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🔆 “The Great Indian Middle Class” – पवन के. वर्मा
📘 भारतीय समाज, मूल्य और आकांक्षाएँ

भौतिकवाद पर
🗨️ “नए मध्यम वर्ग ने उपभोक्तावाद को प्रगति समझ लिया है।”
📌 निबंध में उपयोग: उपभोक्तावाद, विकास बनाम मूल्य, समाज में नैतिकता

असमानता पर
🗨️ “मध्यम वर्ग लोकतंत्र की बात करता है, लेकिन गरीबों की दुर्दशा पर चुप रहता है।”
📌 निबंध में उपयोग: सामाजिक न्याय, असमानता, लोकतांत्रिक जिम्मेदारी

पहचान पर
🗨️ “भारतीय मध्यम वर्ग दो दुनियाओं में जीता है—परंपरा में जड़ें और आधुनिकता की भूख।”
📌 निबंध में उपयोग: संस्कृति बनाम आधुनिकता, सामाजिक परिवर्तन, शहरीकरण

शासन पर
🗨️ “उसकी आवाज़ बाज़ार में तेज़ है, लेकिन सुधार और जिम्मेदारी के मामलों में धीमी।”
📌 निबंध में उपयोग: सुशासन, नागरिक जिम्मेदारी, नागरिकता

मूल्यों पर
🗨️ “समृद्धि यदि नैतिक दिशा-सूचक के बिना हो तो समाज में रिक्तता पैदा करती है।”
📌 निबंध में उपयोग: नैतिकता, राष्ट्र-निर्माण, सतत विकास

#essay
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🔆 “Caste: The Origins of Our Discontents” – इज़ाबेल विल्करसन
📘 जाति, असमानता और सामाजिक न्याय

जाति बनाम वर्ग पर
🗨️ “जाति हड्डियाँ हैं, नस्ल त्वचा है।”
📌 निबंध में उपयोग: भारतीय जाति व्यवस्था, असमानता, सामाजिक स्तरीकरण

अन्याय पर
🗨️ “जाति का अर्थ है सम्मान, प्रतिष्ठा, संसाधन, गरिमा और यहाँ तक कि जीने के अधिकार का दिया या छीना जाना।”
📌 निबंध में उपयोग: सामाजिक न्याय, आरक्षण, मानव गरिमा

सामाजिक व्यवस्था पर
🗨️ “जाति इसलिए ख़तरनाक है क्योंकि यह छिपी हुई है; यह नफ़रत नहीं है, और ज़रूरी नहीं कि व्यक्तिगत हो।”
📌 निबंध में उपयोग: भारत में छिपी असमानताएँ, संरचनात्मक भेदभाव

समाज पर
🗨️ “जाति मानव पदानुक्रम का ढांचा है, वह मचान जिस पर हर स्तर टिका हुआ है।”
📌 निबंध में उपयोग: सामाजिक पदानुक्रम, भारतीय सामाजिक संरचना, संविधान बनाम वास्तविकता

न्याय पर
🗨️ “एक ऐसी दुनिया जहाँ जाति न हो, वहाँ हर कोई स्वतंत्र होगा।”
📌 निबंध में उपयोग: संवैधानिक नैतिकता, समानता, भारतीय लोकतंत्र

#essay
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भारतीय इतिहास के तीन अहम मोड़ बने पानीपत के युद्ध—

⚔️ 1526 - पहला युद्ध
बाबर बनाम इब्राहीम लोदी।
बाबर की जीत से मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी गई।
⚔️ 1556 - दूसरा युद्ध
अकबर बनाम हेमचंद्र विक्रमादित्य (हेमू)।
अकबर की जीत से मुग़लों की सत्ता और मज़बूत हुई।
⚔️ 1761 - तीसरा युद्ध
अहमद शाह अब्दाली बनाम मराठा।
भीषण संघर्ष, मराठों की हार और लाखों मौतें।
यही हार आगे चलकर अंग्रेज़ों के लिए रास्ता बनी।
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🔆 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25–28)

