Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
*Srila Bhaktivinoda Thakura Disappearance Day - Fasting till noon*
*
_नमो भक्तिविनोदय सच्चिदानन्दनामिने ।_
_गौरशक्ति स्वरूपाय रूपानुगवरायते ।।_
श्रील भक्ति विनोद ठाकुर हमारी वैष्णव परंपरा के बहुत महान आचार्य हुए हैं। इनका जन्म 2 सितंबर, 1838 में उलाग्राम (वीरनगर), नदिया में हुआ था।
यूं तो ये गृहस्थ थे, किंतु इनका जीवन अत्यंत संयमित एवं कठिन तपस्या से भरा हुआ था। ये जगन्नाथ पुरी के डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट थे (जो कि अंग्रेजों के राज्य में किसी भी भारतीय को दिए जाने वाला सर्वोच्च पद था)।
_अंग्रेजी सरकार इनके कार्य से इतनी खुश थी कि उन्होंने विशेष रूप से इनके घर तक रेलवे लाइन बिछाई थी जो केवल उनके निजी इस्तेमाल के लिए थी, जिस में बैठकर वे दफ्तर जाया करते थे।_
*उनका दैनिक कार्यक्रम इस प्रकार था ―*
7:30-8:00 PM – विश्राम
10:00 PM-4:00 AM – ग्रंथ लेखन
4:00-4:30 – विश्राम
4:30-7:00 – "हरे कृष्ण महामंत्र" जप
7:00-7:30 – पत्राचार
7:30 – अध्ययन
8:30 – अतिथियों का स्वागत या अध्ययन करते रहना
9:30-9:45 – विश्राम
9:45-10:00– स्नान, प्रसाद सेवन (आधा लिटर दूध, 2 रोटी, फल)
10:00-1:00 PM – कोर्ट का कार्य
1:00-2:00 – अल्प आहार
2:00-5:00 – कोर्ट का कार्य
5:00-7:00 – संस्कृत ग्रंथ अनुवाद कार्य
7:00-7:30 PM – स्नान, प्रसाद सेवन (भात, 2 रोटी, आधा लीटर दूध)
वे कोट पैंट डालकर, तुलसी की कंठी माला पहने, *वैष्णव तिलक लगाकर दफ्तर जाया करते थे* और बहुत जल्दी निर्णय लिया करते थे। कोर्ट के अंदर 1 दिन में कई सारे निर्णय दे देते थे (जो कि हमेशा सही होते थे)।
*भक्ति विनोद ठाकुर के कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान इस प्रकार हैं :*
# उन्होंने 100 से भी अधिक ग्रंथों का निर्माण किया (जिनमें से कई ग्रंथ इन्होंने विदेशों में भी भेजें)।
# उन्होंने बहुत से संस्कृत ग्रंथों का बांग्ला भाषा में अनुवाद किया।
# उन्होने मायापुर के अंदर भगवान *श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु* (जो कि भगवान कृष्ण के ही कलयुग में हुए अवतार हैं) कि प्रकट स्थली की खोज की।
# उन्होंने बहुत से(लगभग 13) *अप संप्रदायों* का पर्दाफाश किया (अप संप्रदाय का अर्थ होता है ऐसे लोग जो बाहर से भक्त होने का दिखावा करते हैं किंतु अत्यंत विषई और कामी होते हैं)
# उन्होंने कई सारे नकली साधुओं को भी पकड़वाया
...क्योंकि इनके कार्य वृंदावन के षड् गोस्वामी गण जैसे ही थे इसीलिए *इन्हें सातवां गोस्वामी भी कहा जाता है।*
जीवों की इस दुरावस्था को देखकर उदारता के लीलामय विग्रह श्रीमन् महाप्रभु जी का मन दया से भर आया और उन्होंने जीवों के आत्यंतिक मंगल के लिए अपने निजजन श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी को जगत में भेजा। ठाकुर श्रील भक्ति विनोद जी ने अपनी अलौकिक शक्ति से विभिन्न भाषाओं में सौ से भी अधिक ग्रंथ लिखकर शुद्ध भक्ति सिद्धांतों के विरुद्ध मतों का खंडन किया और ऐसा करते हुए उन्होने श्रीमन् महाप्रभु जी की शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ तत्व स्थापित किया।
इन्होंने भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में कई भजन भी लिखे हैं। (ये वैष्णव गीत आज भी भक्तों को श्री कृष्ण से अनुराग और संसार की वास्तविकता का बोध कराते हैं, इन्होंने पहला गीत 7 वर्ष की आयु में ही लिख दिया था)।
