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ऐ इश्क़ तेरा वकील बन के बुरा किया मैनें यहाँ हर शायर तेरे खिलाफ सबूत लिए बैठा हैं
मंज़िल का मुकम्मल ना होना तो जायज़ था..

हम भी तो राह के अजनबियों से इश्क कर बैठे थे।
बहुत दिनों बाद तेरी महफ़िल में
कदम रखा है 

मगर नजरो से सलामी देने का तेरा अंदाज़ नही बदला....🥺
भीड़" से हट कर कुछ इस तरह बढ़ना है

की आसमान को छूकर भी ज़मीन पर चलना हैं...
मेरी ज़िन्दगी में तुम शामिल हो ऐसे ....

मंदिर के दरवाजों पर मन्नत के धागे हों जैसे !!!
याद कर रहे थे बस शिकवे करने को तुमसे,
तुम आए तो इश्क़ है,ये बात दोहरा दिए..!!
हाय क्या शख़्स था जिसने कयामत करदी..
रात भर जागते रहना मेरी आदत करदी..!!
जज़्बात सीने के शब्दों में बयां कीजिए,
इश्क़ में नशा बहुत है थोड़ा-थोड़ा लिया कीजिए
चंद लफ़्ज़ों के तक़ल्लुफ़ में ये इश्क़ रुका हुआ है....!!
वो इक़रार पे रुके है और हम इंतज़ार पे....!!
अकेले बैठ कर रोने का अपना ही मजा है.
इश़्क का दर्द भी इश़्क के बराबर ही लगता है
नशा चढ़ता है हम पर तुम्हे सोचने भर से ....

मुलाकात का आलम क्या होगा खुदा खैर करे !!!
तेरे सही होने की लोगों को हम कुछ ऐसे मिसाल देते है,
दिल में गम रखकर हसी की स्माइली के साथ बातों को टाल देते है।
प्यार ना सही पर कुछ तो था तेरे मेरे दरमियान,
जो तेरे जाने के बाद जिंदगी यूं तन्हा सी हो गई है।
एक अरसा हो गया तुझसे मिले
और मुद्दतो बाद तेरी याद आई है,
इस खुशी के माहौल में भी मैंने
बस तेरी कमी जश्न में पाई है।
कुछ चीजों को कितनी भी शिद्दत से चाहो,
वो सिर्फ हसरत की तरह ही रह जाती है।
अपनी मोहब्बत को वो अंज़ाम दे दूँ,
अपने हुनर को मैं तेरा नाम दे दूँ!
सुकूँ में है अगर वो... बगैर मेरे

सुकूँ पर उसके .... मैं हर खुशी लुटा दूँ..
चांद ख़ामोश सा जा रहा था कहीं

हमने भी उससे कोई बात नहीं की
लोगों को पसंद नहीं है उसका गुस्सा करना....

मैं सच बताऊँ मुझे वो क़यामत लगती है गुस्से सी शकल में...
सवालों में रहने दो मुझे
यकीन मानों जवाब बहुत बुरे देता हुँ मै.
2024/06/01 04:28:44
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