे आम के सीधे सेवन से कब्ज व मंदाग्नि हो सकती है ।*

*🔸बाजार में बिकनेवाला डिब्बाबंद आम का रस स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं होता है । लम्बे समय तक रखा हुआ बासी रस वायुकारक, पचने में भारी एवं ह्रदय के लिए अहितकर है ।*

*ऋषि प्रसाद - मई 2014*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 10 मई 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - तृतीया रात्रि 02:50 मई 11 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 10:47 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*योग- अतिगंड दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल - प्रातः 10:57 से दोपहर 12:36 तक*
*सूर्योदय - 06:01*
*सूर्यास्त - 07:11*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:18 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 11 से रात्रि 12:57 मई 11 तक*
*व्रत पर्व विवरण - अक्षय तृतीया, त्रेता युगादि तिथि, श्री परशुराम जयंती, श्री बसवेश्वर जयंती, रोहिणी व्रत, माँ मातंगी जयंती*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 अक्षय तृतीया - 10 मई 2024 🌹*
*( पूरा दिन शुभ मुहूर्त )*

*🔹 'अक्षय' शब्द का मतलब है- जिसका क्षय या नाश न हो । इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहते हैं । भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में इस तिथि का विशेष उल्लेख है । इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है ।*

*🔹भविष्यपुराण के मध्यमपर्व में कहा गया है वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करनेवाला सब पापों से मुक्त हो जाता है ।*

*इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन  एंव जल में आवाहन करके ब्राह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते हैं। स्नान के पश्चात प्रार्थना करें-*

*माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन।*

*प्रातः स्नानेन मे नाथ फलदः पापहा भव।।*

*🔹सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन, अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।*

*🔹इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे – विवाह, गृह-प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।*

*🔹इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हलका भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं।*

*🔹इस दिन पानी के घड़े, पंखे, ओले (खाँड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ,  वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।*


*🌹पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि🌹*

*🔹अक्षय तृतीया के दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संताने आती है ।*

*🔹विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें । फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें ।*

*🔹इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर के उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है।*

*🌹अक्षय तृतीया ( 10 मई 2024 )का तात्त्विक संदेश :*

*'अक्षयʹ यानी जिसका कभी नाश न हो । शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान हैं, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है । यह दिन हमें आत्मविवेचन की प्रेरणा देता है । अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टि रखने का दृष्टिकोण देता है । महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्मप्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो ।*

*स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2013*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 11 मई 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्थी रात्रि 02:03 मई 12 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - मृगशीर्ष प्रातः 10:15 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*योग- सुकर्मा सुबह 10:03 तक तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - सुबह 09:18 से सुबह 10:57 तक*
*सूर्योदय - 06:01*
*सूर्यास्त - 07:12*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:17 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:14 मई 12 से रात्रि 12:58 मई 12 तक*
*व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸विनायक चतुर्थी - 11 मई 2024🔸*

*🌹 विनायक चतुर्थी हो या संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश आराधना का विशेष महत्व माना गया है । पौराणिक शास्त्रों में गणेश जी के 12 प्रसिद्ध नाम बताए गए हैं जिनका सुमिरन करने से हर बाधा व संकट का अंत होता है ।*

*🔸हर दिन इन नामों का स्मरण करने वाले व्यक्ति के जीवन में परेशानियां नहीं आती है । अगर रोज ये नाम नहीं भी पढ़ पा रहे हैं तो खास तौर पर गणेश चतुर्थी और बुधवार के दिन इन नामों का स्मरण अवश्य किया जाना चाहिए :-*

*1. सुमुख, 2. एकदंत, 3. कपिल, 4. गजकर्ण, 5. लंबोदर, 6. विकट, 7. विघ्नविनाशक, 8. विनायक, 9. धूम्रकेतु, 10. गणाध्यक्ष,11. भालचन्द्र, 12. गजानन*

*🔹स्वास्थ्य प्रदायक स्नान विधि 🔹*

*👉 स्नान सूर्योदय से पहले ही करना चाहिए ।*

*👉 मालिश के आधे घंटे बाद शरीर को रगड़-रगड़ कर स्नान करें ।*

*👉 स्नान करते समय स्तोत्रपाठ, कीर्तन या भगवन्नाम का जप करना चाहिए ।*

*👉 स्नान करते समय पहले सिर पर पानी डालें फिर पूरे शरीर पर, ताकि सिर आदि शरीर के ऊपरी भागों की गर्मी पैरों से निकल जाय ।*

