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""मैं पहाड़ों कु रैबासी, तू दिली रौण वाली,,
तू देश्वाली मैडम छै, मैं छोरा ठेठ पहाड़ी...""
🤭🌹
तू देश्वाली मैडम छै, मैं छोरा ठेठ पहाड़ी...""
🤭🌹
""जिंदगी ज़ब नचाती है ना जनाब,,
.
.
.
.
तो ढोल-चिमटे बजाने वाले अपने ही होते हैँ...""
🤧💀
.
.
.
.
तो ढोल-चिमटे बजाने वाले अपने ही होते हैँ...""
🤧💀
जय हिन्द
""न वो इकरार करता है न वो इंकार करता है,,
हमें फिर भी ग़ुमाँ है वो हमी से प्यार करता है...""
🌚
~हसन रिज़वी
हमें फिर भी ग़ुमाँ है वो हमी से प्यार करता है...""
🌚
~हसन रिज़वी
""भड़काए मेरी प्यास को अक्सर तेरी आँखें,
सहरा मेरा चेहरा है समुन्दर तेरी आंखे,,
फिर कौन भला दाद-ए-तबस्सुम उन्हें देगा,
रोएँगी बहुत मुझसे बिछड़ कर तेरी आँखें,,
ख़ाली जो हुई शाम-ए-ग़रीबाँ की हथेली,
क्या क्या न लुटाती रही गौहर तेरी आँखें,,
बोझल नज़र आती हैं ब-ज़ाहिर मुझे लेकिन,
खुलती हैं बहुत दिल में उतर कर तेरी आँखें,,
अब तक मेरी यादों से मिटाए नहीं मिटता,
भीगी हुई इक शाम का मंजर तेरी आँखें,,
मुमकिन हो तो इक ताज़ा ग़ज़ल और भी कह लूँ,
फिर ओढ़ न लें ख़्वाब की चादर तेरी आँखें,,
मैं सँग-सिफ़त एक ही रस्ते में खड़ा हूँ,
शायद मुझे देखेंगी पलट कर तेरी आँखें,,
यूँ देखते रहना उसे अच्छा नहीं ❝मोहसिन❜,
वो कांच का पैकर है तो पत्थर तेरी आँखें... ""
🪄♥️
~मोहसिन नकवी ✍🏻
सहरा मेरा चेहरा है समुन्दर तेरी आंखे,,
फिर कौन भला दाद-ए-तबस्सुम उन्हें देगा,
रोएँगी बहुत मुझसे बिछड़ कर तेरी आँखें,,
ख़ाली जो हुई शाम-ए-ग़रीबाँ की हथेली,
क्या क्या न लुटाती रही गौहर तेरी आँखें,,
बोझल नज़र आती हैं ब-ज़ाहिर मुझे लेकिन,
खुलती हैं बहुत दिल में उतर कर तेरी आँखें,,
अब तक मेरी यादों से मिटाए नहीं मिटता,
भीगी हुई इक शाम का मंजर तेरी आँखें,,
मुमकिन हो तो इक ताज़ा ग़ज़ल और भी कह लूँ,
फिर ओढ़ न लें ख़्वाब की चादर तेरी आँखें,,
मैं सँग-सिफ़त एक ही रस्ते में खड़ा हूँ,
शायद मुझे देखेंगी पलट कर तेरी आँखें,,
यूँ देखते रहना उसे अच्छा नहीं ❝मोहसिन❜,
वो कांच का पैकर है तो पत्थर तेरी आँखें... ""
🪄♥️
~मोहसिन नकवी ✍🏻
""गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है,,
जीने के लिए इस दुनिया मे ग़म की भी जरूरत होती है....""
🌚☘
जीने के लिए इस दुनिया मे ग़म की भी जरूरत होती है....""
🌚☘
""पलट आता हूँ मैं मायूस हो कर उन मकामों से,,
जहाँ से सिलसिला नज़दीक-तर होता है मंजिल का...""
🫠🐾
जहाँ से सिलसिला नज़दीक-तर होता है मंजिल का...""
🫠🐾
""नहीं हम मे कोई अनबन नहीं है,
बस इतना है कि अब वो मन नहीं है,,
मैं अपने आप को सुलझा रहा हूँ,
तुम्हें लेकर कोई उलझन नहीं है...""
🖤🍂
#Instagram
बस इतना है कि अब वो मन नहीं है,,
मैं अपने आप को सुलझा रहा हूँ,
तुम्हें लेकर कोई उलझन नहीं है...""
🖤🍂
""अपनी तस्वीर बनाओगे तो होगा एहसास,,
कितना दुश्वार है ख़ुद को कोई चेहरा देना....""
🎭
~अज़हर इनायती
कितना दुश्वार है ख़ुद को कोई चेहरा देना....""
🎭
~अज़हर इनायती
""बारहा तेरा इन्तिज़ार किया,,
अपने ख़्वाबों मे इक दुल्हन की तरह...""
🌚🌼
~परवीन शाकिर
अपने ख़्वाबों मे इक दुल्हन की तरह...""
🌚🌼
~परवीन शाकिर
""बाकि है अब भी तर्क-ए-तमन्ना की आरजू,,,
क्यूंकर कहूँ कि कोई तमन्ना नहीं मुझे....""
🌚
क्यूंकर कहूँ कि कोई तमन्ना नहीं मुझे....""
🌚
""इंसान का दिल क्या है दुनिया-ए-हवादिस मे,,,
टुटा हुआ तारा है टपका हुआ आंसू है.....""
🌚🍂
टुटा हुआ तारा है टपका हुआ आंसू है.....""
