ख़्याल तुम्हारा
रात भर नींद आयी नहीं
बिल्कुल तुम्हारी तरह ही
✨
सोच में तल्लीन थी कि
तुमने खाना खाया या नहीं
दवा ली या नहीं,
गर्म कपड़े पहने या नहीं
✨
तुम्हे मालूम नहीं, ये जो ख़्याल
है मेरे अंदर उमड़ता सवाल है
मेरे अंदर,
बताओ अपना ख़्याल रख रहे
हो न ,
दुनियां से दूर मुझे याद कर रहे हो न
✨
अब AAYUUUU क्या ही लिखे
शेर ए शायरी तुम पर,
दुनियां जानती है कितना फिदा हूं मैं
तुम पर
👻🫀🌴
AAYUUU
✨💭💯
❤3😍2😘1
मैंने कहा भी था, यहां से निकल पड़ते हैं...
ऐ दिल! तेरी लिहाज में मारा गया हूं मैं ___!!!
ऐ दिल! तेरी लिहाज में मारा गया हूं मैं ___!!!
😢5💔2
तेरा चंद लम्हे बात करना,
मेरे हर लम्हे को निखार देता है।
तू जो देख ले एक नज़र भर के,
दिल को जीने का इख़्तियार देता है।
तेरी मुस्कान की जो है मिठास,
हर ग़म को वो भी करार देता है।
तेरी खामोशी भी बोलती है,
ये दिल उसे इज़हार देता है।
तेरे होने से जो रंग बिखरे,
वो मौसमों को बहार देता है।
तेरा नाम जब ज़ुबां पे आए,
वक़्त ठहरे, इक प्यार देता है।
🥀❤️✨
मेरे हर लम्हे को निखार देता है।
तू जो देख ले एक नज़र भर के,
दिल को जीने का इख़्तियार देता है।
तेरी मुस्कान की जो है मिठास,
हर ग़म को वो भी करार देता है।
तेरी खामोशी भी बोलती है,
ये दिल उसे इज़हार देता है।
तेरे होने से जो रंग बिखरे,
वो मौसमों को बहार देता है।
तेरा नाम जब ज़ुबां पे आए,
वक़्त ठहरे, इक प्यार देता है।
🥀❤️✨
❤2👍1❤🔥1
दिल की किताब में गुलाब उनका था,रात की नींदों में ख्वाब उनका था....!!
कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा,मर जायेंगे तुम्हारे बिना यह जवाब उनका था....!!✍️🥰🤞
कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा,मर जायेंगे तुम्हारे बिना यह जवाब उनका था....!!✍️🥰🤞
😍4🔥1😘1
"वो जो पास आकर भी दूर था"
बो दूसरों के साथ होकर मुझे भूल जाता है,
मेरे ही साए से हर रोज़ फिसल जाता है।
जब भी ज़रूरत हो, पास आकर प्यार जताता है,
फिर मेरी तन्हाई में जहर सा घुल जाता है।
लबों पे वादों की मिठास और आँखों में छल,
वो हर दफ़ा उम्मीद का चिराग़ बुझा जाता है।
मैं तो उसी मोड़ पे ठहरा रही उम्र भर,
वो हर रास्ता बदलकर कहीं और ही जाता है।
दिल से निभाई थी मोहब्बत की हर एक रस्म,
वो खेल समझकर हर एहसास मिटा जाता है।
अब तो तड़प भी उसकी आदत सी बन गई है,
वो रोज़ जख़्म नया देके मुस्कुरा जाता है।
🥀✨🖤
बो दूसरों के साथ होकर मुझे भूल जाता है,
मेरे ही साए से हर रोज़ फिसल जाता है।
जब भी ज़रूरत हो, पास आकर प्यार जताता है,
फिर मेरी तन्हाई में जहर सा घुल जाता है।
लबों पे वादों की मिठास और आँखों में छल,
वो हर दफ़ा उम्मीद का चिराग़ बुझा जाता है।
मैं तो उसी मोड़ पे ठहरा रही उम्र भर,
वो हर रास्ता बदलकर कहीं और ही जाता है।
दिल से निभाई थी मोहब्बत की हर एक रस्म,
वो खेल समझकर हर एहसास मिटा जाता है।
अब तो तड़प भी उसकी आदत सी बन गई है,
वो रोज़ जख़्म नया देके मुस्कुरा जाता है।
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