*👉 'गले से नीचे के शारीरिक भाग पर गर्म (गुनगुने) पानी से स्नान करने से शक्ति बढ़ती है, किंतु सिर पर गर्म पानी डालकर स्नान करने से बालों तथा नेत्रशक्ति को हानि पहुँचती है ।' (बृहद वाग्भट, सूत्रस्थानः अ.3)*

*👉 स्नान करते समय मुँह में पानी भरकर आँखों को पानी से भरे पात्र में डुबायें एवं उसी में थोड़ी देर पलके झपकायें या पटपटायें अथवा आँखों पर पानी के छींटे मारें। इससे नेत्रज्योति बढ़ती है ।*

*👉 निर्वस्त्र होकर स्नान करना निर्लज्जता का द्योतक है तथा इससे जल देवता का निरादर भी होता है ।*

*👉 किसी नदी, सरोवर, सागर, कुएँ, बावड़ी आदि में स्नान करते समय जल में ही मल-मूत्र का विसर्जन नही करना चाहिए ।*

*👉 प्रतिदिन स्नान करने से पूर्व दोनों पैरों के अँगूठों में सरसों का शुद्ध तेल लगाने से वृद्धावस्था तक नेत्रों की ज्योति कमजोर नहीं होती ।*

*🔹स्नान के प्रकार - मन:शुद्धि के लिए🔹*

*👉 ब्रह्म स्नान : ब्राह्ममुहूर्त में ब्रह्म-परमात्मा का चिंतन करते हुए ।*

*👉 देव स्नान : सूर्योदय के पूर्व देवनदियों में अथवा उनका स्मरण करते हुए ।*

*🔹समयानुसार स्नान🔹*

*👉 ऋषि स्नान : आकाश में तारे दिखते हों तब ब्राह्ममुहूर्त में ।*

*👉 मानव स्नान :सूर्योदय के पूर्व ।*

*👉 दानव स्नान : सूर्योदय के बाद चाय-नाश्ता लेकर 8-9 बजे ।*

*👉 करने योग्य स्नान : ब्रह्म स्नान एवं देव स्नान युक्त ऋषि स्नान ।*

*👉 रात्रि में या संध्या के समय स्नान न करें । ग्रहण के समय रात्रि में भी स्नान कर सकते हैं । स्नान के पश्चात तेल आदि की मालिश न करें । भीगे कपड़े न पहनें । (महाभारत, अनुशासन पर्व)*

*👉 दौड़कर आने पर, पसीना निकलने पर तथा भोजन के तुरंत पहले तथा बाद में स्नान नहीं करना चाहिए । भोजन के तीन घंटे बाद स्नान कर सकते हैं ।*

*👉 बुखार में एवं अतिसार (बार-बार दस्त लगने की बीमारी) में स्नान नहीं करना चाहिए ।*

*👉 दूसरे के वस्त्र, तौलिये, साबुन और कंघी का उपयोग नहीं करना चाहिए ।*

*👉 त्वचा की स्वच्छता के लिए साबुन की जगह उबटन का प्रयोग करें ।*

*👉 स्नान करते समय कान में पानी न घुसे इसका ध्यान रखना चाहिए ।*

*👉 स्नान के बाद मोटे तौलिये से पूरे शरीर को खूब रगड़-रगड़ कर पोंछना चाहिए तथा साफ, सूती, धुले हुए वस्त्र पहनने चाहिए । टेरीकॉट, पॉलिएस्टर आदि सिंथेटिक वस्त्र स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं ।*

*👉 जिस कपड़े को पहन कर शौच जायें या हजामत बनवायें, उसे अवश्य धो डालें और स्नान कर लें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 12 मई 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पंचमी रात्रि 02:03 मई 13 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - आद्रा सुबह 10:27 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग- धृति सुबह 08:34 तक तत्पश्चात शूल*
*राहु काल - शाम 05:27 से शाम 07:05 तक*
*सूर्योदय - 06:05*
*सूर्यास्त - 07:05*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:37 से 05:21 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 13 से रात्रि 12:57 मई 13 तक*
* व्रत पर्व विवरण- आद्य शंकराचार्य जयंती, श्री रामानुजाचार्य जयंती*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🌹गर्मियों में विशेष उपयोगी-पुदीना🌹*

*🔹पुदीना गर्मियों में विशेष उपयोगी एक सुगंधित औषध है यह रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, ह्रदय-उत्तेजक, विकृत कफ को बाहर लानेवाला, गर्भाशय-संकोचक , चित्त को प्रसन्न करनेवाला हैं ।*