जीवों की दुरावस्था को देखकर उदारता के लीलामय विग्रह श्रीमन् महाप्रभु जी का मन दया से भर आया और उन्होंने जीवों के आत्यंतिक मंगल के लिए अपने निजजन श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी को जगत में भेजा। ठाकुर श्रील भक्ति विनोद जी ने अपनी अलौकिक शक्ति से विभिन्न भाषाओं में सौ से भी अधिक ग्रंथ लिखकर शुद्ध भक्ति सिद्धांतों के विरुद्ध मतों का खंडन किया और ऐसा करते हुए उन्होने श्रीमन् महाप्रभु जी की शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ तत्व स्थापित किया।
*श्रील भक्ति विनोद ठाकुर महाराज की जय!*
*हरे कृष्ण*
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_नमो भक्तिविनोदय सच्चिदानन्दनामिने ।_
_गौरशक्ति स्वरूपाय रूपानुगवरायते ।।_
श्रील भक्ति विनोद ठाकुर हमारी वैष्णव परंपरा के बहुत महान आचार्य हुए हैं। इनका जन्म 2 सितंबर, 1838 में उलाग्राम (वीरनगर), नदिया में हुआ था।
यूं तो ये गृहस्थ थे, किंतु इनका जीवन अत्यंत संयमित एवं कठिन तपस्या से भरा हुआ था। ये जगन्नाथ पुरी के डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट थे (जो कि अंग्रेजों के राज्य में किसी भी भारतीय को दिए जाने वाला सर्वोच्च पद था)।
_अंग्रेजी सरकार इनके कार्य से इतनी खुश थी कि उन्होंने विशेष रूप से इनके घर तक रेलवे लाइन बिछाई थी जो केवल उनके निजी इस्तेमाल के लिए थी, जिस में बैठकर वे दफ्तर जाया करते थे।_
*उनका दैनिक कार्यक्रम इस प्रकार था ―*
7:30-8:00 PM – विश्राम
10:00 PM-4:00 AM – ग्रंथ लेखन
4:00-4:30 – विश्राम
4:30-7:00 – "हरे कृष्ण महामंत्र" जप
7:00-7:30 – पत्राचार
7:30 – अध्ययन
8:30 – अतिथियों का स्वागत या अध्ययन करते रहना
9:30-9:45 – विश्राम
9:45-10:00– स्नान, प्रसाद सेवन (आधा लिटर दूध, 2 रोटी, फल)
10:00-1:00 PM – कोर्ट का कार्य
1:00-2:00 – अल्प आहार
2:00-5:00 – कोर्ट का कार्य
5:00-7:00 – संस्कृत ग्रंथ अनुवाद कार्य
7:00-7:30 PM – स्नान, प्रसाद सेवन (भात, 2 रोटी, आधा लीटर दूध)
वे कोट पैंट डालकर, तुलसी की कंठी माला पहने, *वैष्णव तिलक लगाकर दफ्तर जाया करते थे* और बहुत जल्दी निर्णय लिया करते थे। कोर्ट के अंदर 1 दिन में कई सारे निर्णय दे देते थे (जो कि हमेशा सही होते थे)।
*भक्ति विनोद ठाकुर के कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान इस प्रकार हैं :*
# उन्होंने 100 से भी अधिक ग्रंथों का निर्माण किया (जिनमें से कई ग्रंथ इन्होंने विदेशों में भी भेजें)।
# उन्होंने बहुत से संस्कृत ग्रंथों का बांग्ला भाषा में अनुवाद किया।
# उन्होने मायापुर के अंदर भगवान *श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु* (जो कि भगवान कृष्ण के ही कलयुग में हुए अवतार हैं) कि प्रकट स्थली की खोज की।
# उन्होंने बहुत से(लगभग 13) *अप संप्रदायों* का पर्दाफाश किया (अप संप्रदाय का अर्थ होता है ऐसे लोग जो बाहर से भक्त होने का दिखावा करते हैं किंतु अत्यंत विषई और कामी होते हैं)
# उन्होंने कई सारे नकली साधुओं को भी पकड़वाया
...क्योंकि इनके कार्य वृंदावन के षड् गोस्वामी गण जैसे ही थे इसीलिए *इन्हें सातवां गोस्वामी भी कहा जाता है।*
