अब तुझसे कोई आस नहीं
इंतज़ार करेंगे तेरा, मगर अब सदा नहीं देंगे,
तू रहे कहीं भी, तुझको दिल में जगह नहीं देंगे।
टूटते रहेंगे रोज़-रोज़ इस मोहब्बत की चुप में,
मगर अब तेरे नाम की कोई दवा नहीं लेंगे।
आँखों में समंदर है, पर तूफ़ान अब थम चुका है,
हम तेरे लिए अब आँसुओं की वफ़ा नहीं देंगे।
तू जो गया तो लौट के साया भी तेरा न आए,
हम तुझसे किसी ख़्वाब की अब दुआ नहीं लेंगे।
हर दर्द को सीने से लगाया था तुझ बिन जीने में,
अब और किसी जख़्म की भी सज़ा नहीं लेंगे।
........🥀🖤✨
इंतज़ार करेंगे तेरा, मगर अब सदा नहीं देंगे,
तू रहे कहीं भी, तुझको दिल में जगह नहीं देंगे।
टूटते रहेंगे रोज़-रोज़ इस मोहब्बत की चुप में,
मगर अब तेरे नाम की कोई दवा नहीं लेंगे।
आँखों में समंदर है, पर तूफ़ान अब थम चुका है,
हम तेरे लिए अब आँसुओं की वफ़ा नहीं देंगे।
तू जो गया तो लौट के साया भी तेरा न आए,
हम तुझसे किसी ख़्वाब की अब दुआ नहीं लेंगे।
हर दर्द को सीने से लगाया था तुझ बिन जीने में,
अब और किसी जख़्म की भी सज़ा नहीं लेंगे।
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सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
मुसाफिर बन कर आया वो,
ना जाने कब दिल का "मेहमान" बन गया...
नजरो से हुई गुफ्तगूं,
ना जाने कब वो दिल का राजदार बन गया....
ये दिल ही ना बहका,
हम भी कुछ इस तरह बहके कि
ये दिल ना जाने कब उनका तलबगार हो गया....
लरजते होंठो से हम कह ना सके,
ऐ मुसाफिर ना जाने कब से तेरा इंतजार हो गया...
थाम ले दामन अब मेरा,
तुझसे ही रूबरू,
मेरी उल्फतो का अब आगाज हो गया...
चाहत मिट ना जाये,, तेरी चाहत मे
और तुझे खबर ही ना हो
मेरे दर्द-ओ-गम का तू इलाज हो गया ....!!
❤️🥀✨
ना जाने कब दिल का "मेहमान" बन गया...
नजरो से हुई गुफ्तगूं,
ना जाने कब वो दिल का राजदार बन गया....
ये दिल ही ना बहका,
हम भी कुछ इस तरह बहके कि
ये दिल ना जाने कब उनका तलबगार हो गया....
लरजते होंठो से हम कह ना सके,
ऐ मुसाफिर ना जाने कब से तेरा इंतजार हो गया...
थाम ले दामन अब मेरा,
तुझसे ही रूबरू,
मेरी उल्फतो का अब आगाज हो गया...
चाहत मिट ना जाये,, तेरी चाहत मे
और तुझे खबर ही ना हो
मेरे दर्द-ओ-गम का तू इलाज हो गया ....!!
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यदि पुरुष स्त्री को अपनी
बाहों में लेना चाहता है तो
उसका तात्पर्य केवल वासना
मात्र ही नहीं हो सकता है
कई दफा इसका अर्थ होता है
वह स्त्री को उसकी आत्मा तक
स्पर्श करना चाहता है
उस स्त्री के मन को टटोलना चाहता है
जो अथाह प्रेम को अपने
मन में कहीं दबा लेती है
वह अपने सीने से लगाकर
स्त्री की आंखों के आँसुओ को
प्रेम से सोख लेना चाहता है
उस स्त्री के सूखे वीरान पड़े जीवन को
प्रेम की बारिशों में
भिगो देना चाहता है
यह वासना नही है
उस पुरुष का अथाह समर्पण है
उस स्त्री के लिए
जिसे वह हृदय से प्रेम करता है.
❤️❤️
बाहों में लेना चाहता है तो
उसका तात्पर्य केवल वासना
मात्र ही नहीं हो सकता है
कई दफा इसका अर्थ होता है
वह स्त्री को उसकी आत्मा तक
स्पर्श करना चाहता है
उस स्त्री के मन को टटोलना चाहता है
जो अथाह प्रेम को अपने
मन में कहीं दबा लेती है
वह अपने सीने से लगाकर
स्त्री की आंखों के आँसुओ को
प्रेम से सोख लेना चाहता है
उस स्त्री के सूखे वीरान पड़े जीवन को
प्रेम की बारिशों में
भिगो देना चाहता है
यह वासना नही है
उस पुरुष का अथाह समर्पण है
उस स्त्री के लिए
जिसे वह हृदय से प्रेम करता है.
❤️❤️
तुमने परखा नही कभी मुझको,
आगे बढ़कर गले लगाया है,
तुमने रखी है मेरी बात खुद से पहले,
तुमने हमेशा ही मेरा मान बढ़ाया है,
तुमने देखा नही मेरे बाद फिर किसी को,
मेरे इर्द गिर्द अपना दायरा बनाया है,
अपने हर फैसले में साथ रखा है मुझको,
लाख कमियों के बावजूद मुझको अपनाया है,
मेरी खामोशियों को पढ़ लेते हो,
तुमसे बेहतर मुझे कौन जान पाया है.?
हो इसीलिए तो बहुत खास तुम,
यही वजह है कि हमने,
तुम्हे तहे दिल से अपना बनाया है...!.
ख़ैर....
आगे बढ़कर गले लगाया है,
तुमने रखी है मेरी बात खुद से पहले,
तुमने हमेशा ही मेरा मान बढ़ाया है,
तुमने देखा नही मेरे बाद फिर किसी को,
मेरे इर्द गिर्द अपना दायरा बनाया है,
अपने हर फैसले में साथ रखा है मुझको,
लाख कमियों के बावजूद मुझको अपनाया है,
मेरी खामोशियों को पढ़ लेते हो,
तुमसे बेहतर मुझे कौन जान पाया है.?
हो इसीलिए तो बहुत खास तुम,
यही वजह है कि हमने,
तुम्हे तहे दिल से अपना बनाया है...!.
ख़ैर....