*🔹पुदीने के सेवन से भूख खुलकर लगती है और वायु का शमन होता हैं । यह पेट के विकारों में विशेष लाभकारी है । श्वास, मुत्राल्पता तथा त्वचा के रोगों में भी यह उपयुक्त है ।*

*🔹औषधि प्रयोग🔹*

*१] पेट के रोग : अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, पेचिश, पेट में मरोड़, अतिसार, उलटियाँ, खट्टी डकारें आदि में पुदीने के रस में जीरे का चूर्ण व आधे नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है ।*

*२] मासिक धर्म : पुदीने को उबालकर पीने से मासिक धर्म की पीड़ा तथा अल्प मासिक स्राव में लाभ होता है । अधिक मासिक स्त्राव में यह प्रयोग न करें ।*

*३] गर्मियों में : गर्मी के कारण व्याकुलता बढ़ने पर एक गिलास ठंडे पानी में पुदीने का रस तथा मिश्री मिलाकर पीने से शीतलता आती है ।*

*४] पाचक चटनी : ताजा पुदीना, काली मिर्च, अदरक, सेंधा नमक, काली द्राक्ष और जीरा – इन सबकी चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस निचोड़ कर खाने ने रूचि उत्पन्न होती है, वायु दूर होकर पाचनशक्ति तेज होती है । पेट के अन्य रोगों में भी लाभकारी है ।*

*५] उलटी-दस्त, हैजा : पुदीने के रस में नींबू का रस, अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है ।*

*६] सिरदर्द : पुदीना पीसकर ललाट पर लेप करें तथा पुदीने का शरबत पिएं ।*

*७] ज्वर आदि : गर्मी में जुकाम, खाँसी व ज्वर होने पर पुदीना उबाल के पीने से लाभ होता है ।*

*८] नकसीर : नाक में पुदीने के रस की ३ बूँद डालने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता है ।*

*९] मूत्र-अवरोध : पुदीने के पत्ते और मिश्री पीसकर १ गिलास ठंडे पानी में मिलाकर पिएं ।*

*१०] गर्मी की फुंसियाँ : समान मात्रा में सूखा पुदीना एंव मिश्री पीसकर रख लें । रोज प्रात: आधा गिलास पानी में ४ चम्मच मिलाकर पिएं ।*

*११] हिचकी : पुदीने या नींबू के रस-सेवन से राहत मिलती है ।*

*🔹विशेषः पुदीने का ताजा रस लेने की मात्रा है 5 से 20 ग्राम । पत्तों का चूर्ण लेने की मात्रा 3 से 6 ग्राम । काढ़ा लेने की मात्रा 20 से 40 ग्राम । अर्क लेने की मात्रा 20 से 40 ग्राम । बीज का तेल लेने की मात्रा आधी बूँद से 3 बूँद ।*

*- ऋषि प्रसाद मई 2000*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 13 मई 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - षष्ठी रात्रि 02:50 मई 14 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 11:23 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग- शूल सुबह 07:42 तक तत्पश्चात गण्ड*
*राहु काल - सुबह 07:42 से सुबह 09:20 तक*
*सूर्योदय - 06:06*
*सूर्यास्त - 07:04*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:37 से 05:21 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 14 से रात्रि 12:57 मई 14 तक*
* व्रत पर्व विवरण- स्कंद षष्ठी*
*विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल, दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹*

*🔸वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।*
*🏡 एक घर में होना चाहिए एक मंदिर। एक घर में अलग-अलग पूजाघर बनवाने की बजाए मिल-जुलकर एक मंदिर बनवाए। एक घर में कई मंदिर होने पर वहां के सदस्यों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।*

*🔸घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।'*

*🔸प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।*

*🔸 मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।*

*🔸मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।*

*🔸भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।*

*🔸गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।*

*🔸कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।*

*🔸बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती ।*

*🔸घर की रसोई हमेशा अग्नि कोण में हो, गैस चूल्हा भी अग्नि कोण (साऊथ ईस्ट) में, खाना पूर्व की ओर मुंह करके बनाएं, शैंक (बर्तन धोने वाला) हमेशा नार्थ ईस्ट (ईशान कोण) में रखें । शयन कक्ष या रसोई में रात को झूठे बर्तन मत छोड़ें । हमेशा धो-मांज कर रखें ।*

*🔹घर में बरकत नहीं हो तो🔹*
*💵 घर में बरकत नहीं होती तो खडी हल्दी की सात गाँठे और खड़ा नमक कपडे में बांध लें और कटोरी में रख दें घर के किसी भी कोने में, बरकत होगी |*
*-🌹पूज्य बापूजी प्रयागराज 10 फरवरी 2013*

