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गावों से पलायन

कैसे रोका जाये ?
पलायन कोई नई चीज तो है नहीं जो पहली बार हो रही हो | पूरा मानव इतिहास पलायन से भरा पड़ा है जैसे हरप्पा वाले भी तो पलायन किये थे | फिर इसे रोकने की जरूरत ही क्या है ?

पलायन के उनकी संस्कृति, अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

#mppsc #Forest #Interviews
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Quick Commerce क्या है ?

ग्रामीण अर्थव्यवस्था/ जनजातीय विकास में इसकी क्या भूमिका हो सकती है ?

बाजार व्यवस्था में समय के साथ कैसे बदलाव आ रहे है ? तकनीकी का क्या role है इसमें ?

#mppsc #Forest #Interviews
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Use of Drone in Forest Protection + Air seeding + Wildlife management + animal trafficking
⭐️ Bhima Nayak ⭐️
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Union Carbide = MIC ⚠️
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संपदा 2.0 मध्य प्रदेश में दस्तावेज़ों के ई-पंजीकरण और ई-स्टांप जारी करने के लिए एक नया सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है। यह संपत्ति पंजीकरण को आसान, अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने का लक्ष्य रखता है।

#mppsc #Forest #Interviews
💐 काम्या कार्तिकेयन
💐 कोनेरु हंपी
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6️⃣ Interview Q ⭐️

अपने देश में "बाघों का नामांकरण" कैसे किया जाता है ?

🪙 वन विभाग द्वारा : आधिकारिक तौर पर, वन विभाग बाघों को विशिष्ट नाम नहीं देता है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के मानदंडों के अनुसार, उन्हें T-10, T-17, T-25 जैसे संख्यात्मक नामों से पहचाना जाता है । ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि प्रत्येक बाघ की धारियाँ उसके DNA की तरह अनोखी होती हैं, और कैमरा ट्रैप तस्वीरों के माध्यम से उनकी पहचान की जा सकती है । यह संख्यात्मक नामकरण प्रणाली बाघों की निगरानी और उनके संरक्षण के प्रयासों में मदद करती है।

कुछ बाघों को उनके शारीरिक लक्षणों के आधार पर नाम दिया जाता है। जैसे, अगर किसी बाघ के शरीर पर कोई खास निशान हो, तो उसे "तीर" या "काला" जैसे नाम दिया जा सकता है।

🪙 बाघों के साथ नियमित रूप से काम करने वाले गाइड, ड्राइवर, प्रकृतिवादी और वन्यजीव प्रेमी भी अक्सर उन्हें विशिष्ट नाम दे देते हैं । और ये नाम अक्सर बाघों के व्यवहार, शारीरिक विशेषताओं या उनके द्वारा देखे गए स्थानों पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में शेरू, धीटू, शर्मिली, पेडवाली और झाड़ीवाली जैसे नाम प्रसिद्ध हैं । दुधवा टाइगर रिजर्व में भी ऐसे कई बाघ हैं जिन्हें उनके व्यवहार या शारीरिक चिह्नों के आधार पर नाम दिए गए हैं ।

🪙 आम जनता द्वारा : कई बार वन विभाग जान भागीदारी बढ़ाने के लिये आमजन से भी नाम सुझाव मांगती है

🪂 नामकरण के पीछे के कारक

बाघों को नाम देने की प्रक्रिया में कई कारक शामिल हो सकते हैं, जैसे -

शारीरिक विशेषताएँ : बाघों के शरीर पर विशिष्ट निशान या धारियाँ उनके नामकरण का आधार बन सकती हैं। रणथंभौर नेशनल पार्क की प्रसिद्ध बाघिन मछली को उसके गाल पर मछली जैसे निशान के कारण यह नाम मिला था ।  

व्यवहार : बाघों का स्वभाव, आक्रामकता, या शर्मीलापन भी उनके नामकरण में भूमिका निभा सकता है। कॉर्बेट की शर्मिली बाघिन इसका एक उदाहरण है ।  

स्थान : बाघों को उनके द्वारा अक्सर देखे जाने वाले स्थानों के नाम पर भी जाना जा सकता है, जैसे कॉर्बेट की पेडवाली ।

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आंतरिक सुरक्षा ⚠️⚠️
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Source : रोज़गार और निर्माण

30.12.2024 से 05.01.2025
H-1B Visa ✔️
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2025/07/01 18:19:18
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