🌚🍂
""कुछ ऐसे रास्तो से इश्क़ का सफ़र जाए,
तुम्हारा हिज्र बहुत दूर से गुजर जाए,,
उदासियों से भरी कच्ची उम्र की ये नस्ले,
जो शायरी न करे तो दुखों से मर जाए,,
पचास लोगों से वो रोज मिलती है और मैं,
किसी को देख लूँ तो उस का मुँह उतर जाए,,
घटा छटे तो दिखे चाँद भी सितारे भी,
जो तुम हटो तो किसी और पर नजर जाए,,
हजार साल मे तय्यार होने वाला मर्द,
उस एक गोद मे सर रखते ही बिखर जाए,,
मैं उस बदन से सभी पैरहन उतारूं और,
अंधेरा जिस्म पे कपड़े का काम कर जाए,,
मेरी हवस को कोई दूसरा मयस्सर हो,
तुम्हारा हुस्न किसी और से संवर जाए...""
🥀🖤
~Kushal
तुम्हारा हिज्र बहुत दूर से गुजर जाए,,
उदासियों से भरी कच्ची उम्र की ये नस्ले,
जो शायरी न करे तो दुखों से मर जाए,,
पचास लोगों से वो रोज मिलती है और मैं,
किसी को देख लूँ तो उस का मुँह उतर जाए,,
घटा छटे तो दिखे चाँद भी सितारे भी,
जो तुम हटो तो किसी और पर नजर जाए,,
हजार साल मे तय्यार होने वाला मर्द,
उस एक गोद मे सर रखते ही बिखर जाए,,
मैं उस बदन से सभी पैरहन उतारूं और,
अंधेरा जिस्म पे कपड़े का काम कर जाए,,
मेरी हवस को कोई दूसरा मयस्सर हो,
तुम्हारा हुस्न किसी और से संवर जाए...""
🥀🖤
~Kushal
""पढ़ा गया हमको
जैसे पढ़ा जाता है कागज़
बच्चों की फ़टी कॉपीयों का
चनाजोर गरम के लिफाफे बनाने के पहले
देखा गया हमको
जैसे कि कुफ़्त हो उनीँदे
देखी जाती है कलाई घड़ी
अलस्सुबह अलार्म बजने के बाद
सुना गया हमको
यों ही उड़ते मन से
जैसे सुने जाते हैं फ़िल्मी गाने
सस्ते कैसेटों पर
ठसाठस्स भरी हुई बस मे
भोगा गया हमको
बहुत दूर के रिश्तेदारों के
दुःख की तरह
एक दिन हमने कहा
हम भी इंसान हैं-
हमें कायदे से पढो एक एक अक्षर
जैसे पढ़ा होगा बी.ए. के बाद
नौकरी का पहला विज्ञापन
देखो तो ऐसे
जैसे कि ठिठुरते हुए देखी जाती है
बहुत दूर जलती हुई आग,
सुनो हमें अनहद की तरह
और समझो जैसे समझी जाती है
नई नई सीखी हुई भाषा,
इतना सुनना था कि अधर से लटकती हुई
एक अदृश्य टहनी से
टिड्डीयाँ उड़ी और रंगीन अफवाहे
चीखती हुई चीं चीं
दुश्चरित्र महिलाएं,दुश्चरित्र महिलाएं -
किन्ही सरपरस्तो के दम पर फूली फैली
अगरधत्त जंगली लताएं
खाती पीती, सुख से ऊबी
और बेकार बेचैन, आवारा महिलाओ का ही
शगल हैं ये कहानिया और कविताएं...
फिर ये उन्होंने थोड़े ही लिखी हैं
(कनखियाँ, इशारे, फिर कनखी)
बाकि कहानी बस कनखी है
हे परमपिताओं,
परमपुरुषो -
बख्शो,बख्शो, अब हमें बख्शो......""
♥️🌚
~अनामिका
जैसे पढ़ा जाता है कागज़
बच्चों की फ़टी कॉपीयों का
चनाजोर गरम के लिफाफे बनाने के पहले
देखा गया हमको
जैसे कि कुफ़्त हो उनीँदे
देखी जाती है कलाई घड़ी
अलस्सुबह अलार्म बजने के बाद
सुना गया हमको
यों ही उड़ते मन से
जैसे सुने जाते हैं फ़िल्मी गाने
सस्ते कैसेटों पर
ठसाठस्स भरी हुई बस मे
भोगा गया हमको
बहुत दूर के रिश्तेदारों के
दुःख की तरह
एक दिन हमने कहा
हम भी इंसान हैं-
हमें कायदे से पढो एक एक अक्षर
जैसे पढ़ा होगा बी.ए. के बाद
नौकरी का पहला विज्ञापन
देखो तो ऐसे
जैसे कि ठिठुरते हुए देखी जाती है
बहुत दूर जलती हुई आग,
सुनो हमें अनहद की तरह
और समझो जैसे समझी जाती है
नई नई सीखी हुई भाषा,
इतना सुनना था कि अधर से लटकती हुई
एक अदृश्य टहनी से
टिड्डीयाँ उड़ी और रंगीन अफवाहे
चीखती हुई चीं चीं
दुश्चरित्र महिलाएं,दुश्चरित्र महिलाएं -
किन्ही सरपरस्तो के दम पर फूली फैली
अगरधत्त जंगली लताएं
खाती पीती, सुख से ऊबी
और बेकार बेचैन, आवारा महिलाओ का ही
शगल हैं ये कहानिया और कविताएं...
फिर ये उन्होंने थोड़े ही लिखी हैं
(कनखियाँ, इशारे, फिर कनखी)
बाकि कहानी बस कनखी है
हे परमपिताओं,
परमपुरुषो -
बख्शो,बख्शो, अब हमें बख्शो......""
♥️🌚
~अनामिका