*🔹कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु🔹*

*🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*
*ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२१ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 14 मई 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - सप्तमी रात्रि प्रातः 04:19 मई 15 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - पुष्य दोपहर 01:05 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*योग- गण्ड सुबह 07:26 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - दोपहर 03:50 से शाम 05:28 तक*
*सूर्योदय - 06:04*
*सूर्यास्त - 07:06*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:37 से 05:21 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13  मई 15 से रात्रि 12:57 मई 15 तक*
* व्रत पर्व विवरण- गंगा सप्तमी, विष्णुपदी संक्रांति*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌊श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) : 14 मई 🌊*

*🌹 जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी ) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुईं वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी ) के नाम से जाना जाता है । इन दिनों में गंगाजी में गोता मारने से विशेष सात्त्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है ।*

*🌹गंगा स्नान का मंत्र🌹*

*🌹 गंगा स्नान के लिए रोज हरद्वार तो जा नही सकते, घर में ही गंगा स्नान का पुण्य मिलाने के लिए एक छोटा सा मन्त्र है:-*
*ॐ ह्रीं गंगायै । ॐ ह्रीं स्वाहा ।।*
*ये मन्त्र बोलते हुए स्नान करे तो गंगा स्नान का लाभ होगा ।*

*पूज्य बापूजी, 31st May' 2012*

*🌹 गंगाजी का मूल मंत्र 🌹*

*🌹 वेद व्यासजी कहते थे कि गंगाजी का एक गोपनीय मंत्र है । और वो गंगाजी का मूल मंत्र एक बार भी जप करो तो तुम निष्पाप होने लगोगे ।*

*🌹गंगाजी का मंत्र - ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम: ।*

*🌹 जीभ तालू में लगाओ और मन में खाली एक बार बोलो । एक बार जपने से आप का मन पवित्र हो जायेगा । गंगा मैया !! आप विश्वरूपिणी हो, नर नारायण स्वरूपी हो, गंगामाई तुमको नमस्कार !!*
*🌹- पूज्य बापूजी🌹*

*☀️विष्णुपदी संक्रान्ति 14 मई 2024☀️*

*🌹भगवान वशिष्ठ जी कहते है कि विष्णुपदी संक्रांति के इस पुण्यकाल में किया हुआ जप 100000 गुना फलदायी होता है ।*

*100 गुना , 1000 गुना , 10000 गुना तो सुना है , लेकिन विष्णुपदी संक्रांति के दिन का जप लाख गुना माना गया है । जो जहाँ है , संकल्प करके अपने अपने मंत्र में लग जायेंगे ।*

*विष्णुपदी संक्रांति … ये ग्रहों का जो योग है , उसका बड़ा भारी प्रभाव है ।*

*अपने अपने इलाकों में, अपने अपने आश्रमों में मौन होकर तिन घुट आचमन लेकर जप, ध्यान में बैठ जाओ । भगवान भास्कर ऋषभ राशी में प्रवेश करेंगे । ये बहुत क्रीम टाइम है । इससे तो बुद्धि में बहुत परिवर्तन होना चाहिए ।*

*'मेटत कठिन कुअंक भाल के' । इष्ट मजबूत होता है, तो अनिष्ट दूर हो जाता है ।*
*---- पूज्य बापूजी*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 15 मई 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - अष्टमी पूर्ण रात्रि तक*
*नक्षत्र - अश्लेषा दोपहर 03:25 तक तत्पश्चात मघा*
*योग- वृद्धि सुबह 07:42 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - दोपहर 12:35 से दोपहर 02:13 तक*
*सूर्योदय - 06:04*
*सूर्यास्त - 07:06*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:36 से 05:20 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13  मई 16 से रात्रि 12:57 मई 16 तक*
* व्रत पर्व विवरण- बुधवारी अष्टमी, बगलामुखी जयंती, मासिक दुर्गाष्टमी*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹बुधवारी अष्टमी को किये गए जप, तप, मौन, दान व ध्यान 10 लाख गुना फलदायी होता है ।*
*( ऋषि प्रसाद नवम्बर 2022)*

*🔹मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं । इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है ।*

