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हर बार इल्जाम हम पर लगाना ठीक नहीं...!!

वफ़ा खुद से नहीं होती, खफा हम पर होते हो...!!

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आंसू उठा लेते हैं मेरे गमो का बोझ...!!

ये वो दोस्त है जो तुम्हारी तरह एहसान जाताया नहीं करते...!!

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बन्द कर दो अब मोहब्बत तुम अगर....!!

बेवफ़ाई में पीएचडी पूरी हो गई हो...!!

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करनी है तो दर्द की साझेदारी कर लो...!!

साहब खुशियों के तो दावेदार बहुत हैं...!!

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मैंने तो अपने पाप वाले घड़े में छेद कर रखा है...!!

क्यूँकि वो भरने पे फूट जाने वाला झंझट ही नहीं चाहिए मुझे..!!

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इश्क़ के मारों को आदाब कहाँ आते हैं...!!

तेरे कूचे में चले आए इजाज़त के बग़ैर...!!

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आये हो निभाने को जब किरदार जमीं पर...!!

तो कुछ ऐसा करो की जमाना मिसाल दे...!!

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नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर...!!

कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नही देता...!!

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आँखों ने तुमकों चाहा इतना जरुर है...!!

दिल‌ को‌ सजा मत देना ये बेकसूर है...!!

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उस से कहना कि बुरा ख़्वाब था अब याद नहीं...!!

मेरे बारे में जो पूछे कभी दुनिया तुझ से...!!

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हम को इतना गिरा-पड़ा न समझ...!!

ऐ ज़माने किसी का प्यार हैं हम...!!

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मैं ने हँस कर डाँट दिया था प्यार के पहले शब्दों पर...!!

उस ने फिर कोशिश ही नहीं की वो ख़ुद्दार बला की थी...!!

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क्यों भला कच्चे मकानों का तुम्हें आया ख़याल...!!

तुम तो दरिया थे साहब तुम्हें तेज़ गुज़र जाना था...!!

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उस को जाते हुए देखा था पुकारा था कहाँ...!!

रोकते किस तरह वो शख़्स हमारा था कहाँ...!!

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साथ साहिल पे गुज़रते हुए देखी थी कभी...!!

याद है अब भी समुंदर में उतरती हुई शाम...!!

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किसी की आँखों में जल बुझे हैं...!
किसी का चेहरा लगा लिया है...!!

ये मस्लहत है या बुज़-दिली है...!
कि हम ने ख़ुद को छुपा लिया है...!!

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इश्क़ और कोरोना में ज्यादा फर्क नही है...!!

"दोस्तों"

जब तक खुद को नही होता...!
तब तक ये दोनों मजाक लगते है...!!

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दर्द के सारे ही क़िस्सों की याद-दहानी कर लेना...!!

हिज्र की रात बहुत लम्बी है एक कहानी कम न पड़े...!!

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हिज्र की रात वो ख़त भी जलाए तो कैसे...!!

साहब उस के घर में कोई आतिश-दान नहीं...!!

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कैसी ताबीर की हसरत कि 'साहब' बरसों से...!!

ना-मुराद आँखों ने देखा ही नहीं ख़्वाब कोई...!!

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2025/07/06 15:15:21
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