📌 संवैधानिक प्रावधान
अनु. 25: विवेक की स्वतंत्रता और धर्म को मानने, अभ्यास करने, प्रचारित करने का अधिकार (सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य के अधीन)।
अनु. 26: धार्मिक संस्थानों का स्वायत्त प्रबंधन, लेकिन राज्य धर्मनिरपेक्ष पहलुओं को नियंत्रित कर सकता है।
अनु. 27: धर्म प्रचार के लिए कराधान निषेध, वित्तीय तटस्थता सुनिश्चित करता है।
अनु. 28: सरकारी संस्थानों में धार्मिक शिक्षा प्रतिबंधित; सहायता प्राप्त/ट्रस्ट आधारित संस्थानों में अनुमति।

📌 अधिकार की आवश्यकता
बहुलता की रक्षा करता है और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व सुनिश्चित करता है (सर्व धर्म समभाव)।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आस्था चुनने का अधिकार सुरक्षित करता है।
भेदभावपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करता है; समानता को बढ़ावा देता है।
सार्वजनिक व्यवस्था के साथ स्वतंत्रता का संतुलन कर साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखता है।

📌 आवश्यक प्रथाओं का सिद्धांत
शिरूर मठ मामला (1954): सर्वोच्च न्यायालय ने धर्म में आवश्यक प्रथाओं को शामिल माना।
अनु. 25 के दुरुपयोग को रोकने में मदद करता है जैसे अस्पृश्यता, लिंग भेदभाव।
मुद्दे: न्यायिक अतिक्रमण, एकरूप मानदंडों की कमी, असंगति (जैसे सबरीमाला)।
आगे का रास्ता: स्पष्ट मानदंड विकसित करना, अंतरधार्मिक संवाद को प्रोत्साहित करना, धर्मनिरपेक्ष संतुलन बनाए रखना।

📌 चुनौतियां
“आवश्यक प्रथाओं” की परिभाषा में अस्पष्टता।
सार्वजनिक व्यवस्था और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संघर्ष।
धार्मिक मामलों में अत्यधिक राज्य हस्तक्षेप।
बढ़ती साम्प्रदायिक असहिष्णुता और हिंसा।
अल्पसंख्यक अधिकारों की चिंताएं जो अविश्वास पैदा करती हैं।

📌 धार्मिक स्वतंत्रता को मजबूत करना
आवश्यक प्रथाओं पर न्यायिक स्पष्टता।
अंतरधार्मिक संवाद और मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना।
अनु. 26 की स्वायत्तता का सम्मान करते हुए संतुलित राज्य नियंत्रण।
हिंसा को रोकने के लिए मजबूत कानूनी प्रवर्तन और शांति समितियां।

📌 निष्कर्ष
धर्म का अधिकार भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखता है, विश्वास की स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हुए सामाजिक व्यवस्था का संतुलन करता है।
प्रभावी कार्यान्वयन के लिए न्यायिक स्पष्टता, समावेशी नीतियां और सम्मानजनक अंतरधार्मिक सहभागिता आवश्यक है।

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🔆 “The Crisis Within” – गणेश देवी
📘 भारत में ज्ञान और शिक्षा पर विचार

ज्ञान पर
🗨️ “भारत का असली संकट अर्थव्यवस्था या राजनीति का नहीं, बल्कि ज्ञान का है।”
📌 निबंध में उपयोग: शिक्षा सुधार, नई शिक्षा नीति (NEP 2020), मानव पूंजी

भाषा पर
🗨️ “लोगों की भाषाओं को नज़रअंदाज़ करना, उन्हें गरिमा से वंचित करना है।”
📌 निबंध में उपयोग: मातृभाषा में शिक्षा, सांस्कृतिक विविधता, समावेशन

असमानता पर
🗨️ “असमान समाज को केवल समान शिक्षा से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन असमान शिक्षा उसे अवश्य नष्ट कर देगी।”
📌 निबंध में उपयोग: शिक्षा में समानता, सामाजिक न्याय, विकास