जीवों की इस दुरावस्था को देखकर उदारता के लीलामय विग्रह श्रीमन् महाप्रभु जी का मन दया से भर आया और उन्होंने जीवों के आत्यंतिक मंगल के लिए अपने निजजन श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी को जगत में भेजा। ठाकुर श्रील भक्ति विनोद जी ने अपनी अलौकिक शक्ति से विभिन्न भाषाओं में सौ से भी अधिक ग्रंथ लिखकर शुद्ध भक्ति सिद्धांतों के विरुद्ध मतों का खंडन किया और ऐसा करते हुए उन्होने श्रीमन् महाप्रभु जी की शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ तत्व स्थापित किया।
इन्होंने भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में कई भजन भी लिखे हैं। (ये वैष्णव गीत आज भी भक्तों को श्री कृष्ण से अनुराग और संसार की वास्तविकता का बोध कराते हैं, इन्होंने पहला गीत 7 वर्ष की आयु में ही लिख दिया था)।
जीवों की दुरावस्था को देखकर उदारता के लीलामय विग्रह श्रीमन् महाप्रभु जी का मन दया से भर आया और उन्होंने जीवों के आत्यंतिक मंगल के लिए अपने निजजन श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी को जगत में भेजा। ठाकुर श्रील भक्ति विनोद जी ने अपनी अलौकिक शक्ति से विभिन्न भाषाओं में सौ से भी अधिक ग्रंथ लिखकर शुद्ध भक्ति सिद्धांतों के विरुद्ध मतों का खंडन किया और ऐसा करते हुए उन्होने श्रीमन् महाप्रभु जी की शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ तत्व स्थापित किया।
*श्रील भक्ति विनोद ठाकुर महाराज की जय!*
*हरे कृष्ण*
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Netrotsava Today ! 🤩 Darshan after 15 days 🙌
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Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
हरे कृष्णा!🌸
कल, 27 जून 2025, हम सब मिलकर मनाएँगे *श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभ पर्व!*🛕🎉
*गौरांग ग्रुप द्वारा आयोजित “श्री जगन्नाथ अन्नसेवा” में सहभागी बनें 🍛🙏*
आपका छोटा-सा सहयोग इस भव्य सेवा को सफल बना सकता है।
UPI: moib1208-2@okhdfcbank पर दान करें या QR कोड स्कैन करें 💖
लक्ष्मी सेवा और एड्रेस का स्क्रीन शॉर्ट निचे दिए गये नंबर पर भेजे
💝 विशेष दान के स्वरूप, आपको रथ यात्रा का महा प्रसादम आपके घर पर भेजा जाएगा! 🏠
📞 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: +91-7990200618
कल, 27 जून 2025, हम सब मिलकर मनाएँगे *श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभ पर्व!*🛕🎉
*गौरांग ग्रुप द्वारा आयोजित “श्री जगन्नाथ अन्नसेवा” में सहभागी बनें 🍛🙏*
आपका छोटा-सा सहयोग इस भव्य सेवा को सफल बना सकता है।
UPI: moib1208-2@okhdfcbank पर दान करें या QR कोड स्कैन करें 💖
लक्ष्मी सेवा और एड्रेस का स्क्रीन शॉर्ट निचे दिए गये नंबर पर भेजे
💝 विशेष दान के स्वरूप, आपको रथ यात्रा का महा प्रसादम आपके घर पर भेजा जाएगा! 🏠
📞 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: +91-7990200618
Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
रथारूढो गच्छन् पथि मिलित भूदेव पटलैः
स्तुति प्रादुर्भावम् प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः ।
दया सिन्धुर्बन्धुः सकल जगतां सिन्धु सुतया
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
Rath Yatra Mahamahotsava ki jayyyy hooo !!
https://youtube.com/shorts/KMLDKdxwNiY?si=z0Nx_fPKwIPuZ9N_
स्तुति प्रादुर्भावम् प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः ।
दया सिन्धुर्बन्धुः सकल जगतां सिन्धु सुतया
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे
Rath Yatra Mahamahotsava ki jayyyy hooo !!
