ऐतबार भी था, प्यार भी था,
तुम्हारे हुस्न का खुमार भी था,
काश कोई इस प्यार के नशे में रहने दे,
तेरे प्यार के खातिर तेरे झूठ को भी सहने दे,
हमने तो प्यार किया था किसी बिना किसी पहरे के,
हमे कहाँ पता था के तुझमे झूठ के राज बहुत गहरे थे,
तेरे झूठ को भी सच मान के पी लूँगा,
बस अब और नहीं .....
खुद के खातिर तेरे बिना ही जी लूँगा.........
#gaurav sir
@alfaazz
तुम्हारे हुस्न का खुमार भी था,
काश कोई इस प्यार के नशे में रहने दे,
तेरे प्यार के खातिर तेरे झूठ को भी सहने दे,
हमने तो प्यार किया था किसी बिना किसी पहरे के,
हमे कहाँ पता था के तुझमे झूठ के राज बहुत गहरे थे,
तेरे झूठ को भी सच मान के पी लूँगा,
बस अब और नहीं .....
खुद के खातिर तेरे बिना ही जी लूँगा.........
#gaurav sir
@alfaazz
बिकती है ना ख़ुशी कहीं,
ना कहीं गम बिकता है.
लोग गलतफहमी में हैं,
कि शायद कहीं मरहम बिकता है......
ना कहीं गम बिकता है.
लोग गलतफहमी में हैं,
कि शायद कहीं मरहम बिकता है......
दिल से निकली ही नहीं शाम जुदाई वाली,
आप तो कहते थे कि बुरा वक्त गुज़र जाता है.......
आप तो कहते थे कि बुरा वक्त गुज़र जाता है.......
हमसे खेलती रही दुनिया ताश के पत्तों की तरह,
जिसने जीता उसने भी फेंका और जिसने हारा उसने भी फेंका............
जिसने जीता उसने भी फेंका और जिसने हारा उसने भी फेंका............
बहुत संभाल कर खर्च करते है तेरी यादों की दौलत,
आखिर एक उम्र गुजारनी है इन्हीं की बदौलत.......
आखिर एक उम्र गुजारनी है इन्हीं की बदौलत.......
ढुंढा करोगे हर किसी मे मुझे..!!
वो मंजर भी आयेगा..!!
हम याद भी आयेंगे ओर..!!
आंखों मे समंदर भी आयेगा..!!
वो मंजर भी आयेगा..!!
हम याद भी आयेंगे ओर..!!
आंखों मे समंदर भी आयेगा..!!
कहीं भी लिखा नहीं है कि इश्क़ जवानी में ही होता है,
लेकिन ये जब भी होता है...इंसान जवान ज़रूर हो जाता है..!!
लेकिन ये जब भी होता है...इंसान जवान ज़रूर हो जाता है..!!
दिखावा नहीं करता, क्युकी इससे मेरी वास्तविकता परिवर्तित नहीं होगी!
जैसा हूं वैसा हूं स्वीकार करना है करो अन्यथा रहने दो और न ही मैं स्वयं को बदलना चाहता हूं, मुझे मेरी वास्तविकता से प्रेम है..!
जैसा हूं वैसा हूं स्वीकार करना है करो अन्यथा रहने दो और न ही मैं स्वयं को बदलना चाहता हूं, मुझे मेरी वास्तविकता से प्रेम है..!
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में
रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे
धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में
जाने किस का ज़िक्र है इस अफ़्साने में
दर्द मज़े लेता है जो दोहराने में
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में
हम इस मोड़ से उठ कर अगले मोड़ चले
उन को शायद उम्र लगेगी आने में....
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में
रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे
धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में
जाने किस का ज़िक्र है इस अफ़्साने में
दर्द मज़े लेता है जो दोहराने में
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में
हम इस मोड़ से उठ कर अगले मोड़ चले
उन को शायद उम्र लगेगी आने में....
मैं पागल तेरे पीछे,
तू पागल किसी और के पीछे,
और वो पागल किसी और के पीछे,
मतलब सारे पागल आगे पीछे.......
तू पागल किसी और के पीछे,
और वो पागल किसी और के पीछे,
मतलब सारे पागल आगे पीछे.......