*(शिव पुराण, विद्यश्वर संहिताः अध्याय 10)*

*🍊 स्वास्थ्यवर्धक मोसंबी का रस🍊*

*🔹यह बल व रक्त वर्धक, शक्तिदायक एवं रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ानेवाला है । बीमार लोगों के लिए मोसंबी अमृत के समान है ।*
*🔹शरीर थकने व मन के ऊब जाने पर मोसंबी अथवा इसके रस का सेवन करें तो थकान,बेचैनी दूर होकर स्फूर्ति व प्रसन्नता बढ़ती है । मोसंबी का रस यकृत, आँतों तथा पाचनतंत्र को शुद्ध करके उन्हें सतेज बनाता है ।*
*मोसंबी चूसने से दाँतों की सफाई होती है व भोजन सरलता से पचता है । सर्दी - जुकामवालों को मोसंबी का रस हलका गर्म करके उसमें २ - ४ बूँद अदरक के रस की डालकर पीना चाहिए ।*
*📖Rishi Prasad May 2014*

*🧏‍♀️मुलतानी मिट्टी🧏‍♀️*

*🔹मुलतानी मिट्टी से स्नान करने पर रोमकूप खुल जाते हैं । इससे रगड़कर स्नान करने पर जो लाभ होते हैं, साबुन से उसके एक प्रतिशत भी लाभ नहीं होते । स्फूर्ति और निरोगता चाहनेवालों को साबुन से बचकर मुलतानी मिट्टी से नहाना चाहिए ।*

*🔹जिसको भी गर्मी हो, पित्त हो, आँखों में जलन होती हो वह मुलतानी मिट्टी का घोल बना के लगाये , थोड़ी देर बैठ जाय, फिर नहाये तो शरीर की गर्मी निकल जायेगी, फायदा होगा ।*

*🔹मुलतानी मिट्टी और आलू का रस मिलाकर चेहरे को लगाओ, चेहरे पर सौंदर्य और निखार आयेगा ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 16 मई 2024*
*दिन - गुरूवार
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - अष्टमी प्रातः 06:22 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - मघा शाम 06:14 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*योग- ध्रुव प्रातः 08:23 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल - दोपहर 02:16 से दोपहर 03:55 तक*
*सूर्योदय - 05:58*
*सूर्यास्त - 07:14*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:15 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 17 से रात्रि 12:57 मई 17 तक*
*व्रत पर्व विवरण - सीता नवमी*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौ मांस के समान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🫐फालसा🫐

*🔹फालसा गर्मी से राहत दिलाता है और शरीर के लिए भी बहुत पौष्टिक है ।*

*🔹गर्मियों के सबसे लोकप्रिय फलों में फालसा प्रमुखत: से शामिल है । अपने लाजबाव स्वाद के कारण फालसा आहार सबके पसंद का फल है । पके हुये फालसे को नमक, कालीमिर्च और चाट मसाला मिलाकर खाया ही नहीं जाता बल्कि इसका शर्बत भी काफी लोकप्रिय है । छोटे से फल , फालसा को पोषक तत्वों की खान और एंटी ओक्सिडेंट कहना गलत न होगा । देखा जाय तो फालसा फल का ६९% भाग ही खाने लायक होता है । बाकी हिस्से में गुठली होती है । इसमें मौजूद मँग्नेसियम, पोटेसियम, सोडियम, फोस्फरस, कैल्शियम,प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, लोहा, विटामिन ए और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व इसे हमारे लिए सेहत का खजाना बना देते हैं ।*

*🔹फालसा में गर्मी के मौसम संबधित समस्याओं को दूर करने की अदभुत क्षमता होती है । फालसे के रस को शांत, ताजा और आसानी से पचने और गर्मी में प्यास से राहत पहुंचाने वाला आदर्श ठंडा टॉनिक भी कहा जाता है । इसका उपयोग शारीरिक विकारों और बीमारीयों के ईलाज के लिए किया जाता रहा है । ये पित्ताशय और जिगर की समस्याओं को दूर करता है । फालसे में थोडा कसैला पन भी है । जो शरीर से अतिरिक्त अम्लता को कम करके पाचन सबंधी समस्याओं दूर करता है । ये अपचन की समस्या से मुक्ति दिलाता है और भूख भी बढाता है । विटामिन सी और खनिज तत्वों से भरपूर फालसे के सेवन से रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है । इससे ह्रदय रोग का खतरा कम हो जाता है । अस्थमा और ब्रोमकैस्टेक के रोगियों को फालसा खाने से साँस की तकलीफ में राहत मिलती है । हाल में ही हुये वैज्ञानिक शोधों से ये बात सामने आयी है कि फालसा में रेडिओंधर्मी क्षमता भी होती है इस कारण ये कैंसर से लड़ने में भी शरीर को सहायता करता है । anemia से बचाता है ।*