संस्कृति पर
🗨️ “संस्कृति से कटकर ज्ञान केवल परायापन पैदा करता है।”
📌 निबंध में उपयोग: भारतीय संस्कृति, आधुनिकता बनाम परंपरा, पहचान

युवा और भविष्य पर
🗨️ “भारत का भविष्य इस पर निर्भर करता है कि हम अगली पीढ़ी को कैसे शिक्षित करते हैं, न कि हम उनका कैसे शोषण करते हैं।”
📌 निबंध में उपयोग: जनसांख्यिकीय लाभांश, युवा शक्ति, राष्ट्र-निर्माण

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🔆 “The Great Derangement” – अमिताव घोष
📘 जलवायु परिवर्तन, समाज और ज़िम्मेदारी

जलवायु परिवर्तन पर
🗨️ “जलवायु परिवर्तन संस्कृति का संकट है, और इस प्रकार कल्पना का भी।”
📌 निबंध में उपयोग: पर्यावरण, सतत विकास, नैतिकता

ज़िम्मेदारी पर
🗨️ “जलवायु संकट, शासन का भी संकट है।”
📌 निबंध में उपयोग: सुशासन, जवाबदेही, नीतिगत सुधार

असमानता पर
🗨️ “गरीब लोग जलवायु परिवर्तन से सबसे पहले प्रभावित होते हैं, जबकि इसके लिए वे सबसे कम ज़िम्मेदार हैं।”
📌 निबंध में उपयोग: जलवायु न्याय, समानता, सतत विकास लक्ष्य (SDGs)

समाज पर
🗨️ “भविष्य की पीढ़ियाँ हमारी इस अवधि को ‘विकृत युग’ के रूप में देख सकती हैं।”
📌 निबंध में उपयोग: अंतर-पीढ़ी न्याय, नैतिकता, स्थिरता

विकास पर
🗨️ “प्रकृति को निष्क्रिय मानना हमारे अपने अस्तित्व को नकारना है।”
📌 निबंध में उपयोग: पारिस्थितिक संतुलन, भारतीय विकास मॉडल, हरित अर्थव्यवस्था


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भारत और वासेनार अरेंजमेंट
वासेनार समझौता परमाणु अप्रसार और हथियार नियंत्रण में भारत की भूमिका को मज़बूत करता है। यह भारत के विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी (SCOMET) निर्यात नियंत्रणों को वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनाता है।
यह अंतरिक्ष, रक्षा और डिजिटल क्षेत्रों के लिये संवेदनशील दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों तक पहुँच को सुगम बनाता है तथा नो मनी फॉर टेररिज़्म (NMFT) जैसी पहलों सहित आतंकवाद-रोधी कूटनीति का समर्थन करता है।
वासेनार अरेंजमेंट भारत की परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) में प्रवेश की योग्यता को मज़बूत करती है, जहाँ चीन ने भारत की सदस्यता को रोक रखा है।
यह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर न करने के बावजूद वैश्विक अप्रसार मानदंडों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है।
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🔆 भारत की व्यापार नीति: संरक्षणवाद से उदारीकरण तक

📍 परिचय
भारत की विदेशी व्यापार नीति ने अंतर्मुखी संरक्षणवाद से बहिर्मुखी उदारीकरण की ओर विकास किया है, जो आर्थिक विकास और निर्यात संवर्धन का मार्गदर्शन करती है।

📍 भारत की व्यापार नीति का विकास
प्रारंभिक वर्ष (1947–1960 के दशक): घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आयात प्रतिस्थापन, टैरिफ, कोटा।
1960–1980 के दशक: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का विकास, संरक्षणवाद जारी (FERA 1974, MRTP अधिनियम 1969)।
1991 आर्थिक सुधार: संकट-प्रेरित उदारीकरण, टैरिफ में कटौती, निर्यात उन्मुखीकरण।
2000 से वर्तमान: डिजिटल अर्थव्यवस्था, मुक्त व्यापार समझौते, द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर ध्यान।