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Rathyatra Special 2025 ✨ ⭕❗⭕ ✨🎉
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हरे कृष्ण
रविवार, *शयन एकादशी*
https://www.instagram.com/reel/DLuD1ZWCMBM/?igsh=MTZlOGJoaHppdnBwYw==
हरे कृष्ण
रविवार, *शयन एकादशी*
*पारणा:* सोमवार सुबह
6:03 से 10:28 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:16 से 10:37 राजकोट, जामनगर, द्वारका
युधिष्ठिर ने पूछा: भगवन्! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है। मैं उसका वर्णन करता हूँ। वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है। आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया। ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए। जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए। एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं।
राजन्! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है। जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं। चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए। सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए। जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है। राजन्! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए। कभी भूलना नहीं चाहिए।
युधिष्ठिर ने पूछा: भगवन्! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है। मैं उसका वर्णन करता हूँ। वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है। आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया। ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए। जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए। एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं।
राजन्! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है। जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं। चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए। सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए। जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है। राजन्! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए। कभी भूलना नहीं चाहिए।
हरे कृष्ण
रविवार, *शयन एकादशी*
https://www.instagram.com/reel/DLuD1ZWCMBM/?igsh=MTZlOGJoaHppdnBwYw==
हरे कृष्ण
रविवार, *शयन एकादशी*
*पारणा:* सोमवार सुबह
6:03 से 10:28 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:16 से 10:37 राजकोट, जामनगर, द्वारका
युधिष्ठिर ने पूछा: भगवन्! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है। मैं उसका वर्णन करता हूँ। वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है। आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया। ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए। जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए। एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं।
राजन्! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है। जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं। चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए। सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए। जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है। राजन्! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए। कभी भूलना नहीं चाहिए।
युधिष्ठिर ने पूछा: भगवन्! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है। मैं उसका वर्णन करता हूँ। वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है। आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया। ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए। जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए। एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं।
राजन्! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है। जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं। चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए। सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए। जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है। राजन्! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए। कभी भूलना नहीं चाहिए।
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I knew that Kṛṣṇa is there ~Srila Prabhupada
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https://youtu.be/h3gfxl9pVo0?si=4DVQmN_paA6jKUHT
*Harikatha Madhuri @ISKCON Varachha | SB 5.6.1 | Uddhava Dasa | Heavy Class*
*Harikatha Madhuri @ISKCON Varachha | SB 5.6.1 | Uddhava Dasa | Heavy Class*
YouTube
Harikatha Madhuri @ISKCON Varachha | SB 5.6.1 | Uddhava Dasa | Heavy Class
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✨ What We Offer at Gauranga’s Children Class:
🎶 Bhajans & Kirtans with Instruments
📖 Value-Based Krishna Stories from Scriptures
🕉 Shloka Chanting with Meaning & Application
📚 “Values of Life” Syllabus Books – Structured by Age
🔢 Vedic Maths – Ancient Tricks for Sharp Thinking
🧘 Yoga & Breathing Practices for Focus and Calmness
🐄 Goshala Visits – Learning Cow Protection Values
🛕 Temple Seva, Darshan & Festival Participation
🎨 Devotional Crafts, Art & Creative Activities
📿 Tulsi Mala Japa – 1 Round Meditation Practice
🧩 Group Games, Quizzes & Role Plays
🧳 Special Yatras (Spiritual Outings)
🍛 Krishna Prasadam Every Week
🏅 Certificates, Assessments & Gift Rewards
👨👩👧 Monthly Parent–Teacher Meeting to Track Child's Progress
🧒 Program Name: Gauranga’s Children Class
🏢 Venue: Pre Shennan School, Gorwa Panchvati, Behind Jakat Naka, Beside Navjyoti Society
🕘 Time: Every Sunday | 9:00 AM – 11:00 AM
🎓 Organized by: ISKCON Vadodara – Gauranga’s Group
☎️ Contact: 7600095955
🌐 Language: Bilingual (Gujarati + English)
🔗 Register Here:- https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeskeaeAggaVedglhAhlQSDeVt_L_AwjME0o75eW5_m8Dtl9g/viewform?usp=header
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🧒 Program Name: Gauranga’s Children Class
🏢 Venue: Pre Shennan School, Gorwa Panchvati, Behind Jakat Naka, Beside Navjyoti Society
🕘 Time: Every Sunday | 9:00 AM – 11:00 AM
🎓 Organized by: ISKCON Vadodara – Gauranga’s Group
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Gaurangas group children class now at Gorwa vadodara :-
https://www.instagram.com/reel/DMDXnKXB2-k/?igsh=ZGt3bDhzcHRzbDE3
To connect please fill the form:-
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https://www.instagram.com/reel/DMDXnKXB2-k/?igsh=ZGt3bDhzcHRzbDE3
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Forwarded from Srila Prabhupada Wisdom (Gaurangas Group🙇 ~ ISKCON Vadodara)
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The purpose of Ekādasī Vratā... ~Srila Prabhupada
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Hare Krishna, Hope this video will be helpful for allThank you so much for watching----------------------------------------------------------LIKE | COMMENT ...