*🔹इससे मस्तिष्क की गर्मी और खुश्की भी दूर होती है । खनिज लवणों की अधिकता होने के कारण इसे खाने से शरीर में Hemoglobin भी बढ़ता है और anemia से बचाव होता है ।*

*🔹इसके सेवन से मूत्रसबंधी समस्याओं से राहत मिलती है । लू से भी रक्षा करता है फालसे का रस गर्मीयों में चलने वाली लू और उससे होने वाले बुखार से बचाने में ख़ास भूमिका निभाता है । अगर आपका स्वभाव चिडचिडा है तो फालसे को किसी भी रूप में खायें लाभ होगा । उल्टी और घबराहट दूर करता है । धूप में रहने के कारण शरीर के खुले अंगों पर होने वाली लालिमा, जलन, सूझन और कालेपन को दूर करने में भी ये मदद करता है । विटामिन सी से भरपूर फालसे का खट्टा-मीठा रस खाँसी-जुकाम को रोकने और गले में होने वाली समस्याओं से निजात पाने के लिए काफी प्रभावशाली होता है ।*
*- पूज्य बापूजी , हरिद्वार 20 मई 2012*

*🌹गुरुभक्ति बढ़ाने के प्रयोग🌹*

*🔹गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं।*

*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*🔹फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति , गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें। थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें।*
*--लोककल्याण सेतु , अंक - 116*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 17 मई 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - नवमी प्रातः 08:48 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 09:18 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*योग- व्याघात प्रातः 09:21 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहु काल - प्रातः 10:57 से दोपहर 12:36 तक*
*सूर्योदय - 05:58*
*सूर्यास्त - 07:15*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:15 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 18 से रात्रि 12:57 मई 18 तक*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹धनिया के फायदे(गर्मी हो तो)🔹*

*🔸आंवला, धनिया, मिश्री समभाग मिलाकर रखो। १-१ चम्मच सुबह-शाम चबाकर खाओ और ऊपर से १ गिलास पानी पी लो अथवा घोल बना कर पी लो । इससे स्वप्नदोष, मूत्रदाह, लू लगना, सिरदर्द, नकसीर व आँखे जलने पर आराम होता है । किसी की आँखें जलती हैं, डोरे जलते हैं तो सौफ ५० ग्राम ,धनिया ५० ग्राम , आवलें का पाउडर ५० ग्राम,मिश्री का पाउडर ५० ग्राम २०० ग्राम हो गया , १०-१५ ग्राम पानी में भींगा के रख दिया , १-२ घंटे बाद उसको मिक्सी में घुमा के छान के पी ले , डोरे जलना बंद , मुहं में छाले पड़ना ठीक , रात को नींद नहीं आएगी तो आएगी नींद ,तबियत चंगी होगी ।*
*🔸धनिया (सूखा या हरा धनिया) व मिश्री पानी में घोलकर पीने से लू लगी हो या बेहोशी हो तो तुरंत लाभ होता है ।*
*-पूज्य बापूजी - डोम्बीवली 17 मई 2010*

*🔹पीपलकन्द(प्रवलपिष्टि युक्त)🔹*

*🔸पवित्र पीपल वृक्ष के आरक्त सुकोमल पत्तों से सूर्य की किरणों में बनाया हुआ यह 'पीपलकंद' पीपल के दिव्य गुणों को अपने में संजोये हुए है। यह अत्यंत सात्विक, शीतल, उत्तम पित्तशामक, हृदय व नाड़ी संस्थान (Nervous system) के लिए बलकारक, गर्भपोषक, रक्तशुद्धिकर, पुष्टि- तृप्तिकारक व मनःशान्तिकर है।*

*🔸इसके सेवन से गर्मी व पित्तजन्य समस्याएं जैसे- आँखे, पैरों के तलवे व मूत्र में जलन, मुँह में छालें, लू लगना, अधिक मासिक स्त्राव आदि में राहत मिलती है। इसका सेवन हृदय को बल देता है, रक्त की शुद्धि करता है। परिणामतः हृदय की कार्यक्षमता में वृद्धि होकर हृदयाघात (हार्ट-अटैक) से रक्षा होती है। यह कामविकार व स्वप्रदोष को नियंत्रित करता है। क्रोधी स्वभाव का नियमन करने में पीपलकन्द अनुपम है।*