📍 विकास को प्रेरित करने वाले प्रमुख क्षेत्र
आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाएं – प्रमुख बीपीओ और आईटी निर्यातक।
फार्मास्यूटिकल्स – आवश्यक दवाओं और टीकों का निर्यात।
ऑटोमोबाइल और घटक – यात्री कारें, दोपहिया वाहन, ऑटो पार्ट्स।
वस्त्र और परिधान – परिधान, यार्न, कपड़े।
रसायन और पेट्रोकेमिकल्स – फार्मा, उर्वरक, पेट्रोलियम।
कृषि उत्पाद और खाद्य प्रसंस्करण – चावल, मसाले, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ।

📍 व्यापार विस्तार में चुनौतियां
भू-राजनीतिक तनाव: जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व संकट।
नीति और नियामक मुद्दे: WTO अनुपालन, नौकरशाही में देरी।
व्यापार असंतुलन: कई देशों के साथ लगातार घाटा।
प्रतिस्पर्धात्मकता के मुद्दे: सस्ते वैश्विक विकल्पों की तुलना में उच्च लागत।
गुणवत्ता मानक: MSMEs को वैश्विक अनुपालन में कठिनाई।

📍 आगे का रास्ता
इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स – बंदरगाह, गोदाम, आपूर्ति श्रृंखलाएं।
द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते – गहरे FTAs।
अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी अपनाना – IoT, स्वचालन, डिजिटल प्लेटफॉर्म।
ब्रांड इंडिया का प्रचार – सरकार + उद्योग पहल।
आकार की अर्थव्यवस्थाएं – कम लागत, उच्च प्रतिस्पर्धात्मकता।

📍 निष्कर्ष
विदेशी व्यापार नीति 2023 के साथ, भारत 2030 तक $2 ट्रिलियन निर्यात प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है, जिसमें UPI, ब्रांड इंडिया, FTAs, और डिजिटल ट्रेड प्लेटफॉर्म जैसे सुधार मददगार हैं।

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🔆 “The Republic” – प्लेटो
📘 न्याय, शासन और आदर्श समाज

न्याय पर
🗨️ “न्याय का अर्थ है अपनी ही जिम्मेदारी निभाना और दूसरों के काम में दखलअंदाजी नहीं करना।”
📌 निबंध में उपयोग: न्याय, संवैधानिक मूल्य, शासन में नैतिकता

शासन पर
🗨️ “जो व्यक्ति अच्छा शासक नहीं है, उसे शासक नहीं बनना चाहिए।”
📌 निबंध में उपयोग: नेतृत्व, जवाबदेही, शासन में नैतिकता

समानता पर
🗨️ “समानता का मतलब यह नहीं है कि हर किसी को समान दिया जाए, बल्कि इसका मतलब है कि प्रत्येक को वह दिया जाए जो उसे प्राप्त करने का हक है।”
📌 निबंध में उपयोग: सामाजिक न्याय, आरक्षण, न्यायसंगत वितरण

आदर्श समाज पर
🗨️ “आदर्श राज्य वह है जिसमें शासक दार्शनिक होते हैं और दार्शनिक शासक।”
📌 निबंध में उपयोग: कुशल शासन, शिक्षा का महत्व, नेतृत्व में योग्यता

ज्ञान और सत्य पर
🗨️ “अज्ञानता, सारे बुरे कार्यों की जड़ और स्रोत है।”
📌 निबंध में उपयोग: शिक्षा सुधार, आलोचनात्मक सोच, सार्वजनिक तर्क

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🔆 “The Origins of Political Order” – फ्रांसिस फुकुयामा
📘 राजनीति, शासन और विकास

राजनीतिक व्यवस्था पर
🗨️ “राजनीतिक व्यवस्था राज्य, समाज और क़ानून के शासन के बीच परस्पर क्रिया का परिणाम है।”
📌 निबंध में उपयोग: भारतीय राजनीतिक प्रणाली, शासन, क़ानून का शासन