*🔸यह गर्भाशय को पुष्ट व पित्त को शांत कर महिलाओं में होनेवाले अत्यधिक मासिक स्त्राव, श्रेत प्रदर आदि गर्भाशय से सम्बंधित विकारों को दूर करने में सहायक है। यह बार-बार होनेवाले गर्भपात से रक्षा करता है । उत्तम गर्भपोषक है अतः गर्भवती माताओं के लिए विशेष सेवनीय है।*


_*🔹
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 18 मई 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - दशमी प्रातः 11:22 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी रात्रि 12:23 मई 19 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग- हर्षण प्रातः 10:25 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - प्रातः 09:17 से प्रातः 10:57 तक*
*सूर्योदय - 05:57*
*सूर्यास्त - 07:15*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:15 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 19 से रात्रि 12:57 मई 19 तक*
*व्रत पर्व विवरण - महावीर स्वामी केवलज्ञान*
*विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*( एकादशी व्रत 19 मई को रखना है )*

*🔷एकदाशी टिप्स🔷*

*🔸एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें; नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🔸स्नानादि कर के गीता पाठ करें , विष्णु सहस्रनाम पाठ करें ।*

*🔸ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिये ।*

*🔸चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए , यथा संभव मौन रहें ।*

*🔸एकदाशी के दिन भूल कर भी चावल नही खाना चाहिए न ही किसी को खिलाएं । इसी दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🔸व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) -इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने , कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🔸फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🔸जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🔸भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🔸एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🔸इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🔸एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1बज तक) ।*

*🔸 जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता ।*

*🔸इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 19 मई 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - एकादशी दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - हस्त रात्रि 03:16 मई 20 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग- वज्र प्रातः 11:25 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*राहु काल - शाम 05:36 से शाम 07:16 तक*
*सूर्योदय - 05:57*
*सूर्यास्त - 07:16*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:14 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 20 से रात्रि 12:57 मई 20 तक*
*व्रत पर्व विवरण - मोहिनी एकादशी, परशुराम द्वादशी, द्वी पुष्कर योग*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹एकादशी व्रत के लाभ🔹*

*🔸 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

*🔸जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*🔸 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*🔸 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*🔸धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

*🔸कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

*🔸परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

*🔹एकादशी को चावल खाना वर्जित क्यों ?🔹*

*🔸 पूज्य बापूजी एकादशी के बारे में एक वैज्ञानिक रहस्य बताते हुए कहते हैं : संत डोंगरेजी महाराज बोलते थे कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए । जो खाता है, समझो वह एक-एक चावल का दाना खाते समय एक-एक कीड़ा खाने का पाप करता है । संत की वाणी में हमारी मति-गति नहीं हो तब भी कुछ सच्चाई तो होगी । मेरे मन में हुआ कि ‘इस प्रकार कैसे हानि होती होगी ? क्या होता होगा ?’*

*🔸तो शास्त्रों से इस संशय का समाधान मेरे को मिला कि प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक वातावरण में से, हमारे शरीर में से जलीय अंश का शोषण होता है, भूख ज्यादा लगती है और अष्टमी से लेकर पूनम या अमावस्या तक जलीय अंश शरीर में बढ़ता है, भूख कम होने लगती है । चावल पैदा होने और चावल बनाने में खूब पानी लगता है । चावल खाने के बाद भी जलीय अंश ज्यादा उपयोग में आता है । जल के मध्यम भाग से रक्त एवं सूक्ष्म भाग से प्राण बनता है । सभी जल तथा जलीय पदार्थों पर चन्द्रमा का अधिक प्रभाव पड़ने से रक्त व प्राण की गति पर भी चन्द्रमा की गति का बहुत प्रभाव पड़ता है । अतः यदि एकादशी को जलीय अंश की अधिकतावाले पदार्थ जैसे चावल आदि खायेंगे तो चन्द्रमा के कुप्रभाव से हमारे स्वास्थ्य और सुव्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ता है । जैसे कीड़े मरे या कुछ अशुद्ध खाया तो मन विक्षिप्त होता है, ऐसे ही एकादशी के दिन चावल खाने से भी मन का विक्षेप बढ़ता है । तो अब यह वैज्ञानिक समाधान मिला कि अष्टमी के बाद जलीय अंश आंदोलित होता है और इतना आंदोलित होता है कि आप समुद्र के नजदीक डेढ़-दो सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र के पेड़-पौधों को अगर उन दिनों में काटते हो तो उनको रोग लग जाता है ।*

*🔸अभी विज्ञानी बोलते हैं कि मनुष्य को हफ्ते में एक बार लंघन करना (उपवास रखना) चाहिए लेकिन भारतीय संस्कृति कहती है : लाचारी का नाम लंघन नहीं… भगवान की प्रीति हो और उपवास भी हो । ‘उप’ माने समीप और ‘वास’ माने रहना – एकादशी व्रत के द्वारा भगवद्-भक्ति, भगवद्-ध्यान, भगवद्-ज्ञान, भगवद्-स्मृति के नजदीक आने का भारतीय संस्कृति ने अवसर बना लिया ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 20 मई 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वादशी दोपहर 03:58 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*नक्षत्र - चित्रा प्रातः 05:46 मई 21 तक तत्पश्चात स्वाति*
*योग- सिद्धि दोपहर 12:11 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*राहु काल - प्रातः 07:37 से प्रातः 09:16 तक*
*सूर्योदय - 05:57*
*सूर्यास्त - 07:16*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:14 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 21 से रात्रि 12:58 मई 21 तक*
*व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*
*विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹व्यतिपात योग - 20 मई 24🔹*

*🔸समय अवधि : 20 मई दोपहर 12:11 से 21 मई दोपहर 12:36 तक ।*

*🔸व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । - वराह पुराण*


*🔹गर्मी के प्रभाव से सुरक्षा हेतु – प्रकृति के उपहार🔹*

*🥥नारियल पानी :- नारियल का पानी पित्तशामक, स्वादिष्ट, स्निग्ध और ताजगी प्रदान करनेवाला है । यह प्यास को शांत कर ग्रीष्म ऋतु की उष्णता से सुरक्षा करता है । अत: गर्मियों में नारियल पानी का सेवन विशेष लाभदायी है ।*

*🔸लू लगने पर नारियल पानी के साथ काला जीरा पीस के शरीर पर लेप करने से लाभ होता है ।*

*🔸प्रतिदिन नारियल खाने व नारियल पानी पीने से शारीरिक शक्ति का विकास होता है, वीर्य की तेजी से वृद्धि होती है । ( अष्टमी को नारियल न खायें । )*

*🔸मूत्र में जलन होने पर पिसा हरा धनिया तथा मिश्री नारियल पानी में मिला के पीने से जलन दूर होती है ।*

*🥒खीरा : - खीरा शरीर को शीतलता प्रदान करता है । इसमें बड़ी मात्रा में पानी और खनिज तत्त्व पाये जाते हैं ।*

*अत: इसके सेवन से शरीर में खनिज तत्त्वों का संतुलन बना रहता हैं । यह मूत्र की जलन शांत करता है एवं यकृत ( लीवर ) के लिए भी हितकारी है । खीरा भूख बढाने के साथ ही आँतों को सक्रिय करता हैं ।*

*🔸अधिक पढने – लिखने, चित्रकला, संगणक व सिलाई का काम करने से आँखों में थकावट होने पर खीरे के दुकड़े काटकर आँखों पर रखें । इससे उनको आराम मिलता है तथा थकावट दूर होती है ।*

*🍋नींबू और खीरे 🥒 का रस मिलाकर लगाने से धूप से झुलसी हुई त्वचा ठीक होती है ।*

*🍉तरबूज :- ग्रीष्म ऋतुमें प्यास की अधिकता से मुक्ति दिलाता है तरबूज । इसके सेवन से शरीर में लू का प्रकोप कम होता है और बेचैनी से रक्षा होती है ।*
*तरबूज के रस में सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर पीने से लू से सुरक्षा होती है ।*

*🔸गर्मी के प्रकोप से मूत्रावरोध होने पर तरबूज का रस पिलाने से मूत्र शीघ्र निष्कासित होता है ।*

*🔸तरबूज के छोटे – छोटे टुकड़ों पर थोडा – सा जीरा चूर्ण और मिश्री डाल के सेवन करने से शरीर की उष्णता दूर होती है ।*

*☘️धनिया : - धनिया ग्रीष्म ऋतू में अधिक प्यास के प्रकोप को शांत करता है ।*

*🔸१० ग्राम सूखा धनिया व ५ ग्राम आँवला चूर्ण रात को मिटटी के पात्र में १ गिलास पानी में भिगो दें । प्रात: मसलकर मिश्री मिला के छान के पियें । यह गर्मी के कारण होनेवाले सिरदर्द व मूँह के छालों में हितकर हैं । धनिया पीसकर सिर पर लेप करने से भी आशातीत लाभ होगा । इससे पेशाब की जलन, गर्मी के कारण चक्कर आना तथा उलटी होना आदि समस्याएँ दूर होती हैं ।*

*📖स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – अप्रैल २०१६ से*
2024/05/19 19:21:23
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