लोकतंत्र पर
🗨️ “सर्वाधिक सफल राजनीतिक प्रणालियाँ वही होती हैं जो राज्य की सत्ता और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच तनाव को संतुलित कर सकती हैं।”
📌 निबंध में उपयोग: भारत में लोकतंत्र, मौलिक अधिकार, संवैधानिक संतुलन

संस्थाओं पर
🗨️ “मज़बूत संस्थाएँ राजनीतिक व्यवस्था की नींव होती हैं, चाहे वे लोकतंत्र हो या निरंकुशता।”
📌 निबंध में उपयोग: संस्थागत मजबूती, शासन सुधार, राजनीतिक स्थिरता

शासन पर
🗨️ “अच्छा शासन केवल सरकार को बेहतर बनाने के बारे में नहीं है; यह इस बारे में है कि राज्य अपने लोगों के प्रति जिम्मेदार हो।”
📌 निबंध में उपयोग: लोक प्रशासन, जवाबदेही, नीति वितरण

विकास पर
🗨️ “आर्थिक विकास के लिए एक स्थिर राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता होती है जो वृद्धि और नवाचार के लिए आवश्यक शर्तें प्रदान करे।”
📌 निबंध में उपयोग: आर्थिक विकास, विकास की चुनौतियाँ, संस्थागत सुधार

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🔆स्तंभ आदेश और शिलालेख

अशोक के सात स्तंभ आदेश टोपरा (दिल्ली), मेरठ, कौसांभी, रामपुरवा, चंपारण, और मेहरौली में खोजे गए हैं:
अशोक का जन सुरक्षा का विचार स्तंभ आदेश I में निहित है।
स्तंभ आदेश II: धर्म को कम से कम पाप, अधिकतम गुण, करुणा, उदारता, ईमानदारी, और पवित्रता के रूप में परिभाषित करता है।
स्तंभ आदेश III: कठोरता, क्रूरता, क्रोध, और घमंड जैसे पापों को हटाता है।
स्तंभ आदेश IV: राजुकाओं की जिम्मेदारियों को संबोधित करता है।
स्तंभ आदेश V: कुछ दिनों में जिन जानवरों और पक्षियों का वध नहीं किया जाना चाहिए, उनकी सूची और एक अलग सूची जिन प्रजातियों को बिल्कुल नहीं मारना चाहिए।
धर्म नीति छठा स्तंभ आदेश है।
अशोक का धर्म नीति के प्रति कार्य स्तंभ आदेश VII में दर्ज है।

📍लघु स्तंभ शिलालेख

रुम्मिंदेई स्तंभ पर शिलालेख: अशोक का लुम्बिनी दौरा और लुम्बिनी को कर से मुक्त करना।
नेपाल के निगलिसागर स्तंभ पर शिलालेख: अशोक ने बुद्ध कोनाकमना के स्तूप की ऊंचाई को मूल आकार से दोगुना किया।

📍प्रमुख स्तंभ शिलालेख

सारनाथ का सिंह स्तंभ अशोक द्वारा बनवाया गया था, जो धर्मचक्रप्रवर्तन या बुद्ध के पहले उपदेश की स्मृति में वाराणसी में स्थित है।
बिहार के वैशाली स्तंभ पर एकल सिंह है, बिना किसी शिलालेख के।
उत्तर प्रदेश का संकिस्सा स्तंभ
चंपारण, बिहार: लौरिया-नंदनगढ़
चंपारण, बिहार: लौरिया-अराराज
उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद स्तंभ

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भारतीय संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों को विशेष स्वायत्तता देती है। इसके तहत स्वायत्त जिला व क्षेत्रीय परिषदें बनाई गई हैं जिन्हें भूमि, वन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि व स्थानीय न्याय पर नियम बनाने का अधिकार है।

इसका उद्देश्य आदिवासी समुदाय की संस्कृति, परंपरा व पहचान की रक्षा करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।

👉 छठी अनुसूची = स्थानीय स्वशासन + सांस्कृतिक संरक्षण + विकास

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2025/10/21 